राजस्थान की सियासत में नया मोड़, भाजपा भी विधायकों की पहरेदारी में जुटी

राजस्थान के सियासी घमासान में अब भाजपा भी अपने विधायकों को लेकर सतर्क हो गई है। कांग्रेस के बाद अब भाजपा भी अपने विधायकों की पहरेदारी में जुट गई है।

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Published on: 8 Aug 2020 3:31 PM GMT
राजस्थान की सियासत में नया मोड़, भाजपा भी विधायकों की पहरेदारी में जुटी
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BJP MLA shifted to Ahmedabad resort

अंशुमान तिवारी

जयपुर: ‌राजस्थान के सियासी घमासान में अब भाजपा भी अपने विधायकों को लेकर सतर्क हो गई है। कांग्रेस के बाद अब भाजपा भी अपने विधायकों की पहरेदारी में जुट गई है। पहले करीब 12 विधायकों को अहमदाबाद के रिसॉर्ट में शिफ्ट किया गया और बाद में छह और विधायकों को रवाना किया गया। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने खिलाफ की जा रही बयानबाजी को लेकर नाराज बताई जा रही हैं। उन्होंने नई दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात कर इस बाबत शिकायत भी की है।

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विधायकों को अहमदाबाद किया शिफ्ट

जानकार सूत्रों के मुताबिक कुछ विधायकों को अहमदाबाद शिफ्ट करने के बाद अन्य विधायकों की बाड़ेबंदी जयपुर में करने की तैयारी है। राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू होने वाला है। ऐसे में माना जा रहा है कि जयपुर में की जाने वाली बाड़ेबंदी 12 अगस्त से शुरू हो सकती है। हालांकि भाजपा की ओर से विधायकों की पहरेदारी की बात को खारिज किया जा रहा है।

विधायकों को दी जाएगी ट्रेनिंग

सूत्रों का कहना है कि विधायकों को विधानसभा सत्र से पहले ट्रेनिंग के नाम पर जयपुर में इकट्ठा किया जाएगा। उस समय गुजरात भेजे विधायकों को भी जयपुर बुलाने की योजना है। यहां विधायकों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि यदि विधानसभा में विश्वासमत का प्रस्ताव पेश किया जाता है तो किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो सके।

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भाजपा इसलिए हुई सतर्क

दरअसल में बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ दायर याचिका पर 11 अगस्त को हाईकोर्ट का फैसला आ सकता है। ऐसे में भाजपा की पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। जानकारों का कहना है कि इसी कारण भाजपा ने भी अपने विधायकों को लेकर सतर्क रुख अपना लिया है। आलाकमान के निर्देश पर विधायकों पर पैनी निगाह रखी जा रही है। अलग-अलग जिलों में नेताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपी गई है।

बयानबाजी से वसुंधरा नाराज

इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे अपने खिलाफ हाल में की गई बयानबाजी से नाराज बताई जा रही है। उन्होंने शनिवार को दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा से मुलाकात कर इस बाबत नाराजगी भी जताई। पिछले दिनों वसुंधरा पर गहलोत की तरफदारी करने के आरोप लगाए गए थे। यह भी कहा गया था कि गहलोत को बचाने के लिए उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को फोन भी किया।

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कार्यकारिणी में वसुंधरा खेमे की उपेक्षा

पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कार्यकारिणी की घोषणा की थी। इसमें आठ उपाध्यक्ष चार महामंत्री, नौ मंत्री व एक प्रदेश मुख्य प्रवक्ता सहित अन्य पदों पर पदाधिकारियों की घोषणा की गई थी। भाजपा के जिन नेताओं को विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया है, उनमें से कोई भी वसुंधरा खेमे का नहीं माना जाता। इसे लेकर भी वसुंधरा नाराज बताई जा रही है।

शेखावत भी नड्डा से मिले

वसुंधरा राजे के अलावा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ‌से मुलाकात की है। दोनों नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात के भी कई सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं। शेखावत को राजस्थान की सियासत में वसुंधरा के विरोधी खेमे का माना जाता है।

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