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700 साल पुराने इस मंदिर की महिमा है निराली, लगता है श्रद्धालुओं का तांता
अमृतसर में स्थित दुर्ग्याणा मंदिर स्थित शीतला माता मंदिर की महिमा जग प्रसिद्ध है। नवरात्र के दिनों में यहां 24 घंटे भक्तों का तांता लगा रहता है
दुर्गेश पार्थसारथी, अमृतसर
वैसे तो आम तौर पर अमृतसर की पहचान गोल्डन टेंपल और जलियांवाला बाग के रूप में है। लेकिन यहां स्थित दुर्ग्याणा मंदिर स्थित शीतला माता मंदिर की महिमा भी जग प्रसिद्ध है। जिस जगह पर दुर्ग्याणा मंदिर का भव्य निर्माण हुआ है उस जगह को शीतला माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
चढ़ाया जाता है कच्चा दूध
नवरात्र के दिनों में यहां 24 घंटे भक्तों का तांता लगा रहता है। करीब 800 साल पुराने इस शीतला माता मंदिर में माता को कच्ची लस्सी यानी कच्चा दूध चढ़ाया जाता है। इसी दूध को भक्त प्रसाद के तौर पर घर लेकर आते हैं। कहा जाता है कि जिनको चेचक निकलती वे इस मंदिर में जा कर इसी कच्ची लस्सी का अपने शरीर पर छींटे मरवाते हैं तो उन्हें राहत मिलती है।
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मान्यता है कि यहां स्थित माता की प्रतिभा स्वयं भू है। इन्हीं माता के नाम पर आज के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर का नाम भी दुर्ग्याणा मंदिर रखा गया था। इस लिए दुर्ग्याणा मंदिर को स्थानीय लोग शीतला माता मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
मंदिर में प्रतिष्ठापित हैं तीन देवियां
शीतला माता मंदिर में प्रतिष्ठापित हैं तीन देवियां। ये माता शीतला, माता काली और माता सरस्वती हैं। इन्हीं देवियों के उपर सुशोभित है पांच किलो का चांदी का छत्र। मान्यता है कि मां शीतला का रूप शांति और शीतलता प्रदान करता है, जिनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए देश-विदेश से भक्त यहां पहुंचते हैं। माता शीतला का यह मंदिर दुर्ग्याणा मंदिर परिसर में स्थित है।
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मंदिर परिसर में विभिन्न देवियों के विग्रह प्रतिष्ठापित हैं। यहां वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन नवरात्र के नवों दिनों यहां आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। ऐसे में जब हाथों में पूजा की थाली लिए भक्त एक-एक पग मंदिर की तरफ बढ़ता है तो आस्था सजीव हो उठती है। यहां पूरे नौ दिन दुर्गास्तुति और अनुष्ठान चलता रहता है।
कर्फ्यू की वजह से नहीं हो पाएंगे दर्शन
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चैत्य नवरात्र की पूर्व संध्या पर गुरु नगरी के सभी मंदिरों को सजाया गया है। दुर्ग्याणा मंदिर प्रबंधन का कहना है उन्होंने अपनी तरफ से भी तैयारियां पूरी कर रखी है। लेकिन कोरोना वायरस और पंजाब में लगे कर्फ्यू को देखते हुए अनुरोध है कि इस बार भक्त घर पर रह कर ही शीतला माता और इनके नौ रूपों की आराधना करें। मंदिर प्रबंधन का कहना है कि वैसे तो पूरे मंदिर और धर्मशालाओं को सैनिटाइज किया जा रहा है। फिर भी भक्तों से अनुरोध है कि वे एहतियात के तौर पर घर पर ही रह कर पूजा-अर्चना करें।