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बंगाल चुनाव में अब किसान बने बड़ा मुद्दा, ममता की घेरेबंदी में BJP का बड़ा अभियान
भाजपा अध्यक्ष की ओर से शुरुआत के बाद भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता 48 हजार गांवों में किसानों के घर जाकर एक-एक मुट्ठी चावल एकत्र करेंगे और उन्हें केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए नए कृषि कानूनों के बारे में जानकारी देंगे।
अंशुमान तिवारी
कोलकाता: किसानों तक पहुंच बनाने के लिए भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने शनिवार को पूर्वी बर्धमान जिले में मुट्ठी भर चावल अभियान की शुरुआत की। उन्होंने पहले एक किसान के घर जाकर दोपहर का भोजन किया और फिर जिले के पांच किसानों के घरों से मुट्ठी भर चावल एकत्रित किया। भाजपा के इस अभियान पर हमला करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने इसे नाटक करार दिया है।
भाजपा अध्यक्ष की ओर से शुरुआत के बाद भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता 48 हजार गांवों में किसानों के घर जाकर एक-एक मुट्ठी चावल एकत्र करेंगे और उन्हें केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए नए कृषि कानूनों के बारे में जानकारी देंगे।
किसान आंदोलन के समर्थन में ममता
दरअसल भाजपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का असर कम करने के लिए यह अभियान शुरू किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में खड़ी हैं। उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन करने के साथ ही मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए बड़ा हमला भी किया है।
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पीएम किसान सम्मान निधि पर बदला रुख
भाजपा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को पश्चिम बंगाल में लागू न करने पर ममता बनर्जी को घेरती रही है मगर ममता ने अब अपना रुख बदलते हुए इस योजना को बंगाल में भी लागू करने का फैसला किया है। ऐसे में किसानों को भाजपा से जोड़े रखने के लिए पार्टी की ओर से मुट्ठी भर चावल अभियान की शुरुआत की गई है।
भाजपा का मुट्ठी भर चावल अभियान
नड्डा ने भाजपा के मुट्ठी भर चावल अभियान की शुरुआत पूर्वी बर्धमान जिले के कटवा क्षेत्र से की जिसे बंगाल में चावल का कटोरा कहा जाता है। इसका कारण यह है कि इस इलाके में धान की जबर्दस्त खेती की जाती है। ममता के असर को कम करने के लिए भाजपा की ओर से बंगाल में और नहीं अन्याय और गृह संपर्क अभियान भी चलाया जा रहा है। इन दोनों अभियानों में कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही विभिन्न राज्यों के कद्दावर नेता भी जुटे हुए हैं।
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बीजेपी अध्यक्ष ने किसानों से ली जानकारी
नड्डा के मुट्ठी भर चावल अभियान में उनके साथ भाजपा के प्रदेश प्रमुख दिलीप घोष सहित पश्चिम बंगाल भाजपा के अन्य नेता भी थे। नड्डा ने किसानों से उनकी स्थिति के बारे में जानकारी लेने के साथ ही उनके घरों की दीवारों पर अभियान से जुड़े पोस्टर भी चिपकाए। इस दौरान मौके पर मौजूद एक महिला अपर्णा मंडल ने कहा कि हमें खुशी है कि वे हमारे घर आए और हमारे द्वारा दी गई मिठाइयां खाईं। उन्होंने प्रत्येक घर से एक मुट्ठी चावल इकट्ठा करके उसे अपने झोले में डाला।
रणनीति के तहत किसान के घर भोजन
इस दौरान नड्डा ने किसान मथुरा मंडल के कच्चे घर में जमीन पर बैठकर दोपहर का भोजन भी ग्रहण किया। नड्डा को भोजन कराने के बाद मंडल ने कहा कि हमें इस बात की खुशी है कि इतने बड़े व्यक्ति ने आज हमारे घर पर दोपहर का भोजन किया है। भोजन से पूर्व नड्डा ने कटवा के काफी पुराने राधा गोविंद मंदिर में पूजा अर्चना की। मंदिर के मुख्य द्वार के पास महिला ढाकियों ने नड्डा का स्वागत किया। बाद में नंदा ने जबर्दस्त रोड शो करके भी ताकत दिखाई।
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ममता का रुख बदलने पर साधा निशाना
पश्चिम बंगाल के एक दिन के दौरे पर पहुंचे नड्डा ने पीएम किसान योजना को लेकर भी तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब टीएमसी को लगा कि राज्य के किसानों के बीच उसका आधार तेजी से खिसक रहा है तो उसने इस योजना को लागू करने पर सहमति जताई। प्रदेश के किसान ममता सरकार की असलियत जान चुके हैं और अब वे सरकार के किसी भी छलावे में नहीं आने वाले।
टीएमसी ने भाजपा की चिंता को बताया दिखावा
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए भाजपा की चिंता सिर्फ दिखावा मात्र है। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि भाजपा नेताओं को दिल्ली में कुछ दूरी पर एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों की तनिक भी चिंता नहीं है। प्रदेश की मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा नेताओं के पास देश भर में घूमने और किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने का समय जरूर है, लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की उन्हें तनिक भी फिक्र नहीं है।
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धरने पर बैठे किसानों की चिंता नहीं
तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि सही बात तो यह है कि किसानों के लिए भाजपा की चिंता पूरी तरह दिखावटी है। अगर उसे किसानों की चिंता होती तो किसानों को दिल्ली में इतने दिनों तक धरना नहीं देना पड़ता। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस किसान प्रेम का दिखावा नहीं करती और उसे सही मायने में छोटे और सीमांत किसानों की चिंता है और सरकार इन किसानों की समस्याएं सुलझाने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
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