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यहां राक्षसी की होती है पूजा: चमत्कारों से प्रसिद्ध है हिडंबा मंदिर, दफन हैं कई राज

प्रकृति की गोद में बसे हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। इसी देव भूमि पर बसा है मनाली शहर। इसे मनु की नगरी भी कहा जता है।

Shivani Awasthi
Published on: 17 March 2020 7:48 AM GMT
यहां राक्षसी की होती है पूजा: चमत्कारों से प्रसिद्ध है हिडंबा मंदिर, दफन हैं कई राज
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दुर्गेश पार्थसारथी, अमृतसर :

मनाली: प्रकृति की गोद में बसे हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। इसी देव भूमि पर बसा है मनाली शहर। इसे मनु की नगरी भी कहा जता है। मान्‍यता है कि जब सृष्टि में जलप्रलय आया था तो महाराज मनु ने भगवान विष्णु की मदद से इसी स्थान पर शरण ली थी। और यहीं से दोबार धरती पर सृष्टि का संचार हुआ था। खैर यह तो अन्‍वेषण और अनुसांधान का विषय है।

वर्षभर पर्यटकों से भरे रहने वाले मनाली का सबसे बड़ा आकर्षण और धर्मस्‍थल है माता हिडंबा का मंदिर। देवदार और चीनार के घने पेड़ों के बीच ऊंची पहाड़ी बना हिडंबा मंदिर महाभारत में वर्णित भीम की पत्‍नी का है। राक्षस कुल में जन्‍मी और पांडव परिवार की बहू हिडंबा मनाली की सबसे बड़ी देवी हैं। कहा जाता है कि जो पर्यटक मनाली आए और माता हिडंबा का दर्शन न करे तो उसकी यात्रा सार्थक नहीं मानी जाती। कुल्‍लू-मनाली के लोगों का विश्वास है कि माता अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।

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पैगोडा शैली में बना है हिडंबा मंदिर, काष्‍ठ की हैं मूर्तियां

महाबलशाली भीम की पत्‍नी का मां हिडिंबा का मंदिर पैगोडा शैली में बना है। यह मंदिर मनाली बस स्टैंड से करीब एक किलोमीटर की ऊंचाई पर है। मंदिर के अंदर देवी-देवताओं की मूर्तियां काष्‍ठ पर उकेरी गई हैं। यह मंदिर हिडंबा, हिडिम्बी देवी या हिरमा देवी को समर्पित है। इस विशाल मंदिर का प्रवेश द्वार छोटा और पतला है। इस मंदिर में वर्षभर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है।

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पहले चढ़ाई जाती थी बली

कुछ वर्ष पहले तक माता हिडंबा मंदिर में बलि चढ़ाने की परंपरा रही है। लेकिन अब यह परंपरा बंद हो गई है। मंदिर परिसर में लटके जानवरों के सिंग इसकी गवाही देते हैं। कुल्लू प्रसिद्ध दशहरा मेले की शुरूआत देवी हिडिंबा की पूजा से होती है।

1553 करवाया गया था मंदिर का निर्माण

हिडिंबा मंदिर का निर्माण कुल्लू के शासक बहादुर सिंह (1546-1569 ई.) ने 1553 में करवाया था। मंदिर की दीवारें परंपरागत पहाड़ी शैली में बनी हैं। प्रवेश द्वार काष्‍ठ कला का उम्‍दा नमूना है। ये मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित है। अप्रैल-मई में माता हिडिंबा मंदिर परिसर में छोटा दशहरा का मेला लगता है।

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महात्‍मा मनु का मंदिर भी दर्शनीय

मनाली में हिडिंबा मंदिर के अलावा वहां महात्‍मा मनु का भी मंदिर है। मान्यता है कि इन्‍हीं महात्‍मा मनु के नाम पर इस नगर का नाम मनाली पड़ा। इस मंदिर में भी वर्षभर पर्यटकों भी भीड लगी रहती है।

महाभारत से जुड़ा है हिडंबा का इतिहास

धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार हिडंबा का इतिहास महाभारत के भीम से जुड़ा है। कथा के अनुसार जब पांडवों का घर (लाक्षागृह) जला दिया गया तो विदुर के कहने पर वे सुरंग के रास्‍ते वहां से भागकर एक दूसरे वन में गए। इस वन में पीली आंखों वाला हिडिंबसुर राक्षस अपनी बहन हिंडिबा के साथ रहता था।

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एक दिन हिडिंब ने अपनी बहन हिंडिबा से वन में भोजन की तलाश करने के लिये भेजा परन्तु वहां हिंडिबा ने पांचों पांडवों सहित उनकी माता कुन्ति को देखा। इस राक्षसी का भीम को देखते ही उससे प्रेम हो गया इस कारण इसने उन सबको नहीं मारा जो हिडिंब को बहुत बुरा लगा। फिर क्रोधित होकर हिडिंब ने पाण्डवों पर हमला किया, इस युद्ध में भीम ने हिडंब को मार डाला और फिर वहां जंगल में कुंती की आज्ञा से हिडिंबा एवं भीम दोनों का विवाह हुआ। इन्हें घटोत्कच नामक पुत्र हुआ।

कैसे पहुंचे मनाली

हिमाचल प्रदेश का यह सबसे बड़ा पर्यटन स्‍थल है। यहां दिल्‍ली, हरियाण, पंजाब चंडीगढ़ से बस या निजी साधनों से पहुंचा जा सकता है। यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन उना है जो मनाली से 250 किमी, चंडीगढ़ से 315 किमी, पठानकोट से 325, कालका से 310 किमी और जोगिंदर नगर 135 किमी की दूरी पर है। जबकि यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा भुंतर है जो मनाली से करीब 50 किमी की दूरी पर है।

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