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पंडित रविशंकर-अन्नपूर्णा यानी अभिमान के अमिताभ और जया भादुड़ी
पंडित रविशंकर की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया ने माना लेकिन यह महान संगीतकार भी अपने निजी जीवन में पत्नी अन्नपूर्णा देवी की प्रतिभा का सम्मान नहीं कर सका। जिस संगीत कला ने उसे दुनिया में धन-दौलत और शोहरत दी उसी संगीत कला की साक्षात देवी अन्नपूर्णा को उसने मूक साधना करने के लिए विवश कर दिया।
मैहर देवी के कृपा पात्र उस्ताद अलाउद़दीन खां के महान शिष्यों में पंडित रविशंकर का नाम भी शामिल है। उन्हें बीटल्स के जार्ज हैरिसन ने विश्व संगीत का गॉडफादर बताया। सितार वादक के तौर पंडित रविशंकर की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया ने माना लेकिन यह महान संगीतकार भी अपने निजी जीवन में पत्नी अन्नपूर्णा देवी की प्रतिभा का सम्मान नहीं कर सका। जिस संगीत कला ने उसे दुनिया में धन-दौलत और शोहरत दी उसी संगीत कला की साक्षात देवी अन्नपूर्णा को उसने मूक साधना करने के लिए विवश कर दिया।
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विवाह के बाद अन्नपूर्णा देवी को गायन से रोक दिया
उस्ताद अलाउद़दीन खां की बेटी अन्नपूर्णा से विवाह करने के बाद पंडित रविशंकर ने उन्हें गायन से रोक दिया जबकि अन्नपूर्णा देवी का गायन सुन चुके संगीतज्ञों का मानना है कि उनकी संगीत प्रतिभा अद्वितीय थी और शास्त्रीय गायन में तो उनका कोई सानी ही नहीं था। रविशंकर के मना करने के बाद उन्होंने सार्वजनिक समारोह व कार्यक्रमों में गाना बंद कर दिया और अमिताभ बच्चन –जया भादुडी अभिनीत फिल्म की नायिका 'उमा' बनकर रह गईं जिसने अपने पति की इच्छा का मान रखने के अपनी प्रतिभा और श्रेष्ठता का गला घोंट दिया।
(File Photo)
अकेले ऐसे संगीतकार...
पंडित रविशंकर का निधन 11 दिसंबर को 2012 को अमेरिका में हुआ लेकिन उससे पहले उन्होंने अपनी संगीत श्रेष्ठता की धाक पूरी दुनिया में जमा दी। वह अकेले ऐसे संगीतकार हैं जिसने पश्चिमी क्लासिकल म्यूजिक के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत की जुगलबंदी की और दुनिया को अपने संगीत पर झूमने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने ही पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि संगीत की अपनी अलग व स्वतंत्र भाषा है। यह दुनिया के देशों की भौगोलिकता और भाषाई बंधनों से पूरी तरह मुक्त है।
संगीत ही है जो पूरी दुनिया के इंसानों को आपस में जोड सकता है। हालांकि उनकी इसी विशेषता की शुद्धतावादी आलोचना भी करते रहे हैं और उन पर आरोप लगाया कि वह उन्होंने उन्होंने इंडियन क्लासिकल संगीत को वेस्टर्न क्लासिकल संगीत में मिक्स कर दिया था। बीटल्स के साथ कोलैबोरेशन के दौरान भी पंडित रवि शंकर की खूब निंदा हुई थी कि वे उन लोगों के साथ जुड़े हैं जो ड्रग्स लेते हैं। रवि शंकर खुद भी ड्रग्स लेना ठीक नहीं मानते थे। वे संगीत को ईश्वर का दूसरा रूप मानते थे और ड्रग्स का सदैव खंडन करते रहे।
(File Photo)
बनारस की गलियों में पंडित रवि शंकर का जन्म
7 अप्रैल 1920 में रबिन्द्र शंकर चौधरी यानी पंडित रवि शंकर का जन्म बनारस की गलियों में हुआ था। उनके बडे भाई उदयशंकर अपने जमाने के मशहूर नर्तक थे और देश-दुनिया में उनकी खूब धाक थी। बॉलीवुड भी उदय शंकर के गुन गाया करता था। बडे भाई के साथ ही वह भी नृत्य की बारीकियां सीखते रहे लेकिन 18 साल की उम्र में आकर उन्होंने तय किया कि वह अब सितार बजाएंगे। भारत में मैहर बैंड के संस्थापक और मैहर देवी के अनन्य भक्त उस्ताद अलाउद़दीन खां से उन्होंने सितार सीखना शुरू कर दिया। उदय शंकर ने अपने छोटे भाई का हौसला बढाया और देखते ही देखते कुछ वर्षों में रविशंकर को देश के महान सितार वादकों में गिना जाने लगा। पंडित जी को अपने जीवन काल में संगीत से जुड़े कई पुरस्कार भी मिले। इसमें पांच बार ग्रैमी अवॉर्ड भी शामिल था।
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जीवन में कई महिलाओं का प्रवेश
उन्होंने भारत में पहला कार्यक्रम 1939 में दिया। सत्यजीत रे की महान फिल्म 'पाथेर पांचाली' गुलज़ार की 'मीरा' और एटनबरो की ऑल टाइम ग्रेट 'गांधी' के अलावा कई विदेशी फिल्मों में भी उन्होंने संगीत दिया था। अमेरिका में रहने के दौरान उन्होंने दूसरा विवाह भी किया लेकिन यह बहुत कामयाब नहीं रहा। क्योंकि उनके बारे में माना जाता है कि उनके जीवन में कई महिलाओं का प्रवेश रहा। उनकी पहली पत्नी की बेटी अनुष्का सिंगर खुद सितार वादक हें और मशहूर पॉप सिंगर नोरा जोंस भी उनकी दूसरी बेटी हैं । नोरा जोंस ने कभी पसंद नहीं किया कि उन्हें रविशंकर की बेटी के तौर पर जाना जाए। निजी जीवन में रविशंकर भले ही विवादों में रहे लेकिन संगीत और सितार की दुनिया में वह निर्विवाद सितारे की तरह हमेशा चमकते रहेंगे।
अखिलेश तिवारी