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रोकें चीन से आयातः मोदी को कारोबार जगह का मिला साथ

फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे), स्कॉच ग्रुप, भारतीय वित्त सलाहकार समिति और टैक्स लॉ एडुकेयर सोसायटी की तरफ से कराए गए एक सर्वे की रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकाल कर आया है। सर्वे में इस सेक्टर के अन्य पहलुओं को भी देखा गया जिसमें रोजगार सृजन भी शामिल है।

Newstrack
Published on: 23 July 2020 6:38 AM GMT
रोकें चीन से आयातः मोदी को कारोबार जगह का मिला साथ
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नील मणि लाल

नई दिल्ली। चीन को सबक सिखाने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारा लघु एवं माध्यम उद्योग सेक्टर यानी एमएसएमई तैयार है। इस सेक्टर का कहना है कि चीन से होने वाले आयात को बंद कर दिया जाना चाहिए। चीनी इम्पोर्ट बंद करने के पक्ष में अधिकतर छोटे उद्योग हैं। चीन से इम्पोर्ट बंद होने से इन कारोबारियों को अपना फायदा भी नजर आ रहा है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे), स्कॉच ग्रुप, भारतीय वित्त सलाहकार समिति और टैक्स लॉ एडुकेयर सोसायटी की तरफ से कराए गए एक सर्वे की रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकाल कर आया है। सर्वे में इस सेक्टर के अन्य पहलुओं को भी देखा गया जिसमें रोजगार सृजन भी शामिल है।

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सर्वे के नतीजे

- 67 फीसदी एमएसएमई चीन से होने वाले आयात पर रोक के पक्ष में।

- 35 फीसदी एमएसएमई मानते हैं कि चीन से होने वाले आयात पर रोक से उनके कारोबार में बढ़ोतरी होगी।

- 42 फीसद एमएसएमई को चीनी वस्तुओं के आयात पर रोक से कारोबार में कोई फायदा नहीं दिख रहा।

- 22 फीसद एमएसएमई इस संबंध में कोई राय नहीं रखते।

रोजगार सृजन बढ़ा

सर्वे के मुताबिक कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण काम धंधा बंद पड़ा था लेकिन अब एमएसएमई ने कारोबार शुरू कर दिया है। इस सेक्टर में नए रोजगार का सृजन भी शुरू हो गया है।

- 14 फीसदी एमएसएमई ने जून महीने में 10 फीसदी तक नए लोगों को रोजगार दिया।

- 9 फीसदी एमएसएमई ने 25 फीसदी तक नये रोजगार दिये।

- 2 फीसदी एमएसएमई में 50 फीसदी रोजगार दिये गए।

- 1 फीसदी एमएसएमई में 50 फीसदी से ज्यादा नए लोगों को रोजगार दिए गए।

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नकदी का संकट

सर्वे के दौरान यह बात भी सामने आई कि ये सेक्टर पैसे के संकट से जूझ रहा है। और कारोबारी बैंक लोन की किस्तें नहीं चुका पा रहे हैं। सर्वे के अनुसार, 61 फीसदी एमएसएमई सितंबर से महीने से अपने कर्ज की किस्त देने की स्थिति में नहीं होंगे। सरकार ने उन्हें अपने कर्ज के किस्त भुगतान से राहत दे रखी है लेकिन ये सिर्फ अगस्त तक है। इन एमएसएमई का कहना है कि सरकार को राहत देने के लिए कर्ज को रिस्ट्रक्चर करना चाहिए।

सर्वे बताता है कि सिर्फ 16 फीसदी एमएसएमई आगामी सितंबर महीने से अपने कर्ज का भुगतान करने की स्थिति में हैं।

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सरकार से मदद की गुहार

89 फीसदी कारोबारियों का मानना है कि उनकी वित्तीय स्थिति इतनी खतसा हो गई है कि वे सरकार की मदद के बगैर खुद को बचा नहीं पाएंगे। सिर्फ 11 फीसदी एमएसएमई ने माना कि बिना सरकारी सहायता के भी वे खुद को आने वाले समय में बचा लेंगे। 70 फीसदी एमएसएमई का मानना है कि सरकारी मदद नहीं मिली तो उनका अस्तित्व समाप्त हो सकता है।

41 फीसदी एमसएमई का कहना है कि उनके खरीदार भुगतान करने में 90 दिन तक का समय ले रहे हैं। 35 फीसदी खरीदार 90-180 दिनों में भुगतान कर रहे हैं तो 24 फीसदी खरीदार पेमेंट के लिए 180 दिनों से भी अधिक का समय मांग रहे हैं सो ऐसे में काम कर पाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है।

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