TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

पति-पत्नी के प्यार में खलल: बेडरूम में भी नहीं बनती बात तो जानें कौन से ग्रह का प्रभाव

आखिर पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता क्यों होता है?इसकी पीछे की वजह क्या होती है। इससे जानकर हम आने वाली परिस्थितियों से कुछ हद सचेत हो सकते है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 20 Sept 2020 11:29 AM IST
पति-पत्नी के प्यार में खलल: बेडरूम में भी नहीं बनती बात तो जानें कौन से ग्रह का प्रभाव
X
आखिर पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता क्यों होता है? इसकी पीछे की वजह क्या होती है।

जयपुर: आज के पति-पत्नी दोनों पढ़ें लिखे होते हैं। दोनों अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग होते हैं, लेकिन थोड़ी सी अहम और समझ की कमी दोनों के रिश्तों में वैचारिक मतभेद पैदा कर देती है। दोनों परिवार में अपनी बात रखने की बजाय में एकांत में विवाद करते है। ज्यादातर पत्नी का विवाद शयन कक्ष होता है। कभी वोे आपसी समझ से मामला सुलझा लेते है, लेकिन कभी- कभी बात गंभीर रूप ले लेती है। जिससे की वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में तनाव होने लगता है। विषम परिस्थितियों में बात तलाक तक पहुंच जाती है।आखिर पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता क्यों होता है? इसकी पीछे की वजह क्या होती है। इससे जानकर हम आने वाली परिस्थितियों से कुछ हद सचेत हो सकते है।

गुण मिलान

विवाह के पूर्व लड़के-लड़की के कुंडली का मिलान करना चाहिए। लड़के का गुण मिलान में अधिकतम 36 गुण माने गए है जिसमें से कम से कम 18 गुण मिलने पर विवाह मान्य होता है, लेकिन गुण मिलान के साथ दोनों की कुंडलियो में ग्रह और भाव को देखना चाहिए। यदि मिलान में दोष हो तो बेडरूम में झगड़े होंगे । ये दोष है ,गण दोष, नाड़ी दोष, को मिलान में श्रेष्ठ नहीं माना जाता। प्राय:देखा जाता है कभी – कभी

यह पढ़ें...राशिफल 20 सितंबर: धनु राशि वाले वाहन चलाते समय रहें सावधान, जानें बाकी का हाल

love fight सोशल मीडिया से

सप्तमेश स्थान पर ग्रहों का प्रभाव

सप्तम भाव को पति पत्नी के लिए देखा जाता है।वैवाहिक जीवन में सुख के लिए सप्तम भाव को शुभ स्थिति में होना होना चाहिए इस भाव के स्वामी पर कोई पाप प्रभाव नहीं होना चाहिए। सप्तमेश अगर पीड़ित होगा तो पति पत्नी के बीच विवाद की संभावना बन जाती है, इसके कुछ कारण होते है..

*सप्तम स्थान पर सूर्य, शनि, राहू, केतु, और मंगल का प्रभाव।

*गुरू का दोष पूर्ण होकर सप्तमेश पर प्रभाव।

* सप्तमेश का छठे, आठवें और बारहवें भाव में होना।

*सप्तम प्रभाव पाप कतर्री में होना होना।

* सप्तमेश पर पाप ग्रहों का प्रभाव।

love no सोशल मीडिया

मंगल दोष

पति-पत्नी में से अगर किसी एक में मंगल दोष है तो ये समस्या ज्यादा उत्पन्न होती है। प्राय: देखा गया हैं कि जिस दम्पति की कुंडली में मंगल दोष हैं, उनका मंगल दोष निवारण अन्य ग्रह से किया गया हैं उनमें मुख्यत: द्वादश: लग्न, चतुर्थ में स्थित मंगल वाले दम्पति में लड़ाई होती हैं, क्योंकि इसका मुख्य कारण सप्तम स्थान को शयन सुख में कमी देखा जाता है। मंगले के द्वादश और चतुर्थ में होने पर मंगल अपनी विशेष दृष्टि से सप्तम स्थान को प्रभावित करता हैं और यही स्थिति लग्नस्थ मंगल में देखने को मिलती हैं। लग्नस्थ मंगल जातक को अभिमानी बनाता है।इसलिए मांगलिक दोष वाले जातक का विवाह मांगलिक दोष वाले व्यक्ति से ही होना चाहिए।

शुक्र की स्थिति

ज्योतिष में शुक्र को स्त्री सुख प्रदाता माना जाता हैं। वैवाहिक सुख के लिए शुक्र का प्रबल और दोष रहित होना आवश्यक है। शुक्र कि स्थिति अनुसार ही पति-पत्नी से सुख मिलने का निर्धारण किया जाता हैं। अगर शुक्र नीच का हो,षष्ठ भाव और अष्ठम भाव में हो तो बेडरूम में झगड़ा होने की संभावना रहती हैं। शुक्र के द्वादश में होने पर जातक को पत्नी सुख नहीं मिलता हैं। यह योग मेष लग्न के जातक में विशेष देखने को मिलता है और बेडरूम में झगड़ा होता हैं।

यह पढ़ें...संजीवनी है 24 अक्षरों का ये मंत्र, हर लेता है हर कष्ट, जानें इसमें छिपा रहस्य

PLANET सोशल मीडिया

गोचर ग्रहों का प्रभाव

दाम्पत्यसुख में गोचर ग्रह का अपना महत्व हैं। सभी ग्रह गतिमान हैं और राशि परिवर्तन करते हैं। प्रत्येक राशि को अपना प्रभाव देकर सुखी और दुखी होने का कारण होते हैं। सर्वाधिक गतिमान चन्द्र प्रत्येक ढाई दिन में राशि परिवर्तन करता हैं और चन्द्रमा मनसो जातक के अनुसार मन का कारक होने, जलीय ग्रह होने से प्रेम की कमी कारक होता हैं। अत: प्रत्येक राशि में अन्य ग्रहों की स्थिति सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव प्रदान करता हैं। इसकी छठी, आंठवीं व बारहवीं स्थिति प्रेम को कम करती हैं शयन सुख में बाधा देती हैं। प्रत्येक ग्रह का प्रभाव दाम्पत्य जीवन पर सकारात्मक जहा आनन्द भर देता हैं वहीं नकारात्मक रति सुख नष्ट कर देता हैं।

दशा का प्रभाव

अगर किसी जातक की कुंडली में ऐसे दोष होते है और उन ग्रहों की दशा में ऐसा होना जरुरी है। ज्योतिष में ग्रहों की दशाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। इन्हीं ग्रहों के द्वारा व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के उतार-चढ़ाव आते हैं जिससे सुख-दुख की लड़ी जीवन में लगी रहती है। व्यक्ति के जीवन के संपूर्ण घटनाक्रम में अपना विशेष प्रभाव डालती हैं ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रहों दशा-अन्तदर्शा में सभी प्रकार का फल प्रदान करते हैं। ग्रह सर्वशक्ति संपन्न हैं तो अच्छा-बुरा कोई भी फल दे सकते हैं। से सच है कि वे अपनी दशा में आकर ही अपने संपूर्ण अच्छे-बुरे फलों का दर्शन कराती हैं।



\
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story