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आशिक शाहजहां का राज: मुमताज के बाद बेटी से विवादित संबंध, करते थे ऐसा..
शाहजहां और अरजुमंद बानो बेगम (मुमताज) के बीच मीना बाज़ार की गलियों में 14-15 साल की उम्र में इश्क हुआ। दोनों की सगाई हुई और 19-20 साल की उम्र में शादी।
लखनऊ : मुगलों ने देश को बहुत कुछ दिया। अगर ये कहें कि भारत का नक्सा ही बदल दिया तो गलत न होगा। मुगल शासकों में बहुत सारे शासक आये कोई बाबर जैसा योद्धा, तो कोई अकबर जैसे शहंशाह, औरंगजेब जैसा क्रूर तो इन सब के बीच शाहजहां जैसा इश्कजादा। मुगलों की पांचवी पीढ़ी के सहजादे खुर्रम, जिन्हे शाहजहां नाम मिला, अपनी इश्क के लिए जाने जाते हैं। भारत शाहजहां को कभी नहीं भूल सकता क्योंकि दुनिया के 7 अजूबों में से एक ताजमहल उनकी ही देन है। दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद, मोती मस्जिद इन सब का निर्माण शाहजहां ने करवाया था।
मुगल शासक शाहजहां के अनसुने किस्से
जहाँगीर के दूसरे बेटे खुर्रम, जिन्होंने 1628 में मुगलों की गद्दी संभाली, और साल 1658 तक राज्य किया। 30 सालों में उन्होंने इतिहास के पन्नों के साथ ही दुनिया में इश्क करने वालों और खूबसूरती से प्यार करने वालों की जुबान पर दर्ज करवा दिया। 5 जनवरी 1592 में पाकिस्तान के लाहौर में उनका जन्म हुआ था।
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नूरजहां की भतीजी थीं मुमताज बेगम
शाहजहां के बारे में बताते के लिए तो बहुत कुछ है। लेकिन यहां मुगलों के आशिक शाहजहां के रिश्तों को लेकर कई ऐसी बाते होंगी, जो शायद लोगों को न पता हों। जैसे शाहजहां और अरजुमंद बानो बेगम (मुमताज) के बीच मीना बाज़ार की गलियों में 14-15 साल की उम्र में इश्क हुआ। दोनों की सगाई हुई और 19-20 साल की उम्र में शादी। जब शाहजहां की सगाई हुई तो वे सिंगल थे यानी तब तक उनकी कोई शादी नही हुईं थी लेकिन अरजुमंद बानो से शादी से पहले उन्होंने फारस की शहजादी क्वानदरी बेगम से राजनीतिक शादी की थी।
3 बीवीयां- 14 बच्चे, अय्याश कहे जाते थें शाहजहां
शाहजहां और मुमताज के 13 बच्चे थे। जिनमे से दाहशिकोह और औरंगजेब काफी प्रसिद्द हुए। एक अपनी बुद्धिमत्ता और दूसरी अपनी क्रूरता के लिए। यहां एक बात ये भी जानने वाली है कि शाहजहां की पत्नी अर्जुमंद (मुमताज) जहाँगीर के दरबार में वजीर रहे एतमाउद्दौला वज़ीर की पोती थीं, वहीं मुमताज की बुआ मेहरुन्निसा (नूरजहां) शाहजहां के पिता जहांगीर की पत्नी थीं।
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बेटी जहाँआरा संग शाहजहां के संबंध विवादित
मुमताज बेगम की मौत के बाद शाहजहां पूरी तरीके से टूट गए। उस समय उनकी बेटी जहांआरा ने न केवल अपने पिता और बिना मां के छोटे भाई बहनों को संभाला, बल्की पूरी सियासत संभाली। उस दौर में जहाँआरा बेहद महत्वपूर्ण महिला बन गयी थीं। सियासत के कई फैसलों में उनका दखल रहता था। वहीं उनकी शादी भी नहीं हुई थी और इतनी बढ़ती ताकत को देखते हुए इस तरह की अफवाहें उड़ने लगी कि शाहजहाँ के अपनी बेटी के साथ नाजायज़ ताल्लुक़ात हैं।
कुछ दरबारी तो चोरी-छिपे ये कहते सुने जाते थे कि बादशाह को उस पेड़ से फल तोड़ने का पूरा हक़ है जिसे उसने ख़ुद लगाया है। हालंकि न तो शाहजहां ने और न ही कभी जहाँआरा ने इन अफवाहों पर कुछ कहा और न किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया दी।
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