TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

गुरु गोविंद सिंह के ये छोटे साहिबजादे: चुनवा दिए गए थे जिंदा, ऐसी है सरहिंद की कहानी

पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब में स्थित सरहिंद का भारतीय इतिहास में अपनी अलग पहचान है। यह वही धरती जहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह साहिब को सरहिंद के सूबा वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। यह दौर था मुगलिया सल्‍तनत के सबसे क्रूर शासक औरंगजेब का।

Shivani Awasthi
Published on: 17 March 2020 2:36 PM IST
गुरु गोविंद सिंह के ये छोटे साहिबजादे: चुनवा दिए गए थे जिंदा, ऐसी है सरहिंद की कहानी
X

सरहिंद : पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब में स्थित सरहिंद का भारतीय इतिहास में अपनी अलग पहचान है। यह वही धरती जहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह साहिब को सरहिंद के सूबा वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। यह दौर था मुगलिया सल्‍तनत के सबसे क्रूर शासक औरंगजेब का।

युगों युगों तक याद रखी जाने वाली शहादत गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को 25/26 दिसंबर 1704 को बहुत कम उम्र में मिली । सिख धर्म में इसे शाका सरहिंद के नाम से जाना जाता है। यहां प्रतिवर्ष 24 से 26 दिसंबर को इसी शहीदी स्‍थल पर जोड़ मेला आयोहित किया जता है। इस मेले में देश दुनिया हजारों की संख्‍या में संगत पहुंचती है।

यह है इतिहास

सन 1704 में किला श्री आनंदपुर साहिब पर पहाड़ी राजाओं और मुग़लों ने हमला बोल दिया। लगभग आठ महीने तक पहाड़ी राजाओं और मुगलों की सेनाओं ने किले की घेरा बंदी कर रखी थी। यहां भयंकर युद्ध हुआ। आनंदपुर साहिब से चलकर जब गुरु जी अपने परिवार तथा सिंहों समेत सरसा नदी के किनारे पहुंचे तो सरसा में भयानक बाढ़ आई हुई थी। पीछे मुगलों की दुश्मन फौज थी।

ये भी पढ़ें: यहां राक्षसी की होती है पूजा: चमत्कारों से प्रसिद्ध है हिडंबा मंदिर, दफन हैं कई राज

नदी पार करते समय गुरु जी का परिवार बिखर गया। गुरु जी का रसोइया गंगू माता गुजरी व छोटे साहिबजादों को अपने साथ गांव सहेढ़ी में ले आया। लेकिन यहां उसने गुरु साहिब के साथ धोखा किया और फिर उसने लालच में आकर माता जी व साहिबजादों को गिरफ्तार करवा दिया। माता जी व साहिबजादों को गिरफ्तार करके सरहिंद के सूबेदार सूबा वजीर खान के पास लाया गया। यहां उन्हें ठंडे बुर्ज में कैद करके रखा गया।

अगले दिन उन्‍हें कचहरी में पेश किया गया। यहां सूबेदार वजीन खान ने साहिबजादों को मुस्लिम धर्म स्‍वीकार करने के लिए कई तरह के लालच दिए, डराया लेकिन साहिबजादों ने अपना धर्म छोड़ना मंजूर नहीं किया। इन सात और दस साल के दोनों साहिबत जादों को दो दिन कचहरी में पेश किया जाता रहा। परंतु साहिबजादे नहीं माने। अंत में वजीर खान ने साहिबजादों को जिंदा ही दीवार में चिनवाकर शहीद करने का फतवा जारी करवा दिया।

ये भी पढ़ें: बर्फ में नग्न रहता है ये साधु: फिर भी आह तक नहीं करता है, जानें इनके बारे में

दीवान टोडरमल ने किया अंतिम संस्‍कार

साहिबजादों को वजीर खान का आदेश पर 13 पौष के दिन दीवार में चिनवाया गया। जब साहिबजादे दीवारों में बेहोश हो गए तो उन्हें बाहर निकाल कर शहीद कर दिया गया। यह बात जब माता गुजरी जी को पता चली वह भी श्री अकाल पुरख के चरणों में जा विराजीं। शहीदी के बाद दीवान टोडरमल ने माता जी तथा साहिबजादों के पवित्र शरीर का अंतिम संस्कार करने की अनुमति मांगी। लेकिन क्रूर वजीर खान ने कहा कि जितनी जगह तुम्‍हें संस्कार के लिए चाहिए उस पर स्वर्ण मुद्राएं खड़ी करके रखी जाएं। दीवान टोडरमल ने अपनी सारी दौलत से यह जगह खरीदी और अंतिम संस्कार किया।

ये भी पढ़ें: कमलनाथ के 10 दिन: क्या बचा पाएंगे सत्ता या BJP के इन विकल्पों से गिरेगी सरकार

बाबा बंदा सिंह बहादुर ने फतेह किया सरहिंद

शाहिब जादों की शहादत के बाद बाबा बंदा सिंह बहादुर ने 12 मई, 1710 को सरहिंद पर हमला किया। सरहिंद किले की ईंट से ईंट बजाकर साहिबजादों की शहीदी का बदला लेकर खालसा का राज कायम किया।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story