TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

नीतीश फेल: तो सुशासन बाबू का क्या होगा अगला कदम, क्या फिर बदलेंगे गाड़ी

बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं का नारा लगाकर जदयू ने पिछले सालों में सत्ता पर कब्जा तो बनाए रखा लेकिन सुशासन बाबू नीतीश कुमार अपनी लोकप्रियता की रेलगाड़ी को पटरी पर बनाए रखने में कामयाब नहीं रहे।

Newstrack
Published on: 11 Nov 2020 6:46 PM IST
नीतीश फेल: तो सुशासन बाबू का क्या होगा अगला कदम, क्या फिर बदलेंगे गाड़ी
X
नीतीश फेल: तो सुशासन बाबू का क्या होगा अगला कदम, क्या फिर बदलेंगे गाड़ी

अखिलेश तिवारी

पटना। लालू-राबड़ी राज के घनघोर कुशासन के बाद नीतीश कुमार ने जब बिहार की सत्ता संभाली तो जल्द ही उन्हें सुशासन बाबू का तमगा मिल गया। अपराध मुक्त समाज व विकास की आकांक्षा से लबरेज बिहार के मतदाताओं ने संभावनाओं को टटोलते हुए उन्हें सिर-माथे पर बिठाया। उन्हें 115 सीटों का जादुई आंकड़े पर भी पहुंचाया लेकिन सुशासन बाबू बाद में मतदाताओं की कसौटी पर फिसलते गए और पिछले दस साल से लोकप्रियता के ग्राफ पर लगातार नीचे की ओर ही गोता लगाते रहे हैं।

बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं

बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं का नारा लगाकर जदयू ने पिछले सालों में सत्ता पर कब्जा तो बनाए रखा लेकिन सुशासन बाबू नीतीश कुमार अपनी लोकप्रियता की रेलगाड़ी को पटरी पर बनाए रखने में कामयाब नहीं रहे। यही वजह है कि पिछले दस साल के दौरान उन्हें राजद के तेजस्वी से लेकर जीतन मांझी तक बार -बार समझौता करना पड़ा है। भाजपा के साथ समझौते की रेल पर सवार हुए पूर्व रेलमंत्री अंतिम पारी का ऐलान करने के बावजूद अपनी लाज बचाने में नाकाम रहे और बिहार की राजनीति में भाजपा के मुकाबले आधे पर खड़े दिखाई दे रहे हैं।

bihar cm nitish kumar-2

2010 में लोकप्रियता के शीर्ष पर दिखे नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्रियों में नीतीश कुमार पहले हैं जो सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने को तैयार हैं। अब तक वह छह बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ तो उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराने के बाद ली है। लालू-राबड़ी राज से तंग आ चुकी बिहार की जनता ने जब बदलाव का मंत्र फूंका तो वर्ष 2000 में 34 विधायकों को जिता कर लाने की वजह से एनडीए ने उन्हें अपना नेता चुना और उन्होंने तीन मार्च 2000 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बहुमत नहीं मिलने पर उन्होंने दस मार्च को त्यागपत्र दे दिया।

ये भी देखें: अर्नब की सुप्रीम जमानत: हर तरफ खुशी की लहर, पूरे देश में मच गया शोर

भाजपा के सहयोग से सरकार बनाई

2005 में 88 विधायक और 2010 में 115 विधायकों को जिताकर लाने वाले नीतीश ने भाजपा के सहयोग से सरकार बनाई। लालू-राबड़ी विरोध के प्रतीक बन चुके नीतीश ने 2015 में उनके बेटे तेजस्वी से हाथ मिला लिया और अलोकप्रियता की ट्रेन पर सवार होकर 71 विधायकों के दम पर सरकार बनाने में कामयाब रहे।

bihar cm nitish kumar-3

अगले जंक्शन से नई गाड़ी बदलनी होगी

जुलाई 2017 में उन्होंने तेजस्वी के साथ नाता तोडक़र दोबारा एनडीए का दामन थाम लिया लेकिन अलोकप्रियता की जिस डगर पर वह चल पड़े थे उसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ा। अंतिम पारी का ऐलान करने के बावजूद वह 2020 में 43 सीट ही जीतने में कामयाब रहे। अपना वादा पूरा करने के इरादे से भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने के लिए तैयार है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सुशासन बाबू क्या अपनी खोई लोकप्रियता की एक्सप्रेस ट्रेन पर दोबारा सवार हो पाएंगे या उन्हें अगले जंक्शन से नई गाड़ी बदलनी होगी।

ये भी देखें: बिहार में दहली BJP: पेड़ से लटकाई गई नेता के बेटे की लाश, जीत की खुशी बनी मातम

bihar cm nitish kumar-4

नीतीश कुमार को विधानसभा में मिली जीत

2000: 34 विधायक

2005: 88 विधायक

2010: 115 विधायक

2015: 71 विधायक

2020: 43 विधायक

दो देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें



\
Newstrack

Newstrack

Next Story