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जानें कौन हैं डॉ गुलेरिया, कोरोना संकट से उबारने के लिए भेजे गए गुजरात
डॉ गुलेरिया ने 8 मई को कहा था नए मामलों की रोज बढ़ती संख्या के आधार पर ऐसा लगता है कि देश में ये वैश्विक आपदा जून और जुलाई में अपने पीक पर पहुंचेगी।
पूरे देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। देश में आए दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। वैसे तो लगभग हर राज्य ही कोरोना से जूझ रहा लेकिन सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या महाराष्ट्र में है। लेकिन अब गुजरात भी धीरे धीरे महाराष्ट्र की राह पर बढ़ रहा है। गुजरात में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7400 से ऊपर पहुंच गई है। ऐसे में कहीं गुजरात का हाल भी महाराष्ट्र जैसा न हो जाए इस लिए सरकार ने एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया और डॉ. मनीष सोनेजा समेत एक टीम को गुजरात भेजा है। वायुसेना के विशेष विमान से भेजी गई एम्स के विशेषज्ञों की ये टीम राज्य के सिविल अस्पताल और कुछ दूसरे अस्पतालों का दौरा करेगी। और वहां कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर्स को इलाज से सम्बंधित जरूरी राय देगी।
एम्स निदेशक कोरोना के विषय में रख चुके हैं अपनी राय
सरकार द्वारा एम्स के निदेशक डॉ गुलेरिया को इस लिए भेजा गया है क्योंकि डॉ गुलेरिया लगातार कोरोना वायरस के बारे में कुछ न कुछ जानकारियां प्रदान कर रहे हैं। डॉ गुलेरिया ने 8 मई को कहा था, 'अभी देश में कोरोना वायरस अपने चरम पर नहीं पहुंचा है। नए मामलों की रोज बढ़ती संख्या के आधार पर ऐसा लगता है कि देश में ये वैश्विक आपदा जून और जुलाई में अपने पीक पर पहुंचेगी। एम्स निदेशकके इस बयान के बाद देश में और भी हडकंप और कोरोना को लेकर दहशत बढ़ गई है।
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इससे पहले भी डॉ गुलेरिया कोरोना के ऊपर बोलते रहे हैं। उन्होंने 24 अप्रैल को भी कहा था की कोरोना से मृत्यु दर इस लिए बढ़ रही है क्योंकि लोग बदनामी के डर से अस्पताल जल्दी नहीं आना चाहते। उनका मानना है कि जिसे भी सांस लेने में थोड़ी भी दिक्कत महसूस हो उसे तुरंत अस्पताल आके दिखाना चाहिए। क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही इस समय जान के लिए ख़तरा बन सकती है।
पद्मश्री से हो चुके सम्मानित
एम्स निदेशक डॉ गुलेरिया देश का एक चर्चित नाम और प्रसिद्द डॉक्टर में से एक हैं। डॉ गुलेरिया देश के पहले डॉ हैं जिन्होंने पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन में डीएम की डिग्री हासिल की थी। चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेज्युएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद डॉ गुलेरिया ने 1992 में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन ज्वाइन किया था। डॉ गुलेरिया को भारत सरकार द्वारा रेस्पिरेट्री मसल फंक्शन, लंग्स कैंसर, अस्थमा, सीओपीडी में योगदान और 400 से अधिक नेशनल व इंटरनेशनल पब्लिकेशंस में प्रकाशित रिसर्च के लिए 2015 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
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इतना ही नहीं एम्स निदेशक डॉ गुलेरिया WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन में भी 2010-13 तक एडवाइजर भी रह चुके हैं। ये एक बड़ी उपलब्धी की बात है। डॉ गुलेरिया इन दिनों भी रेस्पिरेट्री और कार्डियोवैस्कुलर कंडिशन का आपस में संबंध तलाशने के अलावा एयर क्वावालिटी पर स्टडी कर रहे हैं। गौरतलब है प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति ने डॉ. गुलेरिया को पांच साल के लिए एम्स का नया निदेशक नियुक्त किया था।