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उद्धव ठाकरे का बड़ा ऐलान: गठबंधन को लगेगा तगड़ा झटका, तो गिरेगी सरकार
उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में 1 मई से नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) लागू करना चाहते हैं। महाराष्ट्र में 1 मई से जनगणना का काम शुरू होगा, जो कि 15 जून तक चलेगा।
मुंबई: महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन सरकार में शामिल दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच तनातनी का माहौल देखने को मिल रहा है। शिवसेना के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसके बाद दलों के बीच ऐसा माहौल देखने को मिल रहा है। दरअसल, उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में 1 मई से नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) लागू करना चाहते हैं।
महाराष्ट्र में 1 मई से जनगणना का काम शुरू होगा, जो कि 15 जून तक चलेगा। वहीं कांग्रेस और एनसीपी इसका खुलेआम विरोध कर रही है। एक तरफ कांग्रेस का कहना है कि एनपीआर, एनआरसी का मुखौटा है तो वहीं दूसरी ओर एनसीपी ने भी एनपीआर को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी आपत्तियां दर्ज कराई है।
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CAA-NRC-NPR के खिलाफ खड़े हैं NCP और कांग्रेस
महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब कांग्रेस और एनसीपी एनपीआर, एनआरसी और सीएए का खुलेआम विरोध कर रही है। कांग्रेस और एनसीपी ने पिछले दिनों कहा था कि महाराष्ट्र में वो एनआरसी लागू करने की अनुमति नहीं देंगे। बता दें कि एनसीपी और कांग्रेस ने लगातार एनआरसी, सीएए और एनपीआर का विरोध कर रही है। लिहाजा उद्धव सरकार के इस फैसले के बाद गठबंधन सरकार में शामिल तीनों दलों में एक बार फिर से असमंजस देखने को मिल रहा है।
महाराष्ट्र में नहीं लागू होगा NPR- कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता चरण सिंह सापरा ने हाल ही में दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि महाराष्ट्र में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं किया जाएगा। उद्धव सरकार, एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सत्ता में बनी हुई है जो एनपीआर का खुलकर विरोध कर रहे हैं। अब ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि अगर उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के खिलाफ जाकर राज्य में एनपीआर लागू करती है तो उद्धव सरकार कैसे चलेगी। क्योंकि शिवसेना के 56 विधायक और एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों को मिलाकर उद्धव सरकार को कुल 169 विधायकों का समर्थन हासिल है। ऐसे में उनके द्वारा लिया गया ये फैसला महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर सियासी हलचल को तेज कर सकता है।
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इससे पहले भी तीनों दलों में रहे हैं मतभेद
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब तीनों दलों में मतभेद देखने को मिला हो। इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एल्गार परिषद मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस से लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपे जाने को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की शुक्रवार को आलोचना की थी। शरद पवान ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि केंद्र ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर NIA को सौंपकर ठीक नहीं किया, क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।
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