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बंगाल में दो पूर्व IPS मे होगी टक्कर, नंदीग्राम के साथ इस सीट पर भी सबकी निगाहें

पश्चिम मिदनापुर जिले की डेबरा विधानसभा सीट पर भी हर किसी की निगाह लगी हुई है। इस विधानसभा सीट पर दो पूर्व आईपीएस अफसरों में सियासी जंग हो रही है।

Shivani
Published on: 11 March 2021 4:52 PM GMT
बंगाल में दो पूर्व IPS मे होगी टक्कर, नंदीग्राम के साथ इस सीट पर भी सबकी निगाहें
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार नंदीग्राम के अलावा एक और विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। राज्य के पश्चिम मिदनापुर जिले की डेबरा विधानसभा सीट पर भी हर किसी की निगाह लगी हुई है। इस विधानसभा सीट पर दो पूर्व आईपीएस अफसरों में सियासी जंग हो रही है।

टीएमसी ने इस विधानसभा सीट पर पूर्व आईपीएस अधिकारी हुमायूं कबीर को चुनाव मैदान में उतारा है। भारतीय जनता पार्टी ने कबीर को जवाब देने के लिए पूर्व आईपीएस भारती घोष को डेबरा सीट से टिकट दिया है। दो पूर्व आईपीएस अफसरों के इस टकराव के कारण मेदिनीपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाला डेबरा विधानसभा क्षेत्र भी काफी महत्वपूर्ण हो गया है।

हुमायूं कबीर और भारती घोष में मुकाबला

विधानसभा चुनाव के लिए सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस की ओर से लिस्ट जारी की गई। राज्य की मुख्यमंत्री और टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने हुमायूं कबीर को डेबरा चुनाव क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारने का एलान किया है। टीएमसी की लिस्ट आने के बाद भाजपा की ओर से पहले दो चरण के 57 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जा चुकी है।

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इस लिस्ट में डेबरा विधानसभा सीट से भारती घोष को चुनाव मैदान में उतारा गया है। भारती घोष भाजपा की उपाध्यक्ष भी है। उनके डेबरा से चुनाव मैदान में उतरने के कारण अब इस सीट पर काफी रोचक मुकाबला हो गया है। दो पूर्व आईपीएस अफसर की इस सियासी जंग पर अब हर किसी की निगाह लगी हुई है।

ममता के विकास के एजेंडे का सहारा

टीएमसी उम्मीदवार हुमायूं कबीर का कहना है कि अपने 10 वर्ष के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में काफी विकास कराया है और मैं ममता बनर्जी के विकास के एजेंडे पर ही वोट मांगूंगा।

उनका कहना है कि यह चुनाव का समय है। इसलिए मुझे किसी न किसी के खिलाफ तो लड़ना ही होगा। उन्होंने कहा कि इस विधानसभा सीट पर अन्य उम्मीदवार भी किस्मत आजमाएंगे। इसलिए चुनावी मुकाबले को मेरे और भारती के संघर्ष के तौर पर ही नहीं देखा जाना चाहिए।

पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं कबीर

चुनाव मैदान में उतरने से पहले हुमायूं कबीर चंदननगर के पुलिस कमिश्नर थे। उन्होंने हाल ही में पुलिस सेवा से इस्तीफा देखकर टीएमसी की सदस्यता ग्रहण की थी। वे अप्रैल में रिटायर होने वाले थे मगर रिटायरमेंट से पहले ही उन्होंने सियासी मैदान में उतरने का बड़ा फैसला किया। अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें डेबरा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।

भाजपा प्रत्याशी भारती का ममता पर आरोप

भाजपा उम्मीदवार और पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती ने 2017 में इस्तीफा दिया था। उन्हें ममता बनर्जी ने कम महत्व वाले पद पर भेज दिया था जिसके बाद उन्होंने त्यागपत्र देने का फैसला किया। जबरन वसूली के एक मामले में उन्हें सीआईडी जांच का भी सामना करना पड़ा था।

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पुलिस सेवा से इस्तीफा देने के बाद घोष ने ममता बनर्जी पर बड़ा हमला किया था। उनका आरोप था की ममता बनर्जी के कारण ही बंगाल में माओवाद का प्रभुत्व बढ़ा। राज्य सरकार पर बड़ा हमला करते हुए उन्होंने अपना पदक और प्रमाण पत्र भी लौटा दिया था। यह पदक उन्हें 2014 में 15 अगस्त को सराहनीय सेवाओं के लिए दिया गया था।

इस कारण चुनी डेबरा विधानसभा सीट

भारती घोष का कहना है कि वे पश्चिमी मिदनापुर में काम कर चुकी हैं। वह पश्चिमी मिदनापुर और झाड़ग्राम की पुलिस मुखिया रह चुकी हैं। डेबरा विधानसभा सीट पश्चिमी मिदनापुर के अंतर्गत ही आती है। उनका कहना है कि इसी कारण उन्होंने इस चुनाव क्षेत्र से उतरने का फैसला किया है।

BJP-TMC

टीएमसी उम्मीदवार हुमायूं कबीर डेबरा के ही रहने वाले हैं और उनके माता-पिता इसी विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं। कबीर को इस इलाके की अच्छी जानकारी भी है। 2016 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर टीएमसी की सलीमा खातून को जीत हासिल हुई थी। उन्होंने वाम दलों के उम्मीदवार करीम पर 11000 वोटों से जीत हासिल की थी।

भारती घोष को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भारती घोष को 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा के मामले में बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने भारती घोष के खिलाफ जारी गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि इस मामले में घोष के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।

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बदले की भावना से फंसाने का आरोप

शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई को दो महीने के लिए स्थगित कर दिया है। घोष ने अपने खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने और एफआईआर. रद्द कराने के लिए शीर्ष अदालत की शरण ली थी।

अदालत में घोष की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें राजनीतिक बदले की भावना के कारण फंसाया जा रहा है। घोष पिछले लोकसभा चुनाव में घटल संसदीय सीट से भी भाजपा उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमा चुकी हैं।

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