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हर साल दुनियाभर में 8 लाख लोग करते हैं खुदकुशी, जानिए UP का हाल

पिछले 15 दिनों में जनपद में आत्महत्या के लगातार कई मामले सामने आ चुके हैं। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन के अनुसार विश्व में आठ लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं, यानि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है।

Newstrack
Published on: 9 Sep 2020 5:03 PM GMT
हर साल दुनियाभर में 8 लाख लोग करते हैं खुदकुशी, जानिए UP का हाल
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हर साल विश्व में 8 लाख लोग करते हैं Suicide

नोएडा: जीवन में कम समय में ज्यादा हासिल करने की तमन्ना और आगे निकलने की होड़ में लोग मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। जरा सी असफलता अखरने लगती है और लोग अपनी जिन्दगी तक को दांव पर लगा देते हैं। कोरोना काल में जनपद में कोरोना उपचाराधीन ने डर के कारण आत्महत्या कर ली। कुछ लोगों ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।

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प्रदेश में आत्महत्या की दर 2.4 प्रति लाख जनसंख्या है

पिछले 15 दिनों में जनपद में आत्महत्या के लगातार कई मामले सामने आ चुके हैं। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन के अनुसार विश्व में आठ लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं, यानि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। नेशनल क्राइम रिकार्डस ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की दर 2.4 प्रति लाख जनसंख्या है मतलब, एक लाख की आबादी पर लगभग दो लोग आत्महत्या करते हैं वहीं राष्ट्रीय दर 10.4 प्रति लाख जनसंख्या है।

जनपद के मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. भारत भूषण ने बताया, यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से हीन भावना से ग्रस्त है अथवा आत्महत्या करने की सोच रहा है तो वह एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है, उचित परामर्श और चिकित्सा पद्धति के माध्यम से इसका उपचार किया जा सकता है। आज कोरोना के दौर में आत्महत्या की जो खबरें आई हैं वह इस बात की ओर इशारा करती हैं कि लोगों में इस बीमारी के प्रति डर बहुत अधिक है तथा बहुत से लोग आर्थिक असुरक्षा से ग्रसित है।

समस्या है तो समाधान भी है

डा. भारत भूषण का कहना है - जब व्यक्ति अवसादग्रस्त या तनाव में होता हैं तो वह चीजों को वर्तमान क्षण के परिप्रेक्ष्य में देखता है। एक सप्ताह अथवा एक माह के बाद यही चीजें भिन्न रूप में दिखाई देने लगती हैं। जो आत्महत्या करने के बारे में सोचते है, वह मरना नहीं चाहते बल्कि केवल अपनी पीड़ा को मारना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें अकेले उस स्थिति का सामना करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अपने परिवार के किसी सदस्य या मित्र अथवा किसी सहयोगी से बात कर लेने पर उसका समाधान मिल सकता है।

क्या करें यदि मन में ऐसे विचार आते हों?

जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डा. तनूजा का कहना है कि यदि मन में नकारात्मक विचार आते हैं तो जीवनशैली में बदलाव लाएं, .खुद पर ध्यान देना शुरू करें, खानपान को संतुलित करें, नियमित रूप से कुछ समय व्यायाम या योग करें। नकारात्मक सोच को दिमाग से हटाएं। अकेले बिल्कुल न रहें, परिवार और दोस्तों के संग रहें।

नकारात्मकता बढ़े तो हेल्प लाइन नंबर पर करे फोन

डा. मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी ने बताया कि इस तरह की किसी भी स्थित में जब मन में निराशा हो, नकारात्मकता बढ़ रही हो तो सरकार द्बारा जारी हेल्पलाइन नम्बर 1075 पर संपर्क कर परामर्श ले सकते हैं। इसके अलावा निमहंस (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑ.फ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस) के टोल फ्री नम्बर - 080-46110007 पर कॉल कर परामर्श ले सकते हैं। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं के समाधान हेतु परामर्श के लिए सरकार ने किरन हेल्पलाइन न. - 1800-500-0019 जारी किया है।

रिपोर्ट: दीपांकर जैन

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