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पायलट के पास 3 रास्ते: बदलेंगे राजस्थान के राजनीतिक मायने, सबकी निगाहें टिकी

कांग्रेस नेता और राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट को इस पूरे सियासी संग्राम में आखिरी फैसला लेना है, उनके पास तीन रास्ते हैं। सवाल ये हैं कि वो कौन सा रास्ता चुनते हैं और उनके किस फैसले से राजस्थान की राजनीति पर ज्यादा बड़ा असर पड़ेगा?

Shivani
Published on: 13 July 2020 6:08 AM GMT
पायलट के पास 3 रास्ते: बदलेंगे राजस्थान के राजनीतिक मायने, सबकी निगाहें टिकी
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जयपुर: राजस्थान में गहलोत सरकार में मचे सियासी घमासान के बीच सबकी निगाहें उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर टिकी हैं। पायलट अपने बगावती सुरों को थाम कर कांग्रेस के साथ सुलह करते हैं या फिर सिंधिया की राह पर भाजपा में शामिल होते हैं, हर कोई ये जानने को बेताब है। हालंकि सचिन पायलट जो भी फैसला लें, वह राजस्थान की सियासत में नया अध्याय बन जाएगा। कांग्रेस के राजस्थान में राजनीतिक मायनों को बदल देगा।

सचिन पायलट के पास हैं ये तीन रास्ते

कांग्रेस नेता और राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट को इस पूरे सियासी संग्राम में आखिरी फैसला लेना है, उनके पास तीन रास्ते हैं। सवाल ये हैं कि वो कौन सा रास्ता चुनते हैं और उनके किस फैसले से राजस्थान की राजनीति पर ज्यादा बड़ा असर पड़ेगा?

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कांग्रेस से सुलह-पायलट को मिले स्वतंत्र काम करने की छूट

सचिन पायलट की गहलोत सरकार से नाराजगी की एक वजह उनके साथ हो रहे भेदभाव और पार्टी में उनके पद की कम शक्तियों से हैं। दरअसल दस दिन पहले ही पायलट ने कांग्रेस नेतृत्व को बताया है कि पूरा राजस्थान तो दूर उनके क्षेत्र के अधिकारी तक उनकी बात नहीं सुनते। ऐसे में पायलट अपनी राजनीतिक ताकतों को बढ़ाने, स्वतंत्र तरीके से काम करने देने और उनके विभाग में दखल अंदाजी रोकने की मांग पर अड़े हैं। कांग्रेस अगर उन्हें इतनी छूट देती है तो वे अपने बगावती सुरों को रोक कर सुलह कर सकते हैं।

समर्थक विधायकों के साथ पायलट BJP में हो सकते हैं शामिल

सचिन पायलट के पास दूसरा और बड़ा रास्ता ये हैं कि वह भाजपा ज्वाइन कर लें। सिंधिया की तरह अगर वह भाजपा ज्वाइन करते हैं तो कांग्रेस पर असर पड़ेगा। वहीं उनके समर्थक विधायक भी पायलट के साथ इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो जाएंगे तो गहलोत सरकार पर राजनीतिक संकट खड़ा हो सकता है।

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भाजपा टूटी हुई कांग्रेस को झटका देते हुए सहयोगी दलों और निर्दलीय विधायकों के साथ राजस्थान में सरकार बना सकती है। वहीं छह महीनों के अंदर कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से खाली हुए पदों पर उपचुनाव भी करा सकती है।

पायलट बना सकते हैं अपनी पार्टी

सचिन पायलट कांग्रेस से सुलह न होने और भाजपा ने शामिल न होने की संभावनाओं से बचते हुए से अलग पार्टी भी बना सकते हैं। इस तरह की खबर सामने आ रही है कि पायलट ‘प्रगतिशील कांग्रेस’ नाम से नई पार्टी का गठन कर सकते हैं। सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ एक अलग मोर्चा बना सकते हैं।

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