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कौन हैं चौ. अजित सिंह जो हर बार बनते हैं इस राजनीतिक दल के अध्यक्ष?

वैसे तो इस दल की विचारधारा पूर्ण रूप से किसान आधारित राजनीति की रही है जिसकी स्थापना चौ अजित सिंह के पिता चौ चरणसिंह ने की थी। इस दल ने कई बार अपना रूप और नाम बदला। कभी किसी सेसमझौता किया तो कभी किसी दल में विलय किया। पर अपनी पहचान नहीं खोई।

Shivakant Shukla
Published on: 28 Dec 2019 10:57 AM GMT
कौन हैं चौ. अजित सिंह जो हर बार बनते हैं इस राजनीतिक दल के अध्यक्ष?
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फ़ाइल फोटो

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: चौ अजित सिंह को एक बार फिर राष्ट्रीय लोकदल का निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लियागया। इसके पहले वह नौ बार से इस दल के अध्यक्ष बनते रहे हैं। इस बार दसवीं बार उन्हे अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पार्टी कार्यकर्ताओंं ने सौंपी है। उनके बेटे जयन्त चौधरी पार्टी के उपाध्यक्ष हैं। किसान नेताके रूप में अपनी विषिष्ट पहचान बनाने वाले चौ चरण सिंह के विचारों कोमानने वाले लोगों की आज भी कमी नहीं है। यह एक ऐसा दल है जो कई बार टूटा कईबार जुड़ा लेकिन विचारधारा नहीं बदली।

वैसे तो इस दल की विचारधारा पूर्ण रूप से किसान आधारित राजनीति की रही है जिसकी स्थापना चौ अजित सिंह के पिता चौ चरणसिंह ने की थी। इस दल ने कई बार अपना रूप और नाम बदला। कभी किसी सेसमझौता किया तो कभी किसी दल में विलय किया। पर अपनी पहचान नहीं खोई।

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फ़ाइल फोटो

किसानों के मसीहा कहे जाने वाले स्व चौ चरण सिंह ने कांग्रेस मंत्रिमंण्डल से इस्तीफा दिया। इसकेबाद उन्होंने भारतीय क्रांति दल की स्थापना इसी साल की। बाद में इसका नाम लोकदल करदिया गया। इसके बाद जनता पार्टी में 1977 में इसका विलय हो गया। जनता पार्टी जब 1980में टूटी तो चै चरण सिंह ने जनता पार्टी एस का गठन किया।

1985 में चौ चरण सिंह ने लोकदल का गठन किया

1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इस दल का नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया और इसी बैनर तले चुनाव लड़ा गया। पार्टी में विवाद के चलते हेमवती नन्दन बहुगुणा इससे अलगहो गये और 1985 में चौ चरण सिंह ने लोकदल का गठन किया। इसी बीच 1987 में चै अजित सिंह के राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पार्टी में फिर विवाद हुआ और लोकदल (अ) का गठन किया गया। इसकेबाद लोकदल (अ) का 1988 में जनता दल में विलय हो गया।

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जब जनता दल में आपसी टकरावशुरू हुआ तो 1987 लोकदल (अ) और लोकदल (ब) बन गया। किसानों की कही जाने वालेइस दल का 1988 में जनता पार्टी में विलय हो गया। फिर जब जनता दल बना तो अजित सिंहका दल उसके साथ हो गया। लोकदल (अ)यानी चै अजित सिंह का 1993 में कांग्रेसमें विलय हो गया।

चौ. अजित सिंह ने 1996 में किसान कामगार पार्टी का गठन किया

चौ. अजित सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस से अलग होकर 1996 में किसान कामगार पार्टी का गठन किया। इसके बाद1998 में चौ. चरण सिंह की विचारधारा पर चलने वाले इस दल का नाम उनके पुत्र चै अजित सिंह ने बदलकर राष्ट्रीय लोकदल कर दिया। चै चरण सिंह की विचारधारा पर चलते रहे मुलायम सिंह यादव जहां तक मुलायम सिंह की बात है तो उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत ही चो. चरण सिंह के साथ की।

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मुलायम सिंह ने 1967 में संयुक्त सोषलिस्टपार्टी से चुनाव जीतने के बाद फिर 1969 में वह चै चरण सिंह से जुड़ गए। चै चरण सिंह ने जब लोकदल का गठन किया तो मुलायम सिंह यादव को प्रदेष अध्यक्ष पद की जिम्मेदारीसौंपी। प्रदेश मेंजब जनता पार्टी की सरकार बनी तो मुलायम सिंह को सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी।

1987 में लोक दल काअध्यक्ष बनाया गया

चौ चरण सिंहने मुलायम सिंह को यूपी विधानसभा में वीर बहादुर सिंह की सरकार में नेता विरोधीदल बनाने का काम किया। 1987-88 में जनता दल के गठन के बाद मुलायम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। इसमें चौ. अजितसिंह भी साथ थें। जहां तक चौ अजितसिंह 1986 में पहली बार राज्यसभा के सांसद बने। इसके बाद उन्हे 1987 में लोक दल काअध्यक्ष बनाया गया और 1988 में वह जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। 1989 में वह पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए।

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इसके बाद उन्हे परम्परागत बागपत सीट से लगातारजीत मिलती रही. बागपत से चौ.अजित सिंह ने लगातार 6 बार चुनाव चुनाव जीते। चौ. अजित सिंह की राजनीति जिन जिलों में अधिक प्रभावी रही उनमें मेरठ, गाजियाबाद,बुलंदषहर, गौतमबुद्वनगर, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद,जेपी नगर, रामपुर, आगरा, अलीगढ, मथुरा, फिरोजाबाद, महामायानगर, एटा,मैनपुरी, बरेली, बदायूं,पीलीभीत, शाहजहांपुर है।

Shivakant Shukla

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