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जानिए क्या होता है सोशल डिस्टेंसिंग, कोरोना को रोकने में कैसे है सहायक
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हर देश अपने-अपने स्तर पर काम कर रहा है। लेकिन इस महामारी से बचने का सबसे कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग को माना जा रहा है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (COVID-19 outbreak) से लड़ने के लिए हर देश अपने-अपने स्तर पर काम कर रहा है। लेकिन इस महामारी (Pandemic) से बचने का सबसे कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग को माना जा रहा है। लेकिन आपको पता है कि आखिर सोशल डिस्टेंसिंग होता क्या है? तो यहां हम आपको बताएंगे कि क्या होता है सोशल डिस्टेंसिंग
क्या है सोशल डिस्टेंसिंग
सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब होता है एक-दूसरे से दूर रहना। इस तरीके के जरिए संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है। जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैल जाते हैं। इनमें वायरस होते हैं। जो किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। फरवरी तक की आई रिपोर्ट्स के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग के तरीके अपनाने वाले लोगों ने कोरोना वायरस के खतरे को काफी कम किया है। जबकि ऐसा न करने से कई देशों को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है।
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6 फिट की दूरी है ज़रूरी
संक्रामक रोग विशेषज्ञ एमिली लैंडन ने वोक्स को बताया, 'जितने अधिक युवा और स्वस्थ लोग एक ही समय में बीमार होंगे, उतने ही बुजुर्ग लोग भी इससे बीमार होंगे। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सेवा पर गहरा दबाव होगा।' विचार यह है कि कोविड-19 के रोगियों से भरे अस्पतालों की स्थिति से बचा जाए क्योंकि अगर मरीज बढ़ेंगे तो स्वास्थ्यकर्मियों की मुश्किलें बढ़ेंगी साथ ही मरीज भी ज्यादा प्रभावित होंगे। विशेषज्ञ ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कम से कम 6 फिट की दूरी बेहद ज़रूरी है।
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इसका मकसद वायरस पर रोक लगाना
सोशल डिस्टेंस का सीधा मकसद यही है कि इस महामारी को बढ़ने से रोकना। अगर ऐसा करने में सफल होते हैं तो इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम पड़ेगा। सोशल डिस्टेंस इस बीमारी को रोकने से ज्यादा इसके बढ़ने की दर को कम करने का साधन है, जिससे लोग ज्यादा बीमार नहीं पड़ें। इंफेक्शन कम फैले और बीमारी थम जाए, इसलिए एक-दूसरे से कम संपर्क रखने को ही सोशल दूरी कहा जाता है।
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WHO के निर्देश के बाद भी नहीं दिखी गंभीरता
अगर ऐसा करने में सफल होते हैं तो इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम पड़ेगा। सोशल डिस्टेंस इस बीमारी को रोकने से ज्यादा इसके बढ़ने की दर को कम करने का साधन है। जिससे लोग ज्यादा बीमार नहीं पड़ें। यूनाइटेड किंगडम (यूके) में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में रणनीति का अभाव देखने को मिला है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के बावजूद यूके में सोशल डिस्टेंस को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई। यहां 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और आत्म अलगाव के लिए कहा गया। जिससे वहां कोरोना वायरस का संक्रमण ज्यादा देखने को मिल रहा है।