×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

कैसे और कब से दें मम्मियां अपने बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग, इससे होता है बच्चों का सही ग्रोथ

यह ट्रेनिंग 1 साल से अधिक उम्र के बच्चों को देना जरूरी है ताकि वे धीरे-धीरे इसे अपनी आदत बना ले।  कुछ ऐसे टिप्स जिनकी मदद से अपने बच्चों को खुद टॉयलेट का इस्‍तेमाल करना सिखाएंगे।

suman
Published on: 21 July 2019 3:02 PM IST
कैसे और कब से दें मम्मियां अपने बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग, इससे होता है बच्चों का सही ग्रोथ
X

जयपुर: बच्चे बड़े होने के बाद भी शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते और बिना बताए कहीं भी टॉयलेट कर देते हैं जो कि बहुत ही खराब आदत हैं। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी हैं कि बच्चों को टॉयलेट ट्रेनिंग दें और उन्हें इसके सही तौर-तरीके सिखाएं। यह ट्रेनिंग 1 साल से अधिक उम्र के बच्चों को देना जरूरी है ताकि वे धीरे-धीरे इसे अपनी आदत बना ले। कुछ ऐसे टिप्स जिनकी मदद से अपने बच्चों को खुद टॉयलेट का इस्‍तेमाल करना सिखाएंगे।

भैया ये लाल लाल टमाटर है बहुते हानिकारक, हो जाओ सावधान नहीं तो….

जब भी आपका बच्चा मल- मूत्र करें किसी विशेष संकेत का इस्तेमाल करें और हर बार सुसु या पॉटी जैसे शब्दों को बोलें। बच्चा जल्द ही मल या मूत्र को उस संकेत को समझने लगेगा। शायद बोलना शुरु करने से पहले ही वह इस संकेत के जरिये उसे पेशाब या पॉटी करना है। ये संकेत बहुत आसान होने चाहिए, जैसे कि पैरों के बीच जमीन की तरफ या अपने नितंबों की तरफ इशारा करना। जब बच्चा इन संकेतों को दोहराने लग जाए, तो उसे तुरंत शौचालय ले जाएं।

नियमित अंतराल पर बच्चे को शौचालय ले जाएं, जैसे कि हर आधे या एक घंटे में। इस ​तरह उसे शौचालय का इस्तेमाल करने की आदत होगी और धीरे-धीरे वह शौचालय को मल या मूत्र से जोड़कर देखने लगेगा।

टॉयलेट ट्रेनिंग देते वक्त बच्चों को वॉशरूम सेटिंग समझाना शुरू करें। जैसे कहां हाथ धोने हैं और कहां फ्रेश होने के लिए जाना है। इसक अलावा बच्चे को जो डायपर पहनाया गया है अगर वह दो घंटे तक सूखा हुआ है तो इसका मतलब यह है कि वह अपने बॉडी फंक्शन्स को कंट्रोल करना सीख गया है। इसके अलावा अगर वह इशारों में बता रहा हो कि उसे वॉशरूम जाना है तो उसे टॉयलेट की ट्रेनिंग दें।

मर्द हो तो जान लो! शादीशुदा महिलाएं ऐसे लड़कों से ही करती हैं प्यार

टॉयलेट की ट्रेनिंग देते वक्त सबसे पहले इस चीज का पता कर लें कि बच्चा चलने लगा है कि नहीं और वह कुछ देर के लिए एक जगह बैठ सकता है कि नहीं। यदि वह ऐसा करने में सक्षम है तो उसे टॉयलेट की ट्रेनिंग दें। इसके अलावा ट्रेनिंग देने से पहले यह भी ध्यान रखें कि बच्चा कुछ काम अपने से करने लगा है या नहीं जैसे कि खुद चम्मच से खाना खाना।

बच्चे का अप्रत्याशित व आकस्मिक मल या मूत्रत्याग कर देना टॉयलेट ट्रेनिंग की प्रक्रिया का ही हिस्सा है। इसलिए उसके कपड़े बदलने और उसे साफ करने के लिए तैयार रहें, खासकर कि शुरुआती चरण में। अचानक मल या मूत्रत्याग कर देने पर शांत प्रतिक्रिया दें, इससे आपको चाहे कितनी भी परेशानी हो, मगर इसके बारे में बच्चे को डांटे न। इसके अलावा हो सकता है कि आपको अपने टॉयलेट में रखें कुछ सामान इधर उधर मिले या बिखेरा हुआ मिले।



\
suman

suman

Next Story