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शुरू हुई कोरोना से जंग अब टॉप कंपनियों ने भी लगा दिया दम

नई दिल्लीः कोरोना वायरस के खिलाफ भारत ने अब निर्णायक जंग का एलान कर दिया है। खास बात ये है कि कोविड-19 के खिलाफ इस जंग में वैज्ञानिकों तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की पाँच स्तरीय रणनीति को उद्योग जगत का भी व्यापक समर्थन मिला है।

राम केवी
Published on: 8 April 2020 7:34 AM GMT
शुरू हुई कोरोना से जंग अब टॉप कंपनियों ने भी लगा दिया दम
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नई दिल्लीः कोरोना वायरस के खिलाफ भारत ने अब निर्णायक जंग का एलान कर दिया है। खास बात ये है कि कोविड-19 के खिलाफ इस जंग में वैज्ञानिकों तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की पाँच स्तरीय रणनीति को उद्योग जगत का भी व्यापक समर्थन मिला है।

सीएसआईआर की प्रयोगशालाएं पाँच स्तरों पर काम कर रही हैं। और इन रणनीतियों को आकार देने और आगे बढ़ने के लिए देश की नामी कंपनियों ने हाथ आगे बढ़ाया और करार किया है। इन कंपनियों में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल), सिप्ला, टीसीएस, भारत बायोटेक, रिलायंस, टाटा सन्स, यूनिलीवर, इंटेल, टीसीएस, कैडिला और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) शामिल हैं। सीएसआईआर को इन कंपनियों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

किस काम में कौन कंपनी क्या कर रही है

सीएसआईआर ने निजी सुरक्षा एवं नैदानिक उपकरणों के लिए रिलायंस के साथ समझौता किया है। वहीं, टाटा सन्स निजी सुरक्षा उपकरणों और अस्पतालों के सहायक उपकरणों की कमी दूर करने के लिए मदद कर रही है।

यूनिलीवर जिंक ग्लूकानेट व प्रोलीन कॉम्पलेक्स के उत्पादन और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने में मदद कर रही है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इंटेल ने डिजिटल निगरानी में मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।

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इसके अलावा टीसीएस डिजिटल निगरानी और आपूर्ति श्रृंखला दोनों में सहयोग कर रही है। दवाओं के पुनर्संयोजन के लिए सिप्ला, कोरोना वायरस की थेरेपी के लिए कैडिला और निष्क्रिय वैक्सीन पर भारत बायोटेक सीएसआईआर के साथ काम कर रही हैं।

इलेक्ट्रोस्टेटिक स्प्रे और वेंटीलेटर विकसित करने के लिए बीएचईएल और थर्मोमीटर एवं ऑक्सीजन यूनिट के उत्पादन के लिए बीईएल जैसी कंपनियां सीएसआईआर के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

ये वैज्ञानिक मोर्चे पर हैं डटे

डिजिटल तथा आणविक निगरानी का कार्य इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटीग्रेटेड बायोलॉजी (आईजीआईबी) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल की देखरेख में किया जा रहा है।

त्वरित एवं किफायती निदान किट का विकास सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा के नेतृत्व में किया जा रहा है।

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दवाओं के विकास व पुनर्संयोजन का कार्य इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी) के निदेशक डॉ एस. चंद्रशेखर देख रहे हैं।

अस्पतालों में उपयोग होने वाले सहायक उपकरणों के विकास की जिम्मेदारी नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी के निदेशक डॉ जितेंद्र जे. जाधव को सौंपी गई है।

निजी सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति का काम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के निदेशक डॉ अंजन रे की देखरेख में किया जा रहा है।

ये भी जान लें

कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे की अध्यक्षता में एक रणनीतिक समूह भी गठित किया गया है। डॉ मांडे कार्यसमूह के साथ मिलकर इन कार्यक्षेत्रों की निरंतर समीक्षा कर रहे हैं।

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सीएसआईआर के पाँच सूत्रीय एजेंडा में से किसी में भी योगदान देने की इच्छुक कोई भी लैब या वैज्ञानिक कार्यसमूह में शामिल प्रमुखों से संपर्क कर सकते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) के निदेशक डॉ राम ए. विश्वकर्मा को इस कार्यसमूह का समन्वयक बनाया गया है।

डॉ शेखर सी. मांडे ने सीएसआईआर की 38 प्रयोगशालाओं के निदेशकों के साथ कोविड-19 से जुड़ी रणनीति पर चर्चा की है। सीएसआईआर की कोर टीम में शामिल प्रयोगशालाओं के आठ निदेशक महानिदेशक, डॉ शेखर मांडे के नेतृत्व में कोविड-19 से लड़ने के लिए जी जान से जुटे हैं।

राम केवी

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