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अलग-अलग जाति के लोगों पर टिप्पणी कर बुरे फंसे त्रिपुरा के सीएम, मांगनी पड़ी माफ़ी
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब अपने बयानों को लेकर एक बार फिर से विवादों में घिर गये हैं। इस बार उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों के बारे में अपनी टिप्पणी दी है। जिसको लेकर काफी हो हल्ला मचा हुआ है।
अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब अपने बयानों को लेकर एक बार फिर से विवादों में घिर गये हैं। इस बार उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों के बारे में अपनी टिप्पणी दी है। जिसको लेकर काफी हो हल्ला मचा हुआ है। बवाल बढ़ने के बाद बिप्लब कुमार देब ने लोगों से माफ़ी मांगी है।
दरअसल एक कार्यक्रम के दौरान बिप्लब कुमार देब ने हरियाणा के जाटों से लेकर पश्चिम बंगाल के बंगालियों तक के बारे में उन्होंने अपनी राय रखी। उन्होंने जाटों का जिक्र करते हुए कहा कि लोग जाटों के बारे में कैसे बात करते हैं। वे कहते हैं, जाट कम बुद्धिमान होते हैं, लेकिन शारीरिक रूप काफी स्वस्थ होते हैं।
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जाट बुद्धिमानी में बंगालियों का मुकाबला नहीं कर सकते: बिप्लब कुमार देब
सीएम देब के अनुसार हरियाणा के जाट बुद्धिमानी में बंगालियों का मुकाबला नहीं कर सकते हैं, बंगाली पूरी दुनिया में अपने तेज दिमाग के लिए जाने जाते हैं। इस बयान के आने के बाद से हो हल्ला मचना शुरू हो गया है।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री बिप्लब का 50 सेकंड का एक वी़डियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया और लिखा भाजपा की मानसिकता
उन्होंने लिखा कि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता बिप्लब कुमार देब ने पंजाब के सिख भाइयों और हरियाणा के जाट समुदाय को लेकर जो टिप्पणी की है वह उनकी निम्न स्तरीय मानसिकता को दर्शाती है।
उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री और उनके डिप्टी का जिक्र करते हुए पूछा। खट्टरजी और दुष्यंत चौटाला चुप्प (चुप) क्यों हैं?" सुरजेवाला ने कहा कि मोदी जी और नड्डा जी (बीजेपी अध्यक्ष) कहां हैं। इन पर कार्रवाई करें।
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23 सालों से शरणार्थी बनकर त्रिपुरा में रह रहा ब्रू समुदाय, जानिए इनके बारे में
केंद्र की मोदी सरकार ने लंबे समय से चली आ रही ब्रू समुदाय की समस्या को दूर करने की घोषणा की है। ब्रू समुदाय के लोग अब स्थायी रूप से त्रिपुरा में बसाए जाएंगे। ब्रू समुदाय 1997 में मिजोरम से विस्थापित हुआ था जिसके बाद से हजारों लोग त्रिपुरा में बनाए गए शरणार्थी कैंपों में रह रहे थे।
जुलाई 2018 में उन्हें वापस भेजने के लिए एक समझौता हुआ, लेकिन यह लागू नहीं हो पाया। दरअसल, ब्रू समुदाय के लोगों ने फिर से हिंसा के डर से मिजोरम जाने से इंकार कर दिया।
जानिए ब्रू आदिवासियों के बारे में?
ब्रू समुदाय मिजोरम का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक आदिवासी समूह है। करीब 33,000 ब्रू पिछले 23 सालों से उत्तरी त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में गुजर बसर कर रहे थे। बता दें कि 1990 के दशक में ब्रू समुदाय का बहुसंख्यक मिजो लोगों से स्वायत्त डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के मुद्दे पर खूनी संघर्ष हुआ था। इसके बाद ही लगभग 5000 से ज्यादा परिवार मिजोरम से पलायन कर गया था।
मिजो जनजाति ब्रू को ‘बाहरी’ कहती है। यह आदिवासी समूह अपना मूल म्यांमार के शान प्रांत में मानता है, ये लोग कुछ सदियों पहले वहां से मिजोरम में आकर बसे थे।
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लेकिन कुछ ब्रू शरणार्थी मिजोरम वापस लौटे गए और इन लोगों को सरकार की ओर से मदद दी गई। अक्टूबर 2019 में लगभग 51 परिवार एक साथ मिजोरम लौटे थे। अधिकारियों के मुताबिक बीते 10 सालों में दो हजार से अधिक परिवार मिजोरम लौट गए हैं और वहां बिना किसी मुश्किल के रह रहे हैं। इसी क्रम में सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे थे कि ब्रू समुदाय के लोग मिजोरम लौट जाएं।
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