पांच सालों में गैरभाजपाई दलों के लिए परेशानी का सबब बनी ये पार्टी

देश के किसी भी कोने में कैसा भी चुनाव हो मुस्लिम वोटों की जंग हर चुनाव में देखने को मिलती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मुस्लिम वोटों को केन्द्रित कर राजनीति करने वाली एआईएमआईएम सभी दलों का गणित बिगाड़ने के काम में जुटी हुई है।

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Published on: 3 Dec 2020 4:14 AM GMT
पांच सालों में गैरभाजपाई दलों के लिए परेशानी का सबब बनी ये पार्टी
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पांच सालों में गैरभाजपाई दलों के लिए परेशानी का सबब बनी ये पार्टी

नई दिल्ली: देश के किसी भी कोने में कैसा भी चुनाव हो मुस्लिम वोटों की जंग हर चुनाव में देखने को मिलती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मुस्लिम वोटों को केन्द्रित कर राजनीति करने वाली एआईएमआईएम सभी दलों का गणित बिगाड़ने के काम में जुटी हुई है।

यूपी में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के पहले इस पार्टी ने निकाय चुनाव ने ही इस बात के संकेत दे दिए थे। इसके पहले विधानसभा के उपचुनाव में भी उसने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी थी। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने 29 सभासदों को जिताने का काम किया था। इसके बाद जब यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए तो उसने 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। 403 में से जिन 38 सीटों पर एआईएमआईएम ने प्रत्याशी खडे किए, उनमें चार पर उसे दूसरा स्थान हासिल हुआ था।

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विधानसभा चुनाव में 1.24 % वोट एआईएमआईएम को मिले

हाल ही में बिहार विधानसभा के चुनाव में चार करोड़ से ज्यादा वोटिंग हुई थी और इनमें से 1.24 फीसद वोट एआईएमआईएम को मिले हैं। आईएमआईएम ने सीमांचल में 5 सीटें जीतकर कमाल का प्रदर्शन किया है। तेलंगाना और बिहार के अलावा महाराष्ट्र में पार्टी के पास दो विधायक और एक सांसद है। अब जब पश्चिम बंगाल में चुनाव होने है तो गैरभाजपा दलों के लिए यह पार्टी मुसीबत का सबब बन रही है।

...तो इन सभी दलों का गणित बिगड़ सकता है

इस राज्य के मुर्शिदाबाद में तो करीब 66.3 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। इसी तरह मालदा जिले में 12 विधानसभा सीटें आती हैं और यहां मुस्लिम आबादी 51.3 प्रतिशत है। उत्तर दिनाजपुर जिले में मुस्लिम आबादी 49.9 प्रतिशत है। इस रीजन में 9 विधानसभा सीटें आती हैं। बीरभूमि में मुस्लिम आबादी 37.1 प्रतिशत है। 24 परगना जिले में मुस्लिम आबादी 35.6 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में 31 विधानसभा सीटें हैं। जिन पर गैरभाजपा दलों की निगाह जमी हुई है। लेकिन ओवेसी की पार्टी के अपने प्रत्याशी उतारने से इन सभी दलों का गणित बिगड़ सकता है।

एक अनुमान के अनुसार पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटों की सख्या लगभग 32 से 35 प्रतिशत है। इनमें से कुछ जिले मालदा मुर्शिदाबाद तथा चौबीस परगना आदि में मुसलमानों की बड़ी आबादी है। राज्य की कुल 294 विधानसभा सीटों में से 98 विधानसभा क्षेत्रों में 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। जो किसी भी दल का राजनीतिक गणित बिगाडने की ताकत रखते हैं।

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अगले साल ही तमिलनाडु में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। वहां के लिए भी ओवैसी तैयारी कर रहे हैं। तमिलनाडु में वेल्लोर और रामनाथपुरम, दो ऐसे जिले हैं जहां मुसलमानों की अच्छी-खासी तादाद है। 2019 में आईयूएमएल ने रामनाथपुरम सीट जीत ली थी। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर ओवैसी तमिलनाडु चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारते हैं तो राजनीतिक दलोें के लिए बेहद खतरनाक साबित होेगें।

श्रीधर अग्निहोत्री

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