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गठबंधन रहेगा या नहीं बस एक महीने इंतजार

लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित्त हुए विपक्ष के पास अगला महीना अपनी खोई प्रतिष्ठा बनाने का एक अच्छा मौका होगा। जब प्रदेश की 11 सीटों पर उपचुनाव होंगे। विपक्ष में रहकर उपचुनाव न लडने वाली बसपा के लिए इन सीटों पर चुनाव न लडना उसके धैर्य और गठबन्धन के प्रति त्याग की कठिन परीक्षा होगी।

Dharmendra kumar
Published on: 1 Jun 2019 1:46 PM IST
गठबंधन रहेगा या नहीं बस एक महीने इंतजार
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित्त हुए विपक्ष के पास अगला महीना अपनी खोई प्रतिष्ठा बनाने का एक अच्छा मौका होगा। जब प्रदेश की 11 सीटों पर उपचुनाव होंगे। विपक्ष में रहकर उपचुनाव न लडने वाली बसपा के लिए इन सीटों पर चुनाव न लडना उसके धैर्य और गठबन्धन के प्रति त्याग की कठिन परीक्षा होगी।

डपचुनाव के सथ ही यह भी तय हो जाएगा कि सपा बसपा गठबन्धन अगले विधानसभा चुनाव 2022 तक रहेगा अथवा उसके पहले ही खत्म हो जाएगा क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मायावती अखिलेश की न तो कोई प्रेस कांफेस हुई और न ही कोई साझा बयाना आया है।

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बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का यूपी में बडा जनाधार रहा है। यही कारण है कि योगी सरकार में हुए विधानसभा उपचुनावों में समाजवादी पार्टी ने 12 में से 9 सीटे जीती थी। विपक्ष में रहकर बसपा विधानसभा का उपचुनाव कभी नहीं लडती लेकिन जिस तरह से उसे लोकसभा चुनाव में सपा से अधिक सीटे मिली है तो मायावती अपनी रणनीति में बदलाव भी कर सकती हैं। उस दोरान गठबन्धन में किसको कितनी सीटे मिलती हैं यह देखने वाली बात होगी।

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इधर सत्ता पक्ष की बात की जाए तो जिन 11 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें आठ भाजपा, एक अपना दल, एक सपा और एक बसपा के पास थी। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें रामपुर, जलालपुर (अम्बेडकरनगर), गोबिन्दनगर (कानपुर), लखनऊ छावनी (लखनऊ), टूंडला (फिरोजाबाद), जैदपुर (बाराबंकी), मानिकपुर (चित्रकूट), बलहा (बहराइच), प्रतापगढ, गंगोह (सहारनपुर) और इगलास (अलीगढ) हैं। अगर गठबन्धन के तहत चुनाव होता भी है तो बसपा लोकसभा चुनाव में अधिक सीटे जीतने के कारण इन विधानसभा सीटों के उपचुनावों में भी अधिक सीटे मांगेगी जिससे दोनो दलों में खटास पैदा सकती है।

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इन सभी सीटों पर कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं थी। इस लिए इतना तो तय है कि इन उपचुनावों में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। वैसे भी हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत बेहद खराब रही है। उसने केवल रायबरेली सीट ही जीती है। लेकिन उपचुनाव में सबकी निगाह एक बार फिर गठबन्धन के कदम पर टिकी रहेगी।



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