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राजीव दीक्षितः मौत से पर्दा कब उठेगा, बाबा रामदेव के इस साथी की
भारत स्वाभिमान आंदोलन के जनक राजीव दीक्षित की पुण्यतिथि पर एक बार फिर यह सवाल है कि उनकी मृत्यु के रहस्य से कब पर्दा उठेगा। करीब दो साल पहले एक खबर आई थी कि राजीव दीक्षित की मौत की फिर से जांच होगी। लेकिन इसके बाद इस मामले में क्या हुआ कुछ पता नहीं चल सका।
रामकृष्ण वाजपेयी
भारत स्वाभिमान आंदोलन के जनक राजीव दीक्षित की पुण्यतिथि पर एक बार फिर यह सवाल है कि उनकी मृत्यु के रहस्य से कब पर्दा उठेगा। करीब दो साल पहले जनवरी 2019 में एक खबर आई थी कि राजीव दीक्षित की मौत की फिर से जांच होगी। कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इसको लेकर दुर्ग पुलिस को आदेश जारी किए गए हैं। लेकिन इसके बाद इस मामले में क्या हुआ कुछ पता नहीं चल सका।
आश्चर्य की बात ये भी है कि योग गुरु बाबा रामदेव के अत्यंत करीबी इस शख्स की मौत के बाद उन्होंने भी राजीव दीक्षित की मौत के कारणों की तह तक पहुंचने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जबकि राजीव के निधन के बाद उनका शरीर वर्धा लाने के बजाय हरिद्वार में रामदेव के पतंजलि आश्रम ले जाया गया और वहीं उनकी अंत्येष्टि की गई थी।
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हुई थी संदेहास्पद मौत
करीब 10 साल पहले भिलाई प्रवास के दौरान राजीव दीक्षित की संदिग्ध हालात में 29-30 नवंबर 2010 की रात भिलाई के बीएसआर अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी। उनकी मौत हार्टअटैक से होना बताया गया और बिना पोस्टमार्टम कराए उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन मौत के बाद उनका शरीर नीला पड़ गया था। ऐसे में हार्टअटैक से मौत बताए जाने व पोस्टमार्टम नहीं कराए जाने पर सवाल खड़े हो गए थे।
File Photo
स्वदेशी उत्पादों के हिमायती
राजीव दीक्षित स्वदेशी उत्पादों के हिमायती थे और देश भर में घूम-घूम कर इसका प्रचार करते थे। कहा जाता है कि राजीव दीक्षित 29 नवंबर 2010 को दुर्ग जिले के बेमेतरा तससील में व्याख्यान देने के बाद भिलाई के लिए कार से रवाना हुए थे। कार कन्हैया नाम का ड्राइवर चला रहा था। रास्ते में राजीव दीक्षित को पसीने के साथ बेचैनी महसूस हुई।
एलोपैथी चिकित्सा के धुर विरोधी रहे दीक्षित ने अस्पताल जाने के बजाए स्वदेशी दवाइयों से उपचार पर जोर दिया। भिलाई में अक्षय पात्र फाउंडेशन के पास उसी दिन शाम 4 बजे से उनका व्याख्यान होना था, लेकिन तबियत ठीक नहीं होने से वे दया सागर के दुर्ग स्थित निवास पहुंचे। यहां पर वे बाथरूम में गिर गए।
बाबा रामदेव के फोन पर समझाने पर वे अस्पताल जाने के लिए तैयार हुए। उन्हें तत्काल सेक्टर 9 अस्पताल ले जाया गाय। यहां पर डॉ. शशिकांत सक्सेना ने उनका प्रारंभिक उपचार तो किया लेकिन हृदयरोग से संबंधित बेहतर इलाज की सुविधा नहीं होने की चलते उन्हें बीएसआर अपोलो अस्पताल रिफर कर दिया गया।
अपोलो अस्पताल में डॉ. दिलीप रत्नानी की देख-रेख में उपचार शुरू हुआ, लेकिन रात 1 से 2 बजे के बीच राजीव दीक्षित की मौत हो गई। उस वक्त डॉ. रत्नानी ने उन्हें गंभीर हृदयाघात होने की जानकारी प्रशासन और मीडिया को दी थी। बाद में बिना पोस्टमार्टम कराए ही 1 दिसंबर 2010 को दीक्षित का शव सौंप दिया गया।
जन्मदिवस पर ही हुई थी मौत
अजब संयोग रहा कि राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवंबर 1967 को हुआ था और 2010 में जन्मदिन के दिन ही उनकी मौत हो गई। 5 जनवरी 2009 को उन्होंने भारत स्वाभिमान आंदोलन का गठन किया था। इस आंदोलन के जरिए उन्होंने देश के लोगों में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग करने लगातार प्रेरित किया।
राजीव दीक्षित का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गांव में हुआ था। फिरोजाबाद से 12वीं करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद से बीटेक और आईआईटी कानपुर से एमटेक किया। उन्होंने कुछ समय भारत के सीएसआईआर और फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेंटर में काम भी किया था। आईआईटी कानपुर से एमटेक करने के बाद राजीव दीक्षित ने कुछ वक्त तक CSIR में भी काम किया। कहा जाता है कि इस दौरान उन्होंने डॉ. कलाम के साथ भी काम किया। उनकी जिंदगी का एक ही मकसद था राष्ट्रसेवा।
राजीव दीक्षित ने समय की धारा के विपरीत उस समय कुछ दावे भी किये थे। जैसे 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी पर उनका कहना था कि ये कोई हादसा नहीं, बल्कि अमेरिका द्वारा किया गया एक परीक्षण था, जिसमें भारत के गरीब लोगों को शिकार बनाया गया।
इसी तरह अमेरिका में हुए 9/11 यानी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले को राजीव दीक्षित खुद अमेरिका द्वारा कराया गया हमला मानते थे। अमेरिका में लोन लैंटर्न सोसाइटी ने भी इस बात को उठाया था। उनका यह भी कहना था कि यूनीलीवर कंपनी का नाम बदलकर हिंदुस्तान लीवर इसलिए कर दिया गया, ताकि भारतीयों को बेवकूफ बनाया जा सके। नए नाम से भारतीयों को लगेगा कि ये भारतीय कंपनी है।
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कोका कोला में तेजाब होने की बात
राजीव दीक्षित का सबसे सनसनीखेज आरोप यह था कि ममता बनर्जी बीफ खाती हैं। बीफ खाने की वजह से ही ममता ने अटल बिहारी वाजपेयी को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने देश में या पश्चिम बंगाल में बीफ बैन कराया, तो ममता वाजपेयी सरकार गिरवा देंगी। इनका यह भी दावा था कि नेस्ले कंपनी के प्रोडक्ट मैगी में सुअर के मांस का रस मिलाया जाता है और उनकी चर्बी का इस्तेमाल होता है। कोका कोला में तेजाब होने की बात भी वह कहा करते थे। आपको जानकर हैरत होगी कि राजीव दीक्षित ने ये दावा किया था कि अमिताभ बच्चन ने उनके साथ बातचीत में स्वीकार किया है कि पेप्सी पीने की वजह से उनकी आंत खराब हो गई थी, इसी वजह से उन्होंने पेप्सी पीना और इसका प्रचार करना बंद कर दिया।
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राजीव दीक्षित ने ये भी कहा था कि जब उन्होंने हेमा मालिनी से पूछा कि क्या वो लक्स से नहाती हैं। हेमा ने जवाब दिया कि वो लक्स से नहीं, बल्कि बेसन में मलाई डालकर नहाती हैं। इस पर उन्होंने पूछा वो ये बात पूरे देश को क्यों नहीं बतातीं तो हेमा ने कहा कि अगर बता दिया, तो सारी औरतें हेमा जितनी खूबसूरत हो जाएंगी।
रामदेव के करीबियों में थे राजीव दीक्षित
कहा जाता है कि राजीव दीक्षित 2009 में बाबा रामदेव के संपर्क में आए और उन्होंने ही रामदेव को देश की समस्याओं और काले धन वगैरह के बारे में बताया, जिससे रामदेव बहुत प्रभावित हुए थे। भारत स्वाभिमान आंदोलन शुरू करने के दौरान राजीव दीक्षित और रामदेव ने शपथ ली कि ‘हम केवल कुशल लोगों को मतदान करेंगे’, ‘हम दूसरों को 100 फीसदी मतदान के लिए प्रेरित करेंगे’, ‘हम भारत को विश्व-शक्ति बनाएंगे’, ‘हम भारत को पूरी तरह से स्वदेशी बनाएंगे’ और ‘बुद्धिमान, ईमानदार लोगों को जोड़कर देश के विकास में लगाएंगे।’ इस आंदोलन के तहत राजीव और रामदेव ने योजना बनाई कि लोगों को अपने साथ जोड़ने के बाद 2014 में वो देश के सामने अच्छे लोगों की एक नई पार्टी का विकल्प रखेंगे।