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भोलेबाबा को करना है खुश तो चढ़ाएं बेलपत्र, आ रही महाशिवरात्रि

भोले बाबा सिर्फ जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। हिन्दू पुराणों के अनुसार जब देवताऔर असुर मिल कर समुद्र मंथन कर रहे थे। उस दौरान कालकूट नाम का विष निकला। जिसके कारण देवता और राक्षसो में हाहाकार मच गया। तभी सभी देवताओं और असुरों ने मिलकर भगवान शिव से विनती किया....

Shweta Pandey
Published on: 8 March 2021 1:23 PM GMT
भोलेबाबा को करना है खुश तो चढ़ाएं बेलपत्र, आ रही महाशिवरात्रि
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भोलेबाबा को करना है खुश तो चढ़ाएं

नई दिल्लीः भोले बाबा सिर्फ जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। हिन्दू पुराणों के अनुसार जब देवताऔर असुर मिल कर समुद्र मंथन कर रहे थे। उस दौरान कालकूट नाम का विष निकला। जिसके कारण देवता और राक्षसो में हाहाकार मच गया। तभी सभी देवताओं और असुरों ने मिलकर भगवान शिव से विनती किया। और बाबा भोले नाथ ने विष को अपनी हथेली पर रखकर पी लिया। और अपने कंठ में विष को रख लिया। जिसके वजह से बाबा भोले का कंठ नीला पड़ गया।

यही कारण है कि बाबा को नीलकंठ भी कहा जाता है। लेकिन विष पीने के बाद से महादेव का मस्तिष्क गरम हो गया।जिसके बाद से देवताओं ने बाबा के मस्तिष्क को ठंडा करने के लिए उनके ऊपर जल और बेलपत्र चढ़ाए। इस लिया मान्यता है कि बेलपत्र और जल से पूजा बाबा की कृपा होती हैं। बेलपत्र शिवजी को चढ़ाने से जीवन में चमत्कार होता है

बेलपत्र को चढ़ाते समय रखें इन बातों पर ध्यानः

नीलकंठ को बेलपत्र चढ़ाते समय यह ध्यान रखना होगा कि अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली से ही चढ़ाये। बाबा को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।

बाबा को तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इसके मूलभाग में सभी तीर्थों का वास होता है।

कहा जाता है कि जिस घर में बेल का वृक्ष होता है वहां धन की बरसात होती है

जो भी भक्त बाबा को सच्चे दिल से बेलपत्र चढ़ाता है उसके सारे दुख तकलीफ दूर हो जाते हैं। और बाबा सारी मनोकामनाएं पूरी करते है।

बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।

ये भी मान्यता है कि बाबा को बेलपत्र चढ़ाते समय यह जरुर ध्यान रखना चाहिए कि कहीं बेलपत्र में कोई छेद तो नहीं है।

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