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मनोज सिन्हा: किसान परिवार में पैदा हुए, ऐसे तय किया उपराज्यपाल बनने का सफर

मनोज सिन्हा 1 जुलाई 1959 को यूपी के गाजीपुर जिले के मोहनपुरा गांव में एक किसान परिवार के घर में पैदा हुए थे। उनका बचपन काफी अच्छे से बिता। शुरुआती पढ़ाई गांव के प्राथमिक विद्यालय में हुई। वह पढ़ाई में काफी अच्छे थे।

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Published on: 6 Aug 2020 11:05 AM IST
मनोज सिन्हा: किसान परिवार में पैदा हुए, ऐसे तय किया उपराज्यपाल बनने का सफर
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लखनऊ: बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया गया है। गिरीश चंद्र मूर्मू ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वीकार कर लिया है।

मनोज सिन्हा की गिनती पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वासपात्र लोगों में होती है। एक किसान परिवार में जन्म लेने से लेकर बीएचयू के छात्र संघ का अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री का सफर आसान नहीं रहा है।

उन्हें कदम-कदम पर तमाम तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। यूपी में जब बीजेपी भारी मतों से चुनाव जीत कर आई थी। उस वक्त सीएम के चेहरे के तौर पर मनोज सिन्हा को भी देखा जा रहा था। वे सीएम बनने की रेस में सबसे आगे रहे लेकिन बाद में उनकी जगह योगी आदित्यनाथ को यूपी का सीएम बना दिया गया। तो आइये जानते हैं मनोज सिन्हा के बारे में कुछ रोचक बातें:-

किसान के घर में हुआ था जन्म

मनोज सिन्हा 1 जुलाई 1959 को यूपी के गाजीपुर जिले के मोहनपुरा गांव में एक किसान परिवार के घर में पैदा हुए थे। उनका बचपन काफी अच्छे से बिता। शुरुआती पढ़ाई गांव के प्राथमिक विद्यालय में हुई। वह पढ़ाई में काफी अच्छे थे। बाद में हायर एजुकेशन के लिए बीएचयू में एडमिशन लिया।

उन्होंने आईआईटी की पढ़ाई बनारस से ही पूरी की। इसी जगह से उन्होंने छात्र राजनीति में अपना कदम रखा। वे1982 में बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गये हुए।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई कम्प्लीट करने के बाद मनोज सिन्हा को कई जगह से जॉब्स के ऑफ़र भी आए, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया। उन्होंने राजनीति में अपना करियर बनाने का निर्णय किया।

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मनोज सिन्हा की फ़ाइल फोटो

छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा

छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने के बाद मनोज सिन्हा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे 1989 से 1996 तक बीजेपी राष्ट्रीय परिषद के मेम्बर रहे। वे पहली बार 1996 में गाजीपुर सीट से चुनाव में विजयी होकर लोकसभा में आए, लेकिन आगे चलकर उन्हें 1998 में लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। 1999 में जब फिर से चुनाव हुआ तो दूसरी बार मनोज सिन्हा जीतकर संसद पहुंचे। लेकिन इसके बाद करीब 15 साल तक चुनाव में हर बार हार का सामना करना पड़ा।

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कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की संभाली जिम्मेदारी

मनोज सिन्हा को पीएम नरेंद्र मोदी का करीबी बताया जाता था। पीएम मोदी की छत्रछाया में आने के बाद मनोज सिन्हा ने सियासी बुलंदियों को छूआ। 2014 में मोदी लहर थी। जिसमें बीजेपी के तमाम नेता चुनाव जीतकर आए। उनमें मनोज सिन्हा भी शामिल थे।

मनोज सिन्हा तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। मनोज सिन्हा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री भी रहे। इस दौरान उन्हें रेल मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें एक बार फिर से हार का मुंह देखना पड़ा। उसके बाद से धीरे-धीरे से वे राजनीतिक परिदृश्य से गायब ही होते चले गये।

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कभी सीएम पद की रेस में थे सबसे आगे

तीन दशक के राजनीतिक सफर में मनोज सिन्हा को कई बार हार का मुंह देखना पड़ा पड़ा, लेकिन के कभी भी निराश नहीं हुए बल्कि उन्होंने जबरदस्त वापसी की। जब 2017 में बीजेपी यूपी के विधानसभा चुनाव में भारी मतों से जीतकर आई थी तो उस वक्त मनोज सिन्हा का नाम सीएम बनने की रेस में सबसे आगे चल रहा था लेकिन बाद में योगी आदित्यनाथ को यूपी के सीएम पद की कमान सौंप दी गई। अब मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है।



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