×

करोड़ों की मुगल शहजादी: मिलता था इतना वेतन, कहानी है कुछ ऐसी

इस मुगल शहजादी के बारे में यह भी कहा जाता है कि मुगल सल्तनत में जहांआरा सबसे ज्यादा खर्चीली थीं। जहांआरा विशेष अवसरों पर लाखों रुपये खर्च कर दिया करती थीं।

Shreya
Published on: 20 April 2020 10:55 AM GMT
करोड़ों की मुगल शहजादी: मिलता था इतना वेतन, कहानी है कुछ ऐसी
X
करोड़ों की मुगल शहजादी: मिलता था इतना वेतन, कहानी है कुछ ऐसी

लखनऊ: बाबर ने भारत में मुगल सल्तनत की स्थापना करने के साथ ही एक नया काम भी शुरु किया था, वो था अपनी रानियों, शहजादियों और हरम में रहने वाली महिलाओं को वेतन देना। इसी परंपरा के साथ ही औरंगजेब अपनी बहन जहांआरा बेगम को सबसे अधिक सालाना वेतन दिया करता था। जहांआरा बेगम को मिलने वाला सालाना वेतन काफी अधिक था, जिसे जान आप दंग रह जाएंगे। साथ ही शाही हरम की ये शहजादी औरंगजेब की इतनी खास थी कि उसके वेतन में हमेशा इजाफा करता चला गया।

महिलाओं को उनकी स्थिति के मुताबिक मिलता था भत्ता

इतिहास नाम के एक जर्नल में आनंद कुमार सिंह ने एक लेख में बताय है कि शाही परिवार की महिलाओं को उनकी स्थिति के अनुसार आजीविका भत्ता दिया जाता था। शाही हरम की इन महिलाओं को ज्यादातर नकद वेतन ही दिए जाते थे। जिन शाही महिलाओं के वेतन और भत्ता अधिक हुआ करता था तो उन्हें आधी राशि नकद दी जाती थी और बाकी की राशि जागीर के तौर पर दिए जाते थे।

यह भी पढ़ें: आ गई लिस्ट: यूपी के किन जिलों में नहीं मिलेगी लॉकडाउन से छूट, यहां देखे

बाबर ने की थी वेतन देने की शुरुआत

सबसे पहले बाबर द्वारा इसकी शुरुआत की गई। उन्होंने इब्राहिम लोदी की मां को एक परगना जागीर के रुप में बांटा था। उनकी सालाना आय 7 लाख रुपये से अधिक थी। इसके बाद सभी मुगल बादशाहों ने इस प्रथा को आगे बढ़ाया।

जहांआरा को मिली थी मां की आधी संपत्ति

शाहजहां की बेटी और औरंगजेब की बहन जहांआरा बेगम को मां मुमताज महल की मृत्यु के बाद उनकी आधी संपत्ति मिल गई, जो करीब 50 लाख रुपये बताई जाती है।

जहांआरा की इतना था शुरुआती वेतन

शहजादी जहांआरा बेगम को शुरुआती वेतन के तौर पर 7 लाख रुपये मिला करते थे, ये शहजादी की वार्षिक आय थी। मुमताज महल की मृत्यु के बाद जहांआरा के वेतन में 4 लाख रुपये की बढ़ोत्तरी हुई। इस तरह शहजादी का वेतन 10 लाख रुपये हो गया। जो उस वक्त के हिसाब से काफी ज्यादा है।

यह भी पढ़ें: दिल्ली से अच्छी खबर, पिज्जा डिलीवरी बॉय के संपर्क में आए लोग कोरोना निगेटिव

अपने पति और भाई की थी विश्वासपात्र

जैसे-जैसे समय बितता गया वैसे-वैसे जहांआरा बेगम अपने पिता और भाई औरंगजेब की खास (विश्वासपात्र) बनती गई। फिर साल 1666 में औरंगजेब ने अपनी बहन के वेतन में 5 लाख रुपये की बढ़ोत्तरी की। जिसके बाद उसका सालाना वेतन करीब 17 लाख रुपये हो गया।

बाद में वेतन में इतनी हुई बढ़ोत्तरी

जहांआरा के वेतन में कई जागीरें भी शामिल थीं। जो कि पूरे साम्राज्य में फैली हुई थीं। इसके अलावा शहजादी को सूरत के बंदरगाह से मिलने वाला शुल्क भी पायदान के खर्च के लिए इनाम के तौर पर मिला था। इस तरह से जहांआरा की कुल वार्षिक आय 30 लाख रुपये से भी अधिक थी। जो कि मौजूदा समय के डेढ़ अरब रुपये के बराबर है।

यह भी पढ़ें: सबकी आंखें हुईं नम: कोरोना के चलते टीआई ने तोड़ा दम, शोक में डूबा परिवार

मुगल सल्तनत में सबसे ज्यादा खर्चीली थीं जहांआरा

इस मुगल शहजादी के बारे में यह भी कहा जाता है कि मुगल सल्तनत में जहांआरा सबसे ज्यादा खर्चीली थीं। जहांआरा विशेष अवसरों पर लाखों रुपये खर्च कर दिया करती थीं। साथ ही उन्हें बेहद शानोशौकत के साथ रहना पसंद था।

चांदनी चौक शहजादी की ही है देन

मशहूर इतिहासकार और 'डॉटर्स ऑफ़ द सन' की लेखिका इरा मुखौटी ने न्यूज चैनल से बात करते हुए बताया था कि शाहजहाँनाबाद, जो इस समय पुरानी दिल्ली के नाम से मशहूर है, उसका नक्शा जहाँआरा बेगम की ही देखरेख में तैयार किया गया था। इसके अलावा उस समय का सबसे सुंदर बाजा चांदनी चौक को भी इसी मुगम शहजादी ने तैयार किया था।

यह भी पढ़ें: सीएम योगी का आदेश, कोटा से लाए गए सभी बच्चों को इस खास जगह पर रखा जाए

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shreya

Shreya

Next Story