TRENDING TAGS :
लॉकडाउन: सरकारी काम से वंचित लोगों की मदद
कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन में हमारी संस्था सुलक्ष्य सेवा समिति प्रवासी मजदूरों से लेकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं की मदद कर रही है। मैं वारंगल का एक समाजसेवी हूं
संतोष मंडूवा, समाजसेवी
कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन में हमारी संस्था सुलक्ष्य सेवा समिति प्रवासी मजदूरों से लेकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं की मदद कर रही है। मैं वारंगल का एक समाजसेवी हूं और सुलक्ष्य सेवा समिति नामक एनजीओ के माध्यम से शिक्षा, पर्यावरण सुरक्षा और युवाओं के स्वास्थ के लिए काम कर रहा हूं। लॉकडाउन के शुरुआती दिन तक तो मैं फिल्मों और कुछ प्रेरणादायक वीडियो बनाकर समय बिता रहा था, लेकिन लोगों की परेशानी देखकर बेचैनी बढ़ती जा रही थी तो मैने चुप बैठने के बजाय आखिरकार लोगों की मदद करने का फैसला लिया। मैने ओएसिस अनाथआलय को किराने का सामान खरीदकर दिया। फिर मैने प्रवासी मजदूरों को राशन किट के साथ कोरोना से युद्ध लड़ रहे लोगों के लिए एनर्जी किट वितरित की ।
इसके अलावा हम लोगों ने झुग्गी झोपड़ियों , खानाबदोशों, प्रवासी श्रमिकों और जनजातियों को किट वितरित की। चूंकि पहले से हमारा नेटवर्क मजबूत है और दुकानदारों से संपर्क होने के कारण किट और सैनिटाइजर हासिल करने में दिक्कत नहीं हुई है। व्हाट्सअप पर हमारा नेटवर्क पहले से मजबूत है। इसलिए हम ग्रुप की मदद से धन मुहैया हो जाती है और उन सभी लोगों की मदद करते हैं जो सरकारी लाभ पाने में सक्षम नही है।
यह पढ़ें...Jio ने अपने ‘वर्क फ्रॉम होम’ पैक में किया बड़ा बदलाव, अब मिलेगी इतने दिन की वैलिडिटी
जरूरतमंदों के लिए राशन किट
हमारे राशन किट में 10 किलो चावल, 1 लीटर तेल, 1 किलो तुअर दाल, 2 किलो प्याज, 2 किलो आलू, 1 किलो नमक, 250 ग्राम इमली, मिर्च, ह्ल्दी, उपमा रवा, 2 डिटॉल साबुन, सैनिटाइजर हैंडव़ॉश, और किटनाशक तरह होता है।
अग्रणी योद्धाओं के लिए
कोरोना से जंग लड़ रहे योद्धाओं के लिए हम एनर्जी किट बांटते हैं, जिसमें मूंगफली व गुड़ की पट्टी, संतरे, गुड डे बिस्किट, बादाम मिल्क, और मास्क , सैनिटाइजर है।
यह पढ़ें...जरूरतमंदों की फ्री चावल के साथ मिल रहा ये भी, खुशी से खिले चेहरे
जारी रहेगी सेवा
अब तक हमारी संस्था सुलक्ष्य सेवा समिति ने 300 राशन किट और 1500 सैनिटाइजर किट वितरित किए हैं।हम अपनी किट में बदलाव भी करते हैं जैसे उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को इमली की जगह आटा देते है।अनाथआलयों में चिप्स स्नैक्स देते है। हमारे परिवार ने चेताया कि ये जोखिम भरा काम है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये सेवा कार्य जारी रहेगा।