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अब नजरें गहलोत के राजस्थान पर

मध्य प्रदेश में हाई वोल्टेज ड्रामे के बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ज्योतरादित्य सिंधिया पर तगड़ा हमला बोला तो है लेकिन वो ये भी जान रहे हैं कि उनकी स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है।

Roshni Khan
Published on: 11 March 2020 12:54 PM IST
अब नजरें गहलोत के राजस्थान पर
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अब नजरें गहलोत के राजस्थान पर

नीलमणि लाल

लखनऊ: मध्य प्रदेश में हाई वोल्टेज ड्रामे के बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ज्योतरादित्य सिंधिया पर तगड़ा हमला बोला तो है लेकिन वो ये भी जान रहे हैं कि उनकी स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। राजस्थान में राजनीतिक घटनाक्रम गहलोत के लिए बहुत अच्छे नहीं हैं।

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महत्वाकांक्षा

सचिन पायलट भी सिंधिया की तरह युवा और महत्वकांक्षी नेता हैं। दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की विजय के बाद उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री का पद उन्हीं को मिलेगा लेकिन बाजी अशोक गहलोत मार गए। नाराज सचिन को राहुल गाँधी ने समझा बुझा कर उपमुख्यमंत्री पद के लिए मना लिया।

सचिन की नाराजगी

बताया जाता है कि सचिन पायलट मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज हैं। पायलट कांग्रेस आलाकमान से गहलोत की शिकायत भी कर चुके हैं। पायलट के अलावा उनके पक्ष के विधायक भी अशोक गहलोत से खफा बताए जाते हैं। हाल ही में विधानसभा में भी पायलट कैंप के कई विधायक गहलोत सरकार पर सवाल उठा चुके हैं।

पायलट ने बाड़मेर में दलित युवकों की पिटाई पर भी अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। इसके अलावा वह कह चुके हैं कि सत्ता में कार्यकर्ताओं की भागीदारी नहीं है। इसके अलावा 15 महीने की सरकार में पांच विधायक भी नौकरशाही के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं।

बताया जाता है कि आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए अरोड़ा परिवार के एक सदस्य को मनोनीत करने के लिए सचिन पायलट ने इनकार कर दिया था। इससे नाराज सोनिया गाँधी ने अशोक गहलोत को दिल्ली तलब किया था। राजीव अरोड़ा के नाम पर पायलट खेमा बिलकुल सहज नहीं है। गहलोत के करीबी समझे जाने वाले अरोड़ा लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हैं। वे प्रदेश में पार्टी के उपाध्यक्ष हैं और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं।

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विधानसभा का मौजूदा गणित

• राजस्‍थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं, ऐसे में सरकार बनाने के लिए 101 विधायकों की जरूरत होती है।

• वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटों पर जीत हासिल की थी। बसपा के 6 और लोकदल के विधायक के कांग्रेस में विलय होने के बाद कांग्रेस के पास 107 विधायक हो गए हैं। 13 में से 12 निर्दलीय विधायक कांग्रेस के साथ और एक भाजपा के साथ है।

•वर्ष 2013 में प्रचंड बहुमत के साथ राजस्‍थान की सत्‍ता में आने वाली भाजपा को इस चुनाव में सिर्फ 72 सीटें ही मिल सकी थीं।

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