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सबसे बड़ा पर्यटन स्‍थल: दूर दूर से देखने आते हैं लोग, कमाल की खूबसूरती

स्‍वर्ण मंदिर चौबीसो घंटे खुला रहता है। यहां प्रतिदिन ७० हजार से अधिक श्रद्धालु आते हैं।

Rahul Joy
Published on: 30 May 2020 1:15 PM IST
सबसे बड़ा पर्यटन स्‍थल: दूर दूर से देखने आते हैं लोग, कमाल की खूबसूरती
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अमृतसर: ब्रिटिश इंडिया के दौर में पंजाब में बाहर से आने वाले अमृतसर, आनंदपुर, सुल्‍तानपुर, बटाला और डेराबाबा नानक सहित अन्‍य महत्‍वपूर्ण गुरुद्वारों के दर्शन करने आते थे। तब इसे पर्यटन नहीं तीर्थ यात्रा के रूप में लिया जाता था। अब पंजाब में पर्यटन का विकास हो रहा है। पर्यटन के लिए गैर पारंपरिक क्षेत्र भी खुले हैं । पंजाब अब पर्यटन हब के रूप में विकसित हो चुका है। पंजाब में ग्रामीण पर्यटन, ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्‍कृतिक और वाघा व हुसैनीवाला की सीमा चौकियों पर दोनों देशों के सुरक्षा बलों की दैनिक परेड देखने के लिए पर्यटन का तेजी से विकास हो रहा है।

यहां भारत-पाक सीमा के दो पर्यटन स्‍थलों-हुसैनिवाला एवं वाघा सीमा के साथ ही साथ आनंदपुर साहिब में विकसित विरासते खालसा, गुरु रामदास द्वारा बसाए गए शहर अमृतसर श्री हरिमंदिर साहिब, डेराबाबा नानक, कपूरथला साइंस सिटी, चप्‍पड़चीडी, किला गोबिंदगढ़, वार हैरिटेज मेमोरियल आदि महत्‍वपूर्ण हैं।

गोल्‍डन टेंपल

पंजाब का सबसे बड़ा पर्यटन स्‍थल श्री अमृतसर साहिब है। इसे सिखों के चौथे गुरु श्री गुरुराम दास जी ने बसाया था। श्री हरिमंदिर साहिब परिसर में गई गुरुद्वारे हैं।

golden temple

स्‍वर्ण मंदिर चौबीसो घंटे खुला रहता है। यहां प्रतिदिन ७० हजार से अधिक श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर अमृतसर शहर के बीच में स्थित है। यहां कि संकरी गलियों में स्थित कई पुरातन ऐतिहासिक इमारतें और मंदिर हैं जो सदियों का इतिहास समेटे हुए हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक अफगान और अमुस्लिम आक्रमणकारियों के हमलों में श्री हरिमंदिर साहिब कई बार नष्‍ट हुआ। पर हर बार सिंखों ने अपना बलिदान देकर इसे मुक्‍त करवाया और इसकी पवित्रा को वर्करार रखा।

सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्नुन देव जी ने श्री हरिमंदिर साहिब की नींव लाहौर के एक मुसलमान सूफी संत साईं मियां मीर से दिसंबर १५८८ में रखवाई थी। करीब ४०० साल पुराने इस गुरु घर का नक्‍शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था।

अटारी-वाघा बार्डर

अमृतसर शहर से करीब ३० किमी की दूरी पर अटारी-बाघा भारत-पाक सीमा चौकी है। यह दुनिया में अपनी तरह का इकलौता पर्यटन स्‍थल है। यहां बीएसएफ और पाक रेंजर्स की परेड देखने के लिए दुनियाभर से हजारों की संख्‍या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां रोजाना शाम को भारत-पाक सीमा का गेट बंदर करने और राष्‍ट्रीय ध्‍वज उतारने के संयम होने वाली भव्‍य और जोशीली परेड पर्यटकों में देशभक्ति का जज्‍बा बढ़ाती है।

जलियांवाला बाग

गोल्‍डन टेंपल के पास ही ऐतिहासिक जलियांवाला बाग है, जहां जनरल डायर की क्रूरता की निशानियां आज भी मौजूद हैं। वहां जाकर शहीदों की कुर्बानियों की याद ताजा हो जाती है। १३ अप्रैल १९१९ को पंजाब के तत्‍कालीन गर्वनर काइकलओडायर ने अपने ही उप नाम वाले जनरल डायर को जलियांवाले बाग में जनसभा कर रहे लोगों पर गोलियां चलवाने का आदेश दिया।

jaliyawala bagh

जनरल डायर ने ९० सैनिकों को लेकर जलियांवाला बाग को चारों ओर से घेर लिया और गोलियां चलाने का हुक्‍म दे दिया। इस घटना में में १३०० लोग मारे गए थे। तब अंग्रोनों १५०० निहत्‍थे लोगों पर १६५० गोलियां चलाई थी। स्‍वतंत्रता सेनानियों के लहू से सिंचित इस स्‍थल को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं।

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करतारपुर साहिब

वैसे तो सिंखों का यह पवित्र स्‍थल पाकिस्‍तान में स्थित है। लेकिन इसे देखने के लिए गुरदासपुर जिले के भारत-पाक पार्डर पर स्थित डेराबाबा नानक से सैकड़ों लोग रोजाना पहुंचते हैं। यहीं से पाकिस्‍तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर के लिए प्रस्‍थान करते हैं। इसी करतारपुर में श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम १६ वर्ष किसानी करते हुए बिताए थे।

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आनंदपुर साहिब

anandpur sahib

'जनम गुरां दा पटना साहिब, आनंदपुर डेरे लाये' के अनुरूप खालसा पंथ के संस्‍थापक श्री गुरुगोविंद सिंह जी को श्री पटना साहिब से श्री आनंदपुर साहिब लाया गया था। श्री आनंदपुर साहिब का न केवल धार्मिक महत्‍व है बल्कि, यह ऐतिहासिक भूमि भी है। सिखों के पांच तख्‍तों में से एक तख्‍त यहीं पर है। आनंदपुर साहिब में ही पंजाब सरकार ने विरात-ए-खालसा का निर्माण करवाया है। यह स्‍थान चंडीगढ़ग से करीब ६० किमी है।

कपूरथला

यह पंजाब का रियासती शहर है। कपूरथला जिले में ही सुल्‍तानपुर लोधी है। यहां गुरुद्वारा श्री बेरी साहिब स्थित। कहा जाता है कि यहीं पर श्री गुरु नानक देव जी मोदी खाने में नौकरी किया करते थे।

kapurthala

कपूरथला शहर के नामकरण के बारे में कहा जाता है कि इसका नाम नवाब कपूर सिंह के नाम पर कपूरथला पड़ा। यहां के दर्शनीय स्‍थलों में पंच मंदिर, शालीमार बाग, जगतजीत महल, मौरिश मस्जिद आदी है दर्शनीय है। कहा जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण महाराजा जगतजीत सिंह ने करवाया था। कपूरथला में ही रेलकोट फैक्‍ट्री भी है।

रिपोर्टर- दुर्गेश पार्थ सारथी, अमृतसर

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