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राज्यसभा चुनाव में RJD की बड़ी चाल, इस दलित नेता की पत्नी पर दांव लगाने की तैयारी
राजद की ओर से दलील दी जा रही है कि रामविलास पासवान के निधन से रिक्त हुई यह सीट दलित कोटे की है जबकि भाजपा ने चुनाव मैदान में सुशील मोदी के रूप में वैश्य उम्मीदवार को उतारा है। राजद के इस कदम को एनडीए की तगड़ी घेरेबंदी के रूप में देखा जा रहा है।
पटना: बिहार में एक राज्यसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में राजद नेता बड़ा उलटफेर करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। एनडीए प्रत्याशी को घेरने के लिए राजद इस सीट पर बड़ा दांव खेलने के लिए तैयार है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई इस सीट पर पार्टी लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की मां रीना पासवान पर दांव लगाना चाहती है।
पार्टी के नेता तेजस्वी यादव और उनकी मां राबड़ी देवी ने इसके लिए हामी भर दी है। यदि चिराग और उनकी मां रीना पासवान इसके लिए तैयार हो जाते हैं तो बिहार में राज्यसभा चुनाव में दिलचस्प मुकाबला होगा। भाजपा ने इस सीट से पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की है।
लोजपा की प्रतिक्रिया का इंतजार
राजद की ओर से दलील दी जा रही है कि रामविलास पासवान के निधन से रिक्त हुई यह सीट दलित कोटे की है जबकि भाजपा ने चुनाव मैदान में सुशील मोदी के रूप में वैश्य उम्मीदवार को उतारा है। राजद के इस कदम को एनडीए की तगड़ी घेरेबंदी के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि अभी तक इस संबंध में लोजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। सियासी हलकों में इस बाबत चिराग और उनकी मां रीना पासवान की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।
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पासवान के निधन से खाली हुई है सीट
गत लोकसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग फार्मूले के तहत यह सीट लोजपा को मिली थी जिस पर जीतकर रामविलास पासवान उच्च सदन में पहुंचे थे। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा, जदयू और लोजपा में हुए समझौते के मुताबिक भाजपा और जदयू को 17-17 सीटें मिली थीं जबकि लोजपा को 6 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था। इसके साथ ही उसे राज्यसभा की भी एक सीट मिली थी जिस पर रामविलास पासवान चुनाव मैदान में उतरे थे।
बदल चुके हैं बिहार के सियासी हालात
इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के सियासी हालात काफी बदल चुके हैं। चिराग पासवान ने इस बार एनडीए से अलग होकर जदयू के खिलाफ चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतार दिए थे। इसके साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे हमले भी किए थे। इसी कारण भाजपा पर हमलों से परहेज करने वाले चिराग के रिश्ते अब भाजपा से भी बिगड़ चुके हैं। चुनाव के दौरान जदयू की ओर से कई बार यह दलील दी गई कि उसके समर्थन के बल पर ही रामविलास पासवान राज्यसभा सदस्य बने थे।
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सुशील मोदी के नाम पर जदयू भी तैयार
अब भाजपा की ओर से इस सीट के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी को चुनाव मैदान में उतारा गया है। सुशील मोदी को इस बार उप मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला है और तभी से उनके केंद्र की राजनीति में जाने के अनुमान लगाए जा रहे थे। सुशील मोदी के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी अच्छे रिश्ते हैं। इसलिए उनके नाम पर जदयू को भी कोई आपत्ति नहीं है।
दलित कार्ड खेलने की तैयारी में राजद
दूसरी ओर राजदड एनडीए से चिराग की नाराजगी का फायदा उठाकर दलित कार्ड खेलने की कोशिश में जुटा हुआ है। पार्टी के प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि यदि रीना पासवान चुनाव मैदान में उतरती हैं तो राजद बिना शर्त उनका समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान देश के बड़े दलित नेता थे और उनके निधन से खाली हुई यह सीट लोजपा को ही दी जानी चाहिए थी। उन्होंने भाजपा को घेरते हुए कहा कि रामविलास पासवान के जीवित रहने पर उनके वोटों का इस्तेमाल करने वाली भाजपा ने उनके निधन के बाद उन्हें भुला दिया है।
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इन नामों पर भी हो रही है चर्चा
वैसे राजद से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यदि रीना पासवान चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं होती हैं तो भी राजद इस चुनाव में एनडीए को वाकओवर देने के मूड में नहीं है। रीना पासवान के चुनाव न लड़ने की स्थिति में दो और नामों की चर्चा चल रही है। ऐसी स्थिति में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और पार्टी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी में से किसी को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। सिद्दीकी इस बार दरभंगा की केवटी विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे।
सुशील मोदी दो को करेंगे नामांकन
राजद सूत्रों का कहना है कि जगदानंद सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने से सवर्ण वोटरों खासकर राजपूत समुदाय को लुभाया जा सकता है जबकि सिद्दीकी की उम्मीदवारी से अल्पसंख्यक मतदाताओं की सहानुभूति मिल सकती है। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 3 दिसंबर है जबकि जरूरी होने पर 14 दिसंबर को मतदान होगा। भाजपा उम्मीदवार सुशील मोदी 2 दिसंबर को नामांकन दाखिल करने वाले हैं।
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राज्यसभा चुनाव पर टिकी हर किसी की नजर
बिहार विधानसभा में एनडीए के पास 126 विधायकों का समर्थन है। महागठबंधन ने विधानसभा चुनाव में कुल 110 सीटों पर विजय हासिल की है जबकि स्पीकर चुनाव में उसे 114 विधायकों का समर्थन मिला था। अब हर किसी की नजर राज्यसभा की एक सीट पर होने वाले इस दिलचस्प चुनाव पर टिकी हुई है। राजद की ओर से प्रत्याशी उतारे जाने पर उसे ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का भी समर्थन मिल सकता है।
अंशुमान तिवारी
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