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कोरोना के 56 साल: ऐसे पड़ा वायरस का नाम, इस महिला का था बड़ा योगदान

जिन कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। चीन से पनपे इस वायरस को लेकर तमाम देश रिसर्च कर रहे हैं, बड़े बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन इस वायरस की खोज आज से करीब 56 साल पहले ही हो गयी थी। एक महिला ने कोरोना वायरस की खोज की थी।

Shivani Awasthi
Published on: 20 April 2020 10:50 AM IST
कोरोना के 56 साल: ऐसे पड़ा वायरस का नाम, इस महिला का था बड़ा योगदान
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नई दिल्ली: जिन कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। चीन से पनपे इस वायरस को लेकर तमाम देश रिसर्च कर रहे हैं, बड़े बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन इस वायरस की खोज आज से करीब 56 साल पहले ही हो गयी थी। एक महिला ने कोरोना वायरस की खोज की थी।

कोरोना वायरस की खोज

दरअसल, सन 1964 में महिला वैज्ञानिक डॉ. जून अल्मीडा ने कोरोना वायरस का पता सबसे पहले लगाया था। उन्होंने एक वायरस को अपने इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप में देखा था। इस दौरान उन्होंने देखा कि गोल आकार के इस वायरस के चारों तरफ कांटे निकले हुए हैं। उनकी इस खोज के बाद इस वायरस को कोरोना वायरस का नाम दिया गया।

जानें वैज्ञानिक डॉ. जून अल्मीडा के बारे में

डॉ. जून अल्मीडा वो वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने एड्स जैसी भयावह बीमारी के एचाआईवी वायरस की पहली हाई-क्वालिटी इमेज बनाने में मदद की थी। इतना ही नहीं उन्होंने सेंट थॉमस में बतौर सलाहकार वैज्ञानिक काम किया था।

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16 साल की उम्र से वैज्ञानिक बनने तक का सफर

साल 1930 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर की एक बस्ती मे रहने वाले साधारण परिवार में उनका जन्म हुआ। पिता बस ड्राइवर थे। घर आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अल्मीडा को 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ कर ग्लासगो रॉयल इन्फर्मरी में लैब टेक्नीशियन की नौकरी शुरू की। यहां से उनका एक वैज्ञानिक बनने तक का सफर शुरू हुआ। कुछ महीनों बाद वो लंदन आ गयी और सेंट बार्थोलोमियूज हॉस्पिटल में बतौर लैब टेक्नीशियन काम करने लगीं।

इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी टेक्नीशियन का संभाला पद

वहीं एनरीक अल्मीडा नाम के एक वेनेजुएला कलाकार से शादी होने के बाद वो अपने पति संग कनाडा शिफ्ट हो गयीं। बाद में टोरंटो शहर के ओंटारियो कैंसर इंस्टीट्यूट में जून अल्मीडा को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी टेक्नीशियन के पद पर काम करने लगी।

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डॉ. डेविड टायरेल के साथ शोध के दौरान खोज निकाला कोरोना

1964 में उन्हें लंदन के सेंट थॉमस मेडिकल स्कूल से नौकरी का ऑफर मिला। यहां आने जून ने डॉ. डेविड टायरेल के साथ रिसर्च करना शुरू किया। उन दिनों डॉ. टायरेल और उनकी टीम सामान्य सर्दी-जुकाम पर शोध कर रही थी। इसके लिए उन्होंने जून के पास फ्लू के जाँच सैंपल भेजे। अल्मीडा ने वायरस की इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से तस्वीर निकाली। जब डॉ. अल्मीडा इस शोध पर काम कर रही थीं तो उसी दौरान उन्होंने कोरोना वायरस को खोज निकाला। क्योंकि वायरस का आकार कटीले सूर्य जैसा था, इसलिए इसका नाम कोरोना वायरस पड़ा।

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