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कोरोना वायरस की वैक्सीन भी नहीं आएगी काम, अगर हुआ ऐसा...

कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैसे तो विश्व के कई देश वैक्सीन बना रहे हैं, और जल्द से जल्द इसकी ह्यूमन टेस्टिंग भी शुरू करने की योजना है लेकिन अगर समय रहते कोरोना को नहीं रोका गया तो ये वैक्सीन भी बेसर हो सकती है।

Shivani Awasthi
Published on: 19 April 2020 5:25 AM GMT
कोरोना वायरस की वैक्सीन भी नहीं आएगी काम, अगर हुआ ऐसा...
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लखनऊ: कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैसे तो विश्व के कई देश वैक्सीन बना रहे हैं, और जल्द से जल्द इसकी ह्यूमन टेस्टिंग भी शुरू करने की योजना है लेकिन अगर समय रहते कोरोना को नहीं रोका गया तो ये वैक्सीन भी बेसर हो सकती है। वैज्ञानियों के मुताबिक, वैक्सीन का प्रभाव कोरोना वायरस में बदलाव पर निर्भर करता है। ऐसे में अगर वायरस के आनुवांशिक संरचना में बदलाव यानी म्यूटेशन हुआ तो वैक्सीन में भी बदलाव करना पद सकता है।

कोरोना मरीजों पर वैक्सीन का प्रभाव कितना संभव:

कोविड -19 और वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों ने दो तरफ की परिस्थिति बताई, जिसमें कोरोना मरीजों पर वैक्सीन का असर हो सकता है। इसके तहत किसी भी वैक्सीन की सफलता वायरस में बदलाव न होने पर ही संभव है। या फिर वायरस म्यूटेट के मुताबिक़ वैक्सीन में बदलाव किया जा सके।

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मरीजों पर वैक्सीन का असर ऐसे हो सकता है संभव:

किसी भी वैक्सीन की सफलता वायरस म्यूटेट पर निर्भर करती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, दूसरे वायरसों की तरह ही कोविड-19 एक से दूसरे इंसान में जाते वक्त म्यूटेट कर रहा है, लेकिन म्यूटेशन में वक्त लगता है। हालांकि संक्रमण की प्रक्रिया पहले जैसी ही रहती है। ऐसे में वैक्सीन से दी जाने वाली एंटीबॉडी सीमित म्यूटेशन से निपटने में कारगर होती है।

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आनुवांशिक बदलाव पर अलग अलग वैक्सीन की जरूरत

लेकिन अगर वायरस म्यूटेशन पर एंटीबॉडी का असर नहीं होता, तो फिर सभी मरीजों पर एक ही वैक्सीन काम नहीं करेगी। दरअसल, वायरस अगर लगातार एंटीजन में बदलाव करता है तो एंटीबॉडी का असर कम हो जाता है। ऐसा मामला फ्लू के वायरसों में देखने को मिलता है। जिसमें स्ट्रेन यानी आनुवांशिक बदलाव के आधार पर पर अलग अलग वैक्सीन की जरूरत पड़ती है।

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वायरस के म्यूटेट में ज्यादा बदलाव की आशंका कम

हालाँकि वैज्ञानिकों ने माना कि कोरोना वायरस के म्यूटेट में ज्यादा बदलाव की आशंका कम है। इस बारे में जॉन हॉपकिंस अप्लायड फिजिक्स लेबोरेट्री के वैज्ञानिक डॉ पीटर थिएलेन के मुताबिक़, हजारों मरीजों के सैंपलों में से अब तक 11 प्रकार के म्यूटेशन पाए गए हैं, लेकिन स्ट्रेन एक ही तरफ का मिला है। इस कारण सम्भवतः वायरस अपना स्वरूप बहुत ज्यादा नहीं बदलेगा।

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Shivani Awasthi

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