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तो ऐसे मिलती है कामयाबी, अपर जिला जज बने विनय तिवारी की जुबानी

विनय तिवारी के मुताबिक वह पटना हाईकोर्ट का भी हायर जुडीशियल सर्विस (एचजेएस) क्लीयर कर चुके हैं। बकौल विनय तिवारी,यहां मेरी 13 वीं पोजीशन थी।

Shivani
Published on: 5 Oct 2020 2:27 PM GMT
तो ऐसे मिलती है कामयाबी, अपर जिला जज बने विनय तिवारी की जुबानी
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मेरठ। 'जीवन में मेहनत से ही सफलता प्राप्त होती है। हमें जिन्दगी में कुछ भी स्वतः नहीं मिलता है। उसके लिए लक्ष्य बनाकर कड़ी मेहनत और प्रयास करना पड़ता है।' ये पंक्तियां उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता विनय तिवारी पर एकदम फिट बैठती हैं, जिनका सलेक्शन अपर जिला जज के पद पर हुआ है।

कानपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता विनय तिवारी का हुआ अपर जिला जज में सलेक्शन

विनय तिवारी अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता और गुरुजनों के आर्शीवाद को देते हैं। वे कहते है, मैं 2009 से यहां तक पहुंचने के लिए प्रयास कर रहा था। लेकिन कभी इन्टरव्यू तक पहुंचे तो कभी लिखित परीक्षा में कुछ नंबर कम आए जिसके कारण सफलता नही मिल सकी। कुल मिलाकर अभी शायद मेरा लक अच्छा चल रहा है। तभी तो ऐसी पोजीशन में जहां रिजल्ट निकल चुके हैं रिवाइज होकर पहली बार यूपी हाईकोर्ट चयन कर रही है।

विनय तिवारी के मुताबिक वह पटना हाईकोर्ट का भी हायर जुडीशियल सर्विस (एचजेएस) क्लीयर कर चुके हैं। बकौल विनय तिवारी,यहां मेरी 13 वीं पोजीशन थी। लेकिन सामान्य कोटे में केवल पांच ही जगहें थीं। इसलिए सफल नही हो सका।

Kanpur Senior advocate Vinay Tiwari selected as Additional District Judge

7 साल की वकालत करने वाले अधिवक्ताओं को सीधे न्यायिक अधिकारी बनने का मौका

यहां बता दें कि 2018 पार्ट दो प्रदेश में परीक्षा होती है और इसका इन्कम्पलीट रिजल्ट हाईकोर्ट ने 26 जुलाई, 2019 को घोषित किया था । सुप्रीम कोर्ट में पेटीशन फाइल हो जाता है।

दरअसल, सात वर्ष की वकालत पूरी करने वाले अधिवक्ताओं को सीधे न्यायिक अधिकारी बनने का मौका मिलता है। इसके लिए उन्हें एचजेएस परीक्षा पास करनी होती है जबकि पीसीएस-जे की परीक्षा पास करने वाले न्यायिक अधिकारियों के लिए एचजेएस बनने के विभागीय परीक्षा का नियम है।

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बीते कई वर्षों से अधिवक्ताओं के इस कोटे में पीसीएस-जे से सिविल जज बने न्यायिक अधिकारी भी शामिल होने लगे। अधिवक्ता विनय तिवारी बताते हैं कि इसके विरोध में दिल्ली के अधिवक्ता धीरज मोर ने दिल्ली हाईकोर्ट को पक्षकार बनाते हुए वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) दाखिल कर मांग की कि मजिस्ट्रेट वकीलों के एचजेएस कोटे में भागीदार न बनाया जाये और न ही उन्हें नियुक्त किया जाए।

Kanpur Senior advocate Vinay Tiwari selected as Additional District Judge

आरक्षित कोटा के अंतर्गत सेवारत उम्मीदवारों को जिला जजों के पदों पर नियुक्ति नहीं

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि बार के लिए आरक्षित कोटा के अंतर्गत सेवारत उम्मीदवारों (न्यायिक अधिकारी) को जिला जजों के पदों पर नियुक्ति नहीं दी जाएगी। हालांकि यह आदेश उन नियुक्तियों पर लागू नहीं होगा जो किन्ही अंतरिम आदेशों के आधार पर की गई हैं।

सुशील कुमार,मेरठ।

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