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एजेंला मर्केल का दौरा भारत के लिए कई मायनों में खास, जानिए क्यों
तबीयत सही न होने की वजह से भी मर्केल चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खराब तबीयत के चलते एंजेला मर्केल को राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं होने के नियम से छूट दे दी गई थी।
नई दिल्ली: दो दिन के भारत दौरे पर जर्मन चांसलर एजेंला मर्केल आई हुई हैं। ऐसे में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मर्केल से अपने आवास पर मुलाक़ात की। प्रधानमंत्री आवास पर हुई इस बैठक को गुप्त रखा गया। दोनों देशों के कुछ खास मंत्री और अफसरों को ही इस गुप्त बैठक में शामिल किया गया था। इस बैठक में भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर, NSA अजीत डोभाल और विदेश सचिव विजय गोखले शामिल थे।
बनी 20 क्षेत्रों में सहयोग की सहमति
शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में मोदी के साथ मर्केल ने 5वीं आईजीसी में भाग लिया था। इसमें भारत और जर्मनी के बीच पांच क्षेत्रों में साझा सहयोग के समझौतों पर दस्तखत हुए। इनमें अंतरिक्ष, उड्डयन, नौसैन्य तकनीक, चिकित्सा और शिक्षा समेत 20 क्षेत्रों में सहयोग की सहमति बनी। इस दौरान दोनों नेताओं ने अपने विचार भी साझा किए।
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चांसलर मर्केल ने कहा कि, ‘हम चाहते हैं कि स्थिर विकास और जलवायु सुरक्षा के लिए दोनों देश साथ में गंभीरता से लंबे समय तक काम करें।’ इसके अलावा मर्केल की ओर से जम्मू-कश्मीर को लेकर भी बयान आया और उन्होंने कहा कि कश्मीर में हालात अच्छे नहीं, उम्मीद है कि इसमें बदलाव होगा।
नहीं हुई कश्मीर पर बात
हालांकि, इंटर-गवर्मेंटल कंसलटेशन (आईजीसी) बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच कश्मीर मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई। मगर ये पहला मौका नहीं है जब किसी विदेशी नेता ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने को लेकर कोई बयान दिया हो। इससे पहले अमेरिका समेत कुछ विदेशी सांसदों ने आर्टिकल 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंधों पर चिंता जताई थी।
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वहीं, इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, ‘हम आतंक के खिलाफ लड़ाई में अपने द्विपक्षीय रिश्तों और सहयोग को और भी ज्यादा मजबूत करेंगे। हम दोनों देशों के रिश्ते लोकतांत्रिक और कानून पर आधारित हैं। यही कारण है कि दुनिया के बड़े और गंभीर मामलों पर हमारे विचार एक से हैं। उन्होंने कहा- हम आभारी हैं कि जर्मनी ने निर्यात नियंत्रण क्षेत्र में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है। दोनों देश इन प्रयासों को जारी रखेंगे ताकि आपसी सहयोग बना रहे।’
पूरी तरह से औपचारिक है मीटिंग
यह मीटिंग पूरी तरह से औपचारिक है। हालांकि, इसपर सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर जर्मन चांसलर एजेंला मर्केल का दौरा भारत के लिए इतना जरूरी क्यों हैं? आखिर उनके भारत आने के पीछे का कारण क्या हो सकता है और जर्मनी के साथ भारत इतने करार क्यों कर रहा है? अगर आपके मन में भी ये बातें चल रही हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल हम आपको इसके बारे में अधिक जानकारी देंगे।
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जर्मनी के साथ इंडिया के शुरू से काफी घनिष्ठ संबंध रहे हैं। भले ही भारत और जर्मनी ने कभी सुर्खियां न बटोरी हों, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि दोनों के बीच कोई अनबन है। दोनों के बीच जो सबसे खास बात है, वो ये कि भारत का अगर यूरोप में किसी देश के साथ सबसे ज्यादा व्यापार है तो वो जर्मनी ही है।
भारत के लिए इसलिए जरूरी है एजेंला मर्केल का दौरा
वित्त वर्ष 2018 में भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापार $21.98 बिलियन का था। इसके अलावा जर्मनी के व्यापारिक भागीदारों के बीच भारत को कुल मिलाकर 26वां स्थान हासिल है। यही नहीं, जर्मनी से निर्यात-आयात के मामले में भारत क्रमश: 25वें और 27वें स्थान पर है। जर्मनी भारत में एक प्रमुख विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक भी रहा है; दिसंबर 2018 में इसका प्रत्यक्ष निवेश कुल $11.4 बिलियन था।
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बिजनेस के अलावा जर्मन चांसलर एजेंला मर्केल का दौरा भारत के लिए इसलिए भी जरूरी था क्योंकि इसमें एक चाइनीज एंगल भी है। दरअसल यूरोपियन संघ का जर्मनी एक डिफ़ाल्ट लीडर है। इसकी वजह ये है कि जर्मनी अपनी अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता के लिए ही जाना जाता है। ऐसे में अगर चीन के यूरोपियन संघ के साथ व्यापारिक रिश्ते अच्छे हैं तो उसमें जर्मनी एक अहम भूमिका निभाता है।
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वहीं, तबीयत सही न होने की वजह से भी एजेंला मर्केल चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खराब तबीयत के चलते एंजेला एजेंला मर्केल को राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं होने के नियम से छूट दे दी गई थी। एजेंला मर्केल के खराब स्वास्थ्य की वजह से केंद्र सरकार ने उन्हें खासतौर पर छूट दी थी। दिल्ली में शुक्रवार सुबह हुए कार्यक्रम के दौरान एजेंला मर्केल खड़ी नहीं हुई थीं। हालांकि, इसपर विवाद भी हुआ है।
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