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Rajasthan: गहलोत के खिलाफ पायलट के फिर तीखे तेवर, मांगों को लेकर नहीं करेंगे समझौता, संघर्ष जारी रखने का ऐलान
Rajasthan Politics: सचिन पायलट ने एक बार फिर अपनी मांगों पर जोर देते हुए कहा कि 2018 के चुनाव में जनता से किए गए वादों को निश्चित तौर पर पूरा करना होगा।
Rajasthan Politics: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच पैदा हुए विवाद का अभी तक नहीं सुलझ सका है। इस बीच सचिन पायलट ने एक बार फिर अपनी मांगों पर जोर देते हुए कहा कि 2018 के चुनाव में जनता से किए गए वादों को निश्चित तौर पर पूरा करना होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वे अपने मुद्दों से किसी सूरत में समझौता नहीं करेंगे।
वसुंधरा राज में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर एक दिवसीय अनशन के बाद सचिन पायलट राजधानी दिल्ली भी पहुंचे थे। इस दौरान उनकी कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी हुई थी मगर अभी तक कांग्रेस हाईकमान राजस्थान संकट को नहीं सुलझा सका है। सचिन पायलट अभी भी आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं और ऐसे में दोनों पक्षों के बीच समझौते की गुंजाइश नहीं दिख रही है।
जनता से किए वादों को करना होगा पूरा
जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान सचिन पायलट ने एक बार फिर उन मुद्दों की चर्चा की, जिन मुद्दों को लेकर उन्होंने पिछले दिनों राजधानी के शहीद स्मारक पर अनशन किया था। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाषणों में हमने जनता से कई वादे किए थे और इन वादों को पूरा करना ही होगा। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा मुद्दों और सिद्धांतों की राजनीति की है। वादों को लेकर न तो मैंने पहले कभी समझौता किया है और न आगे कभी समझौता करूंगा।
पायलट के इस बयान से साफ हो गया है कि वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बावजूद उनके तेवर अभी तक ठंडे नहीं पड़े हैं। हालांकि उन्होंने अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम नहीं लिया मगर वादों को पूरा न करने का जिक्र करके उनका निशाना गहलोत की ओर ही था। उन्होंने यहां तक कह डाला कि वह ऐसा विरोध करते हैं कि धुआं निकाल देते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में बहुत से मामलों की जांच की जा रही है और उसका हम स्वागत करते हैं मगर जिन वादों के आधार पर हमने 2018 में जनता से वोट हासिल किया था, उन वादों को भी पूरा करना होगा। हमें वसुंधरा राज के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के अपने वादे पर खरा उतरना होगा।
मर्यादा की सीमा का नहीं किया उल्लंघन
पायलट ने कहा कि मैंने हमेशा मर्यादापूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया है और मर्यादा की सीमा का कभी उल्लंघन नहीं किया। मैंने हमेशा शालीनता, विनम्रता, बुजुर्गों के सम्मान और भाईचारे की भावना को बनाए रखा है और आगे भी मैं इन्हीं सिद्धांतों पर चलता रहूंगा। मैं विरोध भी ऐसा करता हूं कि धुआं निकाल देता हूं मगर इसके साथ ही भाषा का संयम भी बरकरार रखता हूं। उन्होंने कहा कि मुंह से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं लिए जा सकते। इसलिए भाषा पर संयम बनाए रखना जरूरी है।
पायलट ने अपनी आगे की रणनीति का खुलासा करते हुए यह भी कहा कि मैंने जो मुद्दे उठाए हैं, उन मुद्दों को लेकर भी आगे चलकर मैं कोई समझौता नहीं करने वाला हूं। राजनीति में टकराव जरूर होता है मगर ओछी भाषा के इस्तेमाल से परहेज किया जाना चाहिए।
विवाद सुलझाने में हाईकमान नाकाम
राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है मगर कांग्रेस हाईकमान अभी तक इस विवाद को सुलझाने में नाकाम साबित हुआ है। एक बार फिर दोनों नेताओं के बीच गर्मागर्मी का माहौल दिख रहा है मगर अभी तक कांग्रेस हाईकमान पायलट को समझाने में नाकाम साबित हुआ है। कांग्रेस नेतृत्व गहलोत की अगुवाई में ही चुनाव मैदान में उतरने का इच्छुक है मगर इसके साथ ही पार्टी पायलट को भी नाराज नहीं करना चाहती।
इसी कारण पार्टी नेतृत्व की ओर से बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा जल्दी ही इस दिशा में प्रयास शुरू करेंगे। रंधावा अपनी कोशिशों में कहां तक कामयाब हो पाएंगे, इसे लेकर कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण कांग्रेस का यह आंतरिक संघर्ष पार्टी की चुनावी संभावनाओं के लिए मुसीबत बनता दिख रहा है।