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एक ऐसा सच जो खोल देगा पूर्व राष्ट्रपति कलाम की जिंदगी का अनखुला पन्ना
पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की कही बातें हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रहती हैं। देश के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भले ही देश की सर्वोच्च संवैधानिक कुर्सी पर विराजमान रहे, लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ जिया।
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की कही बातें हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रहती हैं। देश के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भले ही देश की सर्वोच्च संवैधानिक कुर्सी पर विराजमान रहे, लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ जिया। अब्दुल कलाम से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जो दर्शाते हैं कि कैसे वे दूसरों से अलग थे।
इरोड में एक फर्म है जिसका नाम है सौभाग्य इंटरप्राइजेज। यह फर्म मिक्सर ग्राइंडर बनाने के लिये प्रसिद्द है। इस कम्पनी से 2014 में एक प्रोग्राम आयोजित किया जिसमें डॉ कलाम को आमंत्रित किया गया था।
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4850 रुपये का चेक काटकर उस कंपनी के अधिकारी को दे दिया
उस कार्यक्रम की समाप्ति पर सौभाग्य इंटरप्राइजेज ने डॉ कलाम को एक ग्राइंडर उपहार स्वरूप दिया। डॉ कलाम ऐसा ही ग्राइंडर अपने घर में उपयोग के लिये खरीदने की सोच रहे थे लेकिन उन्होंने उस ग्राइंडर को उपहार के रूप में लेना अस्वीकार कर दिया। उन्होंने उसके लिये एक 4850 रुपये का चेक काटकर उस कंपनी के अधिकारी को दे दिया।
कंपनी और कंपनी के प्रबंध निदेशक कलाम साहब के इस व्यवहार से बहुत प्रभावित हुए और अपने आपको गौरवान्वित महसूस करने लगे। उन लोगों ने उस चेक को भुनाने की बजाय फ्रेम करके अपने कार्यालय में दीवार पर सम्मानपूर्वक लगवा दिया।
दो महीने बाद, उन लोगों को डॉ कलाम के ऑफिस से फ़ोन आया कि उस 4850 रूपये के चेक को बैंक में जमाकर उसे कैश करा लें। यदि वे लोग ऐसा नहीं करते हैं तो उनका ग्राइंडर वापस कर दिया जाएगा।
कोई अन्य विकल्प नहीं देख सौभाग्य इंटरप्राइजेज के प्रबंध निदेशक ने उस चेक का फोटो कॉपी करा लिया और फोटो कॉपी को फ्रेम कराकर अपने ऑफिस में लगवा दिया। कलाम साहब वाला चेक बैंक में क्लीयरेंस के लिये भेज दिया।
बात तो बहुत छोटी है और साधारण सी जान पड़ती है। लेकिन यदि इस पर विचार किया जाय तो इससे कलाम साहब की छोटी छोटी चीजों के बारे में जानकारी रखना और उसका पालन करना स्पष्ट दिखता है। यही छोटी छोटी बातें लोगों को महान बनाती हैं।
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राष्ट्रपति भवन का किस्सा
डॉ कलाम के राष्ट्रपति रहने के दौरान एक बार उनके कुछ रिश्तेदार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन आये और कुछ दिन वहां रुके। वे जितने दिन रुके, उनके आने-जाने और रहने-खाने का सारा खर्च कलाम ने अपनी जेब से दिया। अधिकारियों को साफ निर्देश था कि इन मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी। साथ ही यह भी कहा गया कि रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में रहने और खाने-पीने के खर्च का ब्यौरा अलग से रखा जाएगा और इसका भुगतान राष्ट्रपति के नहीं बल्कि कलाम के निजी खाते से होगा। एक हफ्ते में इन रिश्तेदारों पर हुआ तीन लाख से ज्यादा का कुल खर्च देश के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने अपनी जेब से भरा था।
इसी तरह, जब कलाम को आईआईटी के दीक्षांत समारोह में ब्यौर मुख्य अतिथि बुलाया गया, तो उन्होंने देखा कि मंच पर रखी पांच कुर्सियों में से एक कुर्सी का आकार बड़ा है, जो उनके लिए थी। कलाम ने पहले कुर्सी के बड़ा होने का कारण पूछा और फिर उस पर बैठने से मना कर दिया। उन्होंने वाइस चांसलर से उस कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया, लेकिन वह नहीं बैठे, तुरंत राष्ट्रपति के लिए दूसरी कुर्सी मंगाई गई जो साइज में बाकी कुर्सियों जैसी ही थी।
डॉक्टर कलाम उन चुनिंदा लोगों में शामिल हैं, जिन्हें देश के सभी सर्वोच्च पुरस्कार मिले। उन्हें 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
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