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स्थापना दिवस 2020: ईसा से भी पुराना है आंध्र प्रदेश का इतिहास

आंध्र प्रदेश एक काफी पुराना राज्य है। ईसा से करीब 200 वर्ष पूर्व ऐतरेय ब्राह्मण में इस राज्य का उल्लेख आया है। जिसमे बताया गया है कि आंध्र प्रदेश के निवासी मूल रूप से आर्य थे और उत्तर भारत में बसे थे

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Published on: 1 Nov 2020 8:25 AM GMT
स्थापना दिवस 2020: ईसा से भी पुराना है आंध्र प्रदेश का इतिहास
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स्थापना दिवस 2020: ईसा से भी पुराना है आंध्र प्रदेश का इतिहास (Photo by social media)

नई दिल्ली: आज आंध्र प्रदेश का स्थापना दिवस है। वर्ष 1956 को आंध्र प्रदेश के गठन के बाद से हर साल पहली नवंबर को इस स्थापना दिवस को मनाया जाता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोबिद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के स्थापना दिवस पर बधाई दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के स्थापना दिवस के मौके पर आज प्रदेशवासियों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया है कि मेहनत, सहृदय का दूसरा नाम आंध्र प्रदेश है। आंध्र प्रदेश के लोग हर क्षेत्र में आगे आ रहे हैं। आंध्र प्रदेश के स्थापना दिवस पर मेरी तरफ से बधाई। उनके विकास के लिए प्रार्थना करता हूं।

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ईसा से करीब 200 वर्ष पूर्व ऐतरेय ब्राह्मण में इस राज्य का उल्लेख आया है

आंध्र प्रदेश एक काफी पुराना राज्य है। ईसा से करीब 200 वर्ष पूर्व ऐतरेय ब्राह्मण में इस राज्य का उल्लेख आया है। जिसमे बताया गया है कि आंध्र प्रदेश के निवासी मूल रूप से आर्य थे और उत्तर भारत में बसे थे, जहां से वे विंध्य पर्वतों के दक्षिण तक चले आए। कालान्तर में वे गैर आर्यों के साथ मिल गये। इतिहासकारों के मुताबिक आंध्र प्रदेश का इतिहास 236 ईसा पूर्व से मिलना शुरू होता है।

जबकि सम्राट अशोक के 13वें शिलालेख में आंध प्रदेश के उनके अधीन होने की जानकारी भी सामने आयी है। सम्राट अशोक के बाद के शातवाहन, इक्ष्वाकु, पूर्वी चालुक्य और काकतीय ने इस तेलुगु भाषी राज्यों पर शासन किया। उनके बाद में विजयनगरम और कुतुबशाही शासकों का शासन रहा। 17 वीं शताब्दी में मीर कमरूद्दीन के शासनकाल में अंग्रेजों ने देश के कई हिस्सों पर कब्जा किया और मद्रास प्रेसिडेंसी की स्थापना की।

वर्ष 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद भी भारत के हिस्से में आये आंध्र प्रदेश ने पाकिस्तान के साथ जाने की इच्छा जाहिर की लेकिन देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से वर्ष 1948 में आंध्र प्रदेश का भारत में विलय हुआ। दरअसल, वर्ष 1947 के विभाजन के समय हैदराबाद के निजाम ने आंध्र प्रदेश को स्वतंत्र राज्य बनाने की इच्छा जतायी लेकिन आंध्र प्रदेश के निवासी भारतीय संघ में शामिल होने के पक्ष में थे। आंध्र निवासियों ने इसके लिए आंदोलन शुरू कर दिया।

निजाम ने भी बगावत कर दी तो गृहमंत्री सरदार पटेल ने वहां सख्ती की और सैन्य आपरेशन शुरू कर दिया

इधर, निजाम ने भी बगावत कर दी तो गृहमंत्री सरदार पटेल ने वहां सख्ती की और सैन्य आपरेशन शुरू कर दिया। 05 दिनों तक आपरेशन चलने के बाद वर्ष 1948 में निजाम को भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनना पड़ा। इसके बाद 01 अक्टूबर 1953 को आन्ध्र का गठन किया गया और कर्नूल को इसकी राजधानी बनाया गया। इसके बाद 01 नवम्बर 1956 को एकीकृत आन्ध्र प्रदेश के निर्माण के लिए तेलंगाना का आंध्र में विलय कर हैदराबाद को उसकी राजधानी बनाया गया। हालांकि तेलांगना के लोगों को आंध्र में विलय रास नहीं आया और विभाजन की मांग लगातार उठती रही। फरवरी 2014 में एकीकृत आंध्र प्रदेश का विभाजन किया गया। जिसके तहत तेलंगाना में 10 और आन्ध्र प्रदेश में 13 जिले शामिल किए गए।

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भौगोलिक दृष्टि से आन्ध्र प्रदेश उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिलनाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। यहां कुल फसल में 77 फीसदी फसल धान की होती है इसीलिए इसे भारत का धान का कटोरा कहा जाता है। राज्य में दो प्रमुख नदिया गोदावरी और कृष्णा बहती हैं।

मनीष श्रीवास्तव

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