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क्या राज्यसभा में बहुमत के करीब पहुंच गई है मोदी सरकार, यहां जानें

ज्यसभा में कांग्रेस जहां दिनों कमजोर होती जा रही है। वही बीजेपी पहले से ज्यादा मजबूत होती जा रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि राज्यसभा में कांग्रेस और बीजेपी के सांसदों के आंकड़े ये बात बयान कर कर रहे हैं।

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Published on: 25 July 2020 11:15 PM IST
क्या राज्यसभा में बहुमत के करीब पहुंच गई है मोदी सरकार, यहां जानें
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नई दिल्ली:राज्यसभा में कांग्रेस जहां दिनों कमजोर होती जा रही है। वही बीजेपी पहले से ज्यादा मजबूत होती जा रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि राज्यसभा में कांग्रेस और बीजेपी के सांसदों के आंकड़े ये बात बयान कर कर रहे हैं।

राज्यसभा के हर दो साल में होने वाले चुनावों में 61 नए सांसदों के बाद सदन के समीकरण में भारी बदलाव देखने को मिला हैं। अगर हम राज्यसभा में विभिन्न दलों के सांसदों के आंकड़ों पर गौर करे तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों की संख्या बढ़कर अब 102 हो गई है। राज्यसभा में बीजेपी के पास 85 सांसद हैं।जिसके बाद से अब राज्यसभा में एनडीए को बहुमत के लिए केवल 22 सांसदों की जरूरत होगी।

जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के पास सिर्फ 40 सांसद बचे रह गये हैं, जबकि यूपीए के कुल सांसदों की संख्या 65 पर आकर सिमट गई है। इसका मतलब ये है कि सदन में गैर एनडीए और गैर यूपीए दलों की भूमिका अहम रहेगी।

अगर राज्यसभा में पिछले कुछ सालों में कांग्रेस और कमजोर हुई है। तो वहीं बीजेपी और मजबूती के साथ उभर कर सामने आई है।

अगर हम ये कहे कि राज्यसभा में कांग्रेस की ताकत बीजेपी से आधी से भी कम रह गई है, तो ये गलत न होगा क्योंकि एनडीए ने 100 का आंकड़ा पार कर बहुमत की तरफ पाँव बढ़ा दिए हैं। हालांकि सरकार अभी बहुमत 22 सीट दूर है।

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इन बिलों का पास कराने में आई थी मुश्किलें

गौरतलब है कि 1990 के बाद से राज्यसभा में किसी दल के पास बहुमत नहीं रहा है। यहां ये भी याद दिला दें कि 1990 से पहले राज्यसभा में कांग्रेस के पास बहुमत था।

जबकि राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत न होने के कारण 2014 से 2019 के बीच मोदी-1 की सरकार को कई बार सदन में कई मौके पर बड़ी परेशानियों को फेस करना पडा। फिर चाहें वो 17वीं लोकसभा में पास , तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने संबंधी बिल ही क्यों न हो, इन सभी को पास कराने के लिए ग़ैर कोंग्रेसी दलों में सेंध लगानी पड़ी तब जाकर विधेयक पारित कराए जा सके और फिर बनाये जा सके।

मालूम हो कि अब एनडीए के लिए बहुमत केवल 22 सीटों का अंतर रह गया है। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 पर होता है। अब इन द्विवार्षिक चुनाव के बाद बीजेपी की संख्या 85 सांसदों की हो गई है, जबकि एनडीए के सांसदों की संख्या 102 हो गई है।

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कहां पड़ेगा फर्क

इस साल नवंबर में अकेले यूपी से 10 सीटें खाली हो रही हैं। उत्तर प्रदेश की 402 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल के पास 321 विधायक हैं।

ऐसे में नवंबर में यूपी की 10 राज्यसभा सीटों में से 8 सीटें बीजेपी की झोली में जाएंगी। इसके बाद राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत के बीच 14 सीटों का अंतर रह जाएगा।

सदन के इन आंकड़ों का असर विधायी कामकाज पर पड़ता है और सरकार के लिए स्थितियां आसान होती हैं। कांग्रेस और यूपीए के समर्थक दलों के कमजोर होने से एनडीए को राज्यसभा में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी, क्योंकि कई गैर यूपीए दल जरूरत पड़ने पर मोदी सरकार का समर्थन करते रहते हैं।

इनमें बीजेडी, एआईएडीएमके, आम आदमी पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस जैसे दल कांग्रेस विरोधी हैं। इन दलों का समय-समय पर समर्थन मोदी सरकार को मिलता रहता है।

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