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कोरोना के खिलाफ जंगः पीएनबी 001 पहले फेज में पास, दूसरे को मंजूरी

पीएन बलराम के मुताबिक उनकी कंपनी ने छह नए तरह के केमिकल तैयार किए हैं जिसमें से सबसे नए केमिकल का नाम है - पीएनबी 001। कंपनी ने इसका जीपीपी-बलाडोल नाम से रजिस्ट्रेशन कराया है।

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Published on: 14 Sept 2020 2:08 PM IST
कोरोना के खिलाफ जंगः पीएनबी 001 पहले फेज में पास, दूसरे को मंजूरी
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War against Corona: PNB 001 pass in first phase, second cleared

नीलमणि लाल

कोरोना वायरस का कोई इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है। जो भी दवाएं इस्तेमाल की जा रहीं हैं वो ऐसी दवाएं हैं जो पहले से हमारे पास थीं यानी किसी न किसी अन्य बीमारी के लिए बनाई जा चुकीं थी। अब पहली मर्तबा ऐसा हुआ है कि एक एकदम नए केमिकल साल्ट का परीक्षण कोरोना वायरस के खिलाफ चालू किया गया है। केरल स्थित कंपनी पीएनबी वेस्पर लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खोजे गए पीएनबी 001 नामक इस केमिकल का परीक्षण कोरोना के मरीजों पर किया जा रहा है।

जीपीपी बालाडोल नाम से रजिस्टर

दूसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी ड्रग कंट्रोलर ऑफ़ इंडिया ने दे दी है। पीएनबी 001 का कमर्शियल नाम ‘जीपीपी बालाडोल’ रजिस्टर किया गया है।

पीएनबी 001 मॉलिक्यूल का परीक्षण गैस्ट्रिक इन्फ्लेमेशन (पेट की सूजन) के लिए मई 2018 में ही किया गया था। प्रयोगशाला में चूहों पर पीएनबी 001 की स्टडी की गयी थी जिसमें अच्छे नतीजे पाए गए।

पशुओं पर परीक्षण में पीएनबी 001 का काफी असर एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) यानी फेफड़ों की सूजन पर भी पाया गया। इसके अलावा डेंगू वायरस पर किये गए अध्ययन में भी बढ़िया नतीजे मिले हैं।

डॉ एरिक लैटमान का ये है कहना

पीएनबी वेस्पर की यूके साइंटिफिक टीम के प्रमुख डॉ एरिक लैटमान हैं जो कंपनी के वाईस प्रेसिडेंट भी हैं। डॉ एरिक लैटमान का कहना है कि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) में फेफड़ों की सूजन पर भी पीएनबी 001 का काफी असर पाया गया है।

corona research

डेंगू वायरस पर किये गए अध्ययन में पीएनबी 001 से पशुओं में मृत्यु दर को 80 फीसदी तक कम किया जा सका है। ये भी पता चला कि साइटोकाइन स्टॉर्म यानी प्रतिरोधक प्रतिक्रिया का अत्यधिक संवेग कंट्रोल करने और तिल्ली का आकार घटाने में ये दवा बहुत प्रभावी है।

पीएनबी 001 का एक अच्छा परिणाम ये भी देखा गया कि ये दर्द को घटाने के साथ साथ डिप्रेशन और एंग्जायटी को भी कम करता है।

ट्रायल

- पहले चरण का परीक्षण अहमदाबाद में 78 प्रतिभागियों पर किया गया था। ये सभी प्रतिभागी स्वस्थ थे और उनको कुछ-कुछ अंतराल के बाद पीएनबी 001 की लो, मीडियम और हाई डोज़ दी गयी। इनमें दवा का कोई दुष्परिणाम नहीं देखा गया।

- ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनी दूसरे दौर के परीक्षण में पुणे के बीएमजे मेडिकल कालेज में 40 मरीजों पर दवा का ट्रायल करेगी।

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ये ऐसे मरीज हैं जिनको ऑक्सीजन पर रखा गया है। ट्रायल के इस दौर में ये देखा आजायेगा कि ‘डेक्सामेथासोन’ की तुलना में पीएनबी 001 कितनी असरदार है।

विश्व में फिलवक्त कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए ‘डेक्सामेथासोन’ ही सबसे ज्यादा प्रयोग की जा रही है। ये एक स्टेरॉयड है।

तीसरे फेज में लखनऊ भी

- दूसरे चरण का ट्रायल सफल रहा तो कंपनी तीसरे चरण का परीक्षण एम्स दिल्ली, एम्स लखनऊ, और मुंबई, बंगलुरु, चेन्नई और पुणे के अन्य प्रमुख अस्पतालों में 378 मरीजों पर करेगी।

एफडीए ने दिखाई रुचि

पीएनबी 001 पर अमेरिका की फ़ेडरल ड्रग एजेंसी ने भी रुचि दिखाई है जबकि यूनाइटेड किंगडम की सरकार के साथ भी इस दवाई के क्लिनिकल ट्रायल के बारे में बातचीत चल रही है। वेस्पर के सीईओ पीएन बलराम का कहना है कि कोविड-19 के प्रमुख लक्षण बुखार, बदन दर्द और फेफड़ों में सूजन होते हैं। मरीजों की मौत साइटोकाइन स्टॉर्म और एआरडीएस के कारण होती है।

जीपीपी बलाडोल या पीएनबी 001 में पाया गया है कि ये दवाई बुखार घटाने, बदन दर्द और सूजन में असरदार है। पीएनबी 001 को शुरुआत में पेट और फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए डेवलप किया गया था।

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पीएन बलराम के मुताबिक उनकी कंपनी ने छह नए तरह के केमिकल तैयार किए हैं जिसमें से सबसे नए केमिकल का नाम है - पीएनबी 001। कंपनी ने इसका जीपीपी-बलाडोल नाम से रजिस्ट्रेशन कराया है। इस केमिकल मॉलिक्यूल का शुरुआती डेवेलपमेंट फेफड़े और गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज के लिए किया गया था।



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