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कांग्रेस नेतृत्व ने असंतुष्टों के पर कतरे, जी-23 के नेताओं के नाम काटकर बड़ा संदेश
कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अभी तक पश्चिम बंगाल का दौरा नहीं किया है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने वाम मोर्चा और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ समझौता किया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची से साफ है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने असंतुष्ट नेताओं के पर पूरी तरह कतरने का बड़ा फैसला कर लिया है। कांग्रेस की सूची में जी-23 यानी असंतुष्ट नेताओं के खेमे के किसी भी सदस्य को जगह नहीं दी गई है। सूची में कई छोटे कद के नेताओं को तो जगह दी गई है मगर गुलाम नबी आजाद आनंद शर्मा भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनीष तिवारी जैसे नेताओं के नाम गायब हैं। इसे असंतुष्ट नेताओं को कांग्रेस हाईकमान का बड़ा संदेश माना जा रहा है।
असंतुष्टों को कोई अहमियत नहीं
गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में जम्मू में असंतुष्टों के सम्मेलन में जुटने वाले सारे नेताओं के नाम सूची से गायब हैं। इस सूची से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भले ही असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई न करे मगर भविष्य में पार्टी के फैसलों में इन नेताओं को कोई अहमियत नहीं मिलने वाली है।
बंगाल में कांग्रेस का चुनावी गठबंधन
कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अभी तक पश्चिम बंगाल का दौरा नहीं किया है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने वाम मोर्चा और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ समझौता किया है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार के लिए पार्टी की ओर से 30 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गई है। इस सूची में सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका के साथ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नाम को भी शामिल किया गया है।
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सूची में इन नेताओं के नाम शामिल
राजस्थान में गहलोत के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन का नाम भी सूची में शामिल है। इस सूची में मलिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, अधीर रंजन चौधरी, कमलनाथ, रणदीप सुरजेवाला, सलमान खुर्शीद जैसे बड़े चेहरों के नाम शामिल हैं। इनके साथ ही दीपा दास मुंशी, पवन खेरा, आलमगीर आलम, प्रदीप भट्टाचार्य, एएच खान चौधरी, अब्दुल मन्नान और बीपी सिंह सरीखे चेहरों को भी सूची में जगह दी गई है।
इन बड़े चेहरों का काट दिया पत्ता
सूची की सबसे काबिलेगौर बात यह है कि कई छोटे कद के नेताओं को सूची में जगह मिल गई है मगर राज्यसभा में पार्टी के नेता रहे गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, यूपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज बब्बर, विवेक तन्खा, रेणुका चौधरी, वीरप्पा मोइली, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक, संदीप दीक्षित और दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली जैसे नेताओं के नाम इस लिस्ट से पूरी तरह नदारद हैं। इन सभी नेताओं को जी-23 का सदस्य माना जाता रहा है और इन नेताओं ने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव कराने और स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग की थी।
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जम्मू सम्मेलन में बोला था नेतृत्व पर हमला
असंतुष्ट नेताओं की ओर से पिछले दिनों जम्मू में सम्मेलन का आयोजन भी किया गया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के बुलावे पर असंतुष्ट खेमे से जुड़े कई नेता इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जम्मू में पहुंचे थे। सम्मेलन में कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा आदि ने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल भी उठाए थे। सिब्बल ने राज्यसभा से आजाद की विदाई पर कांग्रेस नेतृत्व को घेरा था।
आनंद शर्मा ने गठबंधन पर उठाए थे सवाल
आनंद शर्मा ने राहुल खेमे की ओर इशारा करते हुए कहा था कि हम भी पार्टी में दरवाजे से ही आए हैं। अब कोई हमें कांग्रेस के सिद्धांतों के बारे में नसीहत न दे। आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में पीरजादा की पार्टी के साथ गठबंधन करने पर भी सवाल उठाए थे जिसके बाद अधीर रंजन चौधरी ने उन पर जवाबी हमला बोला था।
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अब नहीं मिलेगी कोई जिम्मेदारी
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची से साफ है कि कांग्रेस नेतृत्व अब भविष्य में असंतुष्ट नेताओं को कोई महत्व नहीं देने वाला है। सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अब असंतुष्ट नेताओं के पर कतरने में जुट गया है। इन नेताओं पर पार्टी नेतृत्व की ओर से भले ही कार्रवाई न की जा रही हो मगर पार्टी में अब इन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिलने वाली।
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