×

यूं ही नहीं बनते अरबपति! ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी

धीरूभाई अंबानी ने 16 साल की उम्र में अपनी 10वीं कक्षा पास की और 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए वो साल 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन के एडन चले गए।यहां उन्होंने 200 रुपये प्रति महीने में गैस स्टेशन पर अटेंडेंट के पद पर नौकरी की।

SK Gautam
Published on: 28 Dec 2019 10:12 AM GMT
यूं ही नहीं बनते अरबपति! ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी
X

लखनऊ: कुछ लोगों की जिंदगी बहुत सारे लोगों के लिए के बहुत बड़ा उदाहरण बन जाती है । एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने अपने दम पर एक ऐसी इंडस्ट्रीज खड़ा किया जो देश के आर्थिक विकास में बड़ा योगदान दे रहा है। इस इंडस्ट्रीज को आज उनके दो काबिल बेटे बड़ी सफलता के साथ चला रहे हैं ।

जी हां हम बात कर रहे हैं दूर संचार क्षेत्र और मोबाईल फ़ोन के क्षेत्र में बड़ी क्रांति लाने वाले धीरूभाई अंबानी की जिनका कहना था कि "बड़ा सोचो, तेजी से सोचो, आगे की सोचो, कल्पना पर किसी का एकाधिकार नहीं होता"।

dheeru bhai ambani

ये भी देखें : सीतारमण की बैंक अधिकारियों संग अहम बैठक, आम बजट से पहले चर्चा में रहे ये मुद्दे…

पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था

आपको बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का जन्म आज ही के दिन 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ ज़िले में हुआ था । बहुत कम लोगों को पता होगा कि उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था । उनके दो पुत्र मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी उनके द्वारा खड़ा किया हुआ बिजनेस संभाल रहे हैं ।

लेकिन क्या आप जानते हैं उन्होंने कैसे अपने बिजनेस की शुरुआत की और कैसे कम उम्र में छोटे- मोटे काम करने लगे थे ।

यह 'धीरूभाई' अंबानी की उसी सोच कि "बड़ा सोचो, तेजी से सोचो, आगे की सोचो, का ही असर था कि उन्होंने 50,000 रुपये और दो सहायकों के साथ अपने बिजनेस की शुरुआत की थी । अपने पहले बिजनेस की शुरुआत के लिए धीरूभाई ने 350 वर्ग फुट का कमरा, एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलीफोन के साथ की थी । साल 2002 में उनका देहांत हो गया था ।

dheeru bhai ambani

ये भी देखें : क्या EC को ईमानदारी की कीमत चुकानी पड़ रही है, PM के लिए किया था ऐसा काम

यमन के एडन में गैस स्टेशन पर अटेंडेंट के पद पर की नौकरी

धीरूभाई अंबानी ने 16 साल की उम्र में अपनी 10वीं कक्षा पास की और 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए वो साल 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन के एडन चले गए।यहां उन्होंने 200 रुपये प्रति महीने में गैस स्टेशन पर अटेंडेंट के पद पर नौकरी की। बता दें, आर्थिक कठिनाई के कारण उन्होंने कम उम्र से ही छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए थे ।

कुछ साल नौकरी करने के बाद वह भारत वापस लौटे और फिर माउंट गिरनार में तीर्थयात्रियों के लिए भाजी बेचना शुरू किया ।

बता दें, गुजरात राज्य के जूनागढ़ जिले स्थित पहाड़ियां गिरनार नाम से जानी जाती हैं।यह जैनों का सिद्ध क्षेत्र है यहां से नारायण श्री कृष्ण के सबसे बड़े भ्राता तीर्थंकर भगवन देवादिदेव 1008 नेमिनाथ भगवान ने मोक्ष प्राप्त किया था ।

धीरूभाई अंबानी ने अपने पहले बिजनेस की शुरुआत के लिए धीरूभाई ने 350 वर्ग फुट के कमरे से की थी।जिसमें एक मेज, तीन कुर्सी, एक टेलीफोन और दो असिस्टेंट थे ।

ये भी देखें : बड़े एक्शन में योगी सरकार: दंगाइयों की अब खैर नहीं, AMU छात्रों के खिलाफ…

जानें कहां से आया बिजनेस का आइडिया

कुछ दिनों तक बाजार को करीब से देखने के बाद धीरूभाई को यह समझ में आ गया कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है और विदेशों में भारतीय मसालों की। बिजनेस का आइडिया उन्हें यहीं से आया ।

उन्होंने दिमाग लगाया और एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी।साल 2000 के दौरान ही अंबानी देश के सबसे रईस व्‍यक्ति बनकर भी उभरे थे ।

धीरूभाई ने बाद में अपने कारोबार का विस्तार किया।जिसमें पेट्रोकेमिकल्स, टेलीकम्युनिकेशन, इंफॉर्मेशन, टेक्नोलॉजी, एनर्जी, रिटेल, कैपिटल मार्केट, पॉवर, टेक्सटाइल इंडस्ट्री इत्यादि में अपने बिजनेस स्थापित किए ।

dheeru bhai ambani

ये भी देखें : अभी-अभी पाकिस्तान ने दनादन दागे मोर्टार: एक की मौत, NSA डोभाल ने लिया बड़ा फैसला

धीरूभाई अंबानी पार्टी करना बिल्कुल पसंद नहीं था

एक छोटे से कमरे से करोड़ों की रिलायंस इंडस्ट्रीज खड़ा कर देने वाले धीरूभाई अंबानी ने 6 जुलाई 2002 को दुनिया को अलविदा कह दिया।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब उनकी मौत हुई तब तक रिलायंस 62 हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी थी ।

धीरूभाई अंबानी के बारे में कहा जाता है उन्हें पार्टी करना बिल्कुल पसंद नहीं था। वह हर शाम अपने परिवार के साथ बिताते थे। उन्हें ज्यादा ट्रैवल करना भी पसंद नहीं था। विदेश यात्राओं का काम ज्यादातर वह अपनी कंपनी के अधिकारियों पर टाल देते थे। वह तब ही ट्रैवल करते, जब ऐसा करना उनके लिए अनिवार्य हो जाता था ।

देश के नामचीन मैगजीन ने अपने एक लेख में लिखा है कि धीरूभाई अंबानी हर रोज 10 घंटे काम करते थे। धीरूभाई कहते थे, '' जो भी यह कहता है कि वह 12 से 16 घंटे काम करता है। वह या तो झूठा है या फिर काम करने में काफी धीमा है ।

SK Gautam

SK Gautam

Next Story