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गौरव है गुजरात का पटोला साड़ी

पटोला का अर्थ है 'रेशम की रानी'। पटोला सिल्क साड़ी गुजरात की हैंडलूम रेशम साड़ी की बेहतरीन किस्मों में से एक है। पटोला साड़ियों को बड़ी सफाई और सटीकता के साथ बुना जाता है।

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Published on: 13 Aug 2020 2:19 PM IST
गौरव है गुजरात का पटोला साड़ी
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गौरव है गुजरात का पटोला साड़ी

पटोला का अर्थ है 'रेशम की रानी'। पटोला सिल्क साड़ी गुजरात की हैंडलूम रेशम साड़ी की बेहतरीन किस्मों में से एक है। पटोला साड़ियों को बड़ी सफाई और सटीकता के साथ बुना जाता है। ये साडि़यां अपने उत्‍कृष्‍ट पैटर्न के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। इन साड़ियों को मास्टर बुनकरों द्वारा रेशम की एक विशेष किस्‍म से बुना जाता है जिसे 'पटोला सिल्क' कहा जाता है। लोक चित्रों के साथ ज्यामितीय डिजाइन और चटख रंग पटोला साड़ियों की विशेषता हैं। प्रत्येक पटोला साड़ी बुनकर के कौशल और कल्पनाशीलता को दर्शाती है और वह विशेष प्रकृति की होती है। पाटन और सूरत पटोला साड़ियों के प्रसिद्ध स्थल हैं। पटोला साडि़यों के लिए गुजरात का पाटन काफी लोकप्रिय है।

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गौरव है गुजरात का पटोला साड़ी

पटालो साड़ियों का दौर

शाही सोलंकी राजपूतों और गुजरात के संपन्न लोगों के संरक्षण में कर्नाटक और महाराष्ट्र से सालवी बुनकरों के पाटन आकर बसने के साथ पटोला साड़ियों की कारीगरी का विकास हुआ। वह 12वीं शताब्दी का दौर था। ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि पटोला साडि़यां लगभग तेरहवीं शताब्दी से बनाई जाती रही हैं और हमेशा से इसका संबंध अभिजात्‍य अथवा अनुष्ठानिक रहा है। कुछ दक्षिण भारतीय मंदिरों जैसे मट्टनचेरी (केरल) और पद्मनाभपुरम (दक्षिणी तमिलनाडु) की दीवारों में अठारहवीं शताब्दी के पटोला डिजाइन के चित्रण हैं।

पटोला साड़ियों का विकास सल्तनत काल और राज घरानों के समय से हुआ है। गुजरात में इसे एक बेहतरीन और कलात्‍मक कपड़ा माना जाता था। समझा जाता है कि गुजरात चौदहवीं शताब्दी से ही पटोला साड़ियों का निर्यात दक्षिण-पूर्व एशिया को करता है। धीरे-धीरे पटोला साड़ियां गुजराती लड़कियों के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गईं। इस प्रकार इन साडि़यों ने महिलाओं की अलमारियों में अपनी एक खास जगह बना ली। धीरे-धीरे ये साडि़यां शादी समारोहों में पहनने के लिए जरीदार वस्‍त्रों में शामिल हो गई और तभी से इसे शुद्ध रेशम का बेहतरीन ब्राइडल वियर माना जाता है।

क्या है पटोला साड़ी?

पटोला साड़ियों में आमतौर पर जानवरों, फूलों, मानव आकृतियों और पक्षियों जैसे मूल डिजाइन होते हैं। आजकल कुछ ज्यामितीय डिजाइनों ने भी लोगों को आकर्षित किया है जिसे सदियों पुराने पारंपरिक मुस्लिम वास्तुशिल्प संबंधी डिजाइनों से रफ्तार मिली है। कुछ इकत साड़ियों को विशेष अवसरों के लिए कुंदन और जरदोसी सेक्विन के साथ तैयार किया जाता है। भारी बुनावट जैसे ब्रोकेड इस कपड़े की खास विशेषता है। साथ ही पल्‍लू अथवा आंचल को चटख रंगों और आकर्षक किनारों और डिजाइनों से सजाया जाता है।

डबल इकत साडि़यों पर तोते, फूल, हाथी और नृत्य की आकृतियां बनी होती हैं। मुख्‍य तौर पर जैन और हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा इन साडि़यों का इस्‍तेमाल शादी के परिधान के रूप में किया जाता है। जबकि मुस्लिम वोहरा समुदायों द्वारा ज्यामितीय और फूल वाले डिजाइन को पसंद किया जाता है क्योंकि वे इसे बेहतरीन ‘प्‍योर सिल्‍क ब्राइडल वियर’ मानते हैं।

महिलाओं एवं पक्षियों के चित्रों वाली गहरे रंग वाली प्‍लेन साडि़यों को पटोला की विशेष किस्‍म मानी जाती है जिसे नारीकुंज कहा जाता है। महाराष्‍ट्र के ब्राह्मण समुदाय के बीच यह काफी लो‍कप्रिय है।

पटोला साड़ी - बहुमूल्‍य संग्रह

पटोला साड़ी विशेष तौर पर दुनिया भर में महिलाओं के लिए एक बहुमूल्‍य संग्रह है। भारत में बनी हैंडलूम रेशम साड़ी और खादी रेशम के परिधान दुनिया भर में विभिन्न वर्गों की खास पसंद हैं क्योंकि तमाम फैशन डिजाइनरों ने इनका उपयोग अपने बुनियादी काम के रूप में किया है। मूल पटोला साड़ी को हासिल करना काफी मुश्किल रहा है क्योंकि इसे कुछ चुनिंदा बुनकरों द्वारा ही तैयार किया जाता है। ये साडि़यां दक्षिण भारतीय रेशम साड़ियों अथवा मुद्रित रेशम साड़ियों की तरह पर्याप्‍त मात्रा में उपलब्‍ध नहीं हैं।

इसकी सुंदरता के अलावा कई महिलाएं अपनी हैसियत को दर्शाने के लिए भी इस साड़ी को पहनना पसंद करती हैं। पाटन में बनी डबल इकत वाली पटोला साड़ी का उत्पादन करना काफी मुश्किल है। इसे बनाने के लिए काफी देखभाल और हुनर की जरूरत होती है। डबल इकत साड़ियों दोनों तरफ से एक जैसी दिखती हैं और इसलिए महिलाएं इसे किसी भी तरफ से पहन सकती हैं। जिन महिलाओं को रंगों से एलर्जी है वे प्राकृतिक रंगों से बनी इन साड़ियों का उपयोग कर सकती हैं।

गौरव है गुजरात का पटोला साड़ी

पटोला साड़ियों के प्रकार

बुनाई के पैटर्न के आधार पर पटोला साड़ियों के दो प्रकार की होती हैं-

राजकोट पाटोलांड

पाटन पटोला

राजकोट शैली की पटोला साड़ी एकल इकत की और खड़ी विरोधी रंगों वाली होती है जबकि पाटन शैली में डबल इकत पैटर्न के साथ समांतर रूप से विरोधी रंग होते हैं। पाटन पटोला साडि़यां डबल इकत शैली में बनाई जाती हैं जो शायद पूरी दुनिया में सबसे जटिल कपड़ा डिजाइन है। इन साड़ियों के दोनों ओर समान डिजाइन होते हैं और इन्‍हें किसी भी ओर से पहना जा सकता है। यह कलात्‍मक रेशम साड़ियों और मुद्रित रेशम साड़ियों का एक अनूठा संयोजन है।

पटोला साड़ी का उत्‍पादन

पटोला साड़ी हाथ की बनी हुई साड़ियां हैं जिसका उत्‍पादन पाटन में बड़े पैमान पर होता है। यहां तक कि पटोला साड़ियों के उत्पादन के लिए सूरत भी काफी प्रसिद्ध हो गया है। पटोला साड़ी अपने उत्‍कृष्‍ट, सुंदर और स्पष्ट पैटर्न के लिए प्रसिद्ध है। इसे काफी सटीकता और हुनर के साथ तैयार किया जाता है। पटोला साड़ियों को हथकरघा के जरिये बनाया जाता है। इसलिए इसे खास डिजाइन और पैटर्न के अनुसार तैयार करने में काफी समय लगता है। इन साड़ियों में पांच रंगों के डिजाइन होते हैं और इसे तैयार करने के लिए बुनाई से पहले ही धागों को रंग दिया जाता है।

पटोला साड़ियों की बुनाई रेशम से की जाती है जिसे 'पटोलासिल्‍क' कहा जाता है। इसकी बुनाई सामान्‍य पारंपरिक हथकरघा पर की जाती है। प्रत्येक कपड़े में ताना धागों की एक श्रृंखला होती है जबकि एक बाना धागा होता है जो ताना धागों को आपस में बांधता है। प्रत्येक बाना धागे को साड़ी के पैटर्न के अनुसार बांधा और रंगा जाता है ताकि धागे के गांठ वाले हिस्से को रंग न पकड़ पाए। इसके परिणामस्‍वरूप दोनों ओेर से साड़ी बिल्‍कुल एक जैसी दिखती है बशर्ते दोनों तरफ एक जैसे डिजाइन हों। इस प्रकार इसे किसी भी ओर से पहना जा सकता है।

पटोला साड़ियों को उनके चटख रंगों और ज्यामितीय डिजाइनों के लिए जाना जाता है। इसे लोक रूपांकन के साथ बुना जाता है। हरेक पटोला साड़ी अपने आप में विशेष होती है क्योंकि यह पूरी तरह से बुनकर की कल्पनाशीलता और हुनर पर आधारित होती है। पटोला साड़ियों को रंगने में इस्‍तेमाल किए वाले रंगों को वनस्पतियों के अर्क एवं अन्य प्राकृतिक रंगों तैयार किया जाता है। इस साड़ी का रंग काफी पक्‍का होता है। कई बार धोने पर भी इसका रंग हल्‍का नहीं पड़ता। आजकल आकर्षक नए ज्‍यामितीय डिजाइन तैयार करने में प्राकृतिक और रासायनिक दोनों रंगों का उपयोग किया जाने लगा है। चटख रंगों के साथ पटोला सिल्क साड़ियों को जरदोजी और कुंदन सेक्विन से भी समृद्ध किया जाता है।

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गौरव है गुजरात का पटोला साड़ी

पटोला साड़ियों की मार्केटिंग

ऐसी कई दुकानें हैं जहां से आप नवीनतम फैशन की पटोला साड़ी खरीद सकते हैं। यहां तक कि इंटरनेट की मदद से भी आप इन साड़ियों के बारे में ऑनलाइन जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। विभिन्न ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल के आने से पटोला साड़ी को ढूंढना आसान हो गया है। इन पोर्टल पर पारंपरिक ब्रोकेड साड़ियों और जरदोजी या कुंदन सेक्विन के साथ विशेष पटोला साड़ियों का विशाल संग्रह उपलब्‍ध है। यहां तक कि इन इन पोर्टल पर साड़ियों की मैचिंग वाले ब्लाउज पीस भी उपलब्‍ध होते हैं।

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