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Happy Lohri 2021: किसानों का नया साल आज, ऐसी है मान्यता और महत्व

मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी का त्यौहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है। लोहड़ी के पवन अवसर पर लोग रवि फसलों को अग्नि देवता को अर्पित करते हैं।

Shivani Awasthi
Published on: 13 Jan 2021 4:17 AM GMT
Happy Lohri 2021: किसानों का नया साल आज, ऐसी है मान्यता और महत्व
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लखनऊ: देश आज लोहड़ी (Lohri 2021) मना रहा है। साल के पहले पर्व की शुरुआत की धूम भी दिखना शुरू हो गयी है। इस दिन को मनाने का महत्व भी ख़ास है और तरीका भी। ख़ास तौर पर पंजाब हरियाणा में लोहड़ी को लोग बेहद उत्साह से मनाते हैं। आज के दिन आग में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाने का रिवाज होता है। लोहड़ी का त्योहार किसानों का नया साल भी माना जाता है। लोहड़ी को सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत भी माना जाता है।

इसका महत्त्व

पंजाब का पारंपरिक त्यौहार लोहड़ी फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा खास त्यौहार है। पंजाब में यह त्यौहार नए साल की शुरुआत में फसलों की कटाई के मौके के तौर पर मनाई जाती है। लोहड़ी के त्यौहार के मौके पर जगह-जगह अलाव जलाकर लोग उसके आसपास नृत्य भी करते हैं। नृत्य के दौरान लड़के जहां भांगड़ा करते हैं, वहीं लड़कियां गिद्धा नृत्य करती हैं।

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इस त्योहार में जिस तरह होलिका दहन की जाती है ठीक उसी प्रकार लोहड़ी के अवसर पर अलाव जलाकर नृत्य के साथ इस त्यौहार को मानते हैं। इस दिन सूर्य ढलते ही खेतों में बड़े-बड़े अलाव जलाए जाते हैं। इस जलते हुए आलव के पास खड़े होकर लोग मस्ती के साथ नाचते और झूमते हैं। इसलिए इस त्योहार में अलाव का महत्त्व बढ़ जाता है।

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अग्नि देवता को अर्पित

मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी का त्यौहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है। लोहड़ी के पवन अवसर पर लोग रवि फसलों को अग्नि देवता को अर्पित करते हैं, क्योंकि इस दिन से ही घरों में रबी फसल कटकर आने लगते हैं। इसके अलावे इस दिन अग्नि में तिल, रेवड़ियाँ, मूंगफली, गुड़ और गजक आदि भी समर्पित किया जाता है।

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लोहड़ी के पीछे कहानी

लोहड़ी को अलग-अलग जगह अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। इसे पहले लोई कहा जाता था जो संत कबीर के पत्नी का नाम है। आज भी पंजाब के ग्रामीण इलाकों में इसे लोही कहकर पुकारा जाता है। कुछ लोग कहते हैं लोहड़ी शब्द को पहले लोह कहते थे, जिसका मतलब हुआ लोहे का तवा जिस पर रोटियां बनाई जाती हैं।

Quotes

एक और कथा में कहा गया है कि होलिका और लोहड़ी दोनों बहनें थी। कई जगह लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल और रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रुप में प्रसिद्ध हो गया।

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दो अनाथ लड़कियां… दुल्ला भट्टी को करते हैं याद

लोहड़ी से जुड़ी कई मान्यताएं है लेकिन सबसे प्रचलित कहानी है दुल्ला भट्टी की। सुंदरी और मुंदरी नामक दो अनाथ लड़कियां थीं। उस समय लड़कियों को अमीरों को बेच दिया जाता था। सुंदरी और मुंदरी को बेचे जाने का पता लगने पर दुल्ला भट्टी जिन्हें मुगल शासक डाकू मानते थे, उन्होंने दोनों लड़कियों को छुड़ाकर उनकी शादी कराई। एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी का विवाह कराया गया।

Lohri 2021

पंजाबी किसानों के लिए लोहड़ी इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि लोहड़ी से अगला दिन इनके लिए फाइनेंशियल न्यू ईयर होता है। जो इन लोगों के काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल लोहड़ी फसलों का त्योहार है। इस समय गन्ने की फसल की कटाई की जाती है। यही वजह है कि इस त्योहार में गुड़ और गजक का इस्तेमाल किया जाता है।

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Shivani Awasthi

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