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धोनी पर नेहरा ने कह दी ऐसी बात, जानकर आपको नहीं होगा यकीन
भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के गेंदबाज कोच आशीष नेहरा ने क्रिकेट से जुड़ें अनुभव साझा किया है। आइपीएल से पहली महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। 'कैप्टन कूल' धोनी की अगुवाई में 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाले भारतीय तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने इस दिग्गज खिलाड़ी के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने के अनुभवों को बताया है।
नई दिल्ली: भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के गेंदबाज कोच आशीष नेहरा ने क्रिकेट से जुड़ें अनुभव साझा किया है। आइपीएल से पहली महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। 'कैप्टन कूल' धोनी की अगुवाई में 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाले भारतीय तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने इस दिग्गज खिलाड़ी के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने के अनुभवों को बताया है। भारतीय टीम के अलावा नेहरा ने चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) की टीम में भी धोनी के नेतृत्व में खेला है।
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2004 में धोनी को गेंदबाजी की थी
आशीष नेहरा ने लिखा, 'मैंने पहली बार 2004 की शुरुआत में महेंद्र सिंह धोनी को पाकिस्तान जाने से पहले देखा था। यह दिलीप ट्रॉफी का फाइनल था और मैंने वापसी की थी, लेकिन तब कप्तान सौरव गांगुली ने मुझसे कहा कि आशु फाइनल खेलो और मुझे बताओ कि तुम कैसा महसूस कर रहे हो।
उन्होंने आगे लिखा, 'यह वह मैच था जहां मैंने पहली बार एमएस धोनी को गेंदबाजी की थी और मुझे याद नहीं है कि उन्होंने कितने रन बनाए थे, लेकिन एक बार जब आप भारत के लिए खेलते है तो आपको अंदाजा हो जाता है कि वह कैसा करेगा। उस संक्षिप्त समय में मैंने जो देखा, उससे मुझे अहसास हुआ कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बने रह सकते हैं।'
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धोनी के एक शॉट देख चकरा गए नेहरा
नेहरा ने धोनी के एक शॉट के बारे में लिखा- उस समय मैं लगातार 140 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहा था और उनका एक शॉट गलत तरीके से बल्ले पर लगने के बाद भी गेंद सीमा रेखा के पर छह रनों के लिए चली गई। उनकी ताकत ने मुझे चकित कर दिया था। वह अपने दिमाग और फुर्ती के कारण सबसे तेज हाथों वाले कीपर बन गए थे।
नेहरा ने लिखा, 'अगर आप मुझसे पूछेंगे तो मैंने ऋषभ पंत को सोनेट (टूर्नामेंट) में देखा है, जब वह 14 साल के चुलबुले बच्चे थे. मुझ पर भरोसा करिए कि 22 साल के पंत में उस 23 साल के धोनी से ज्यादा स्वाभाविक प्रतिभा है, जिन्होंने 2004 में पहली बार भारत के लिए खेला था।
'जब वह भारतीय क्रिकेट में आए थे तो वह ज्यादा जिम नहीं जाते थे, लेकिन वे नियमित रूप से बैडमिंटन और फुटबॉल खेलते थे जिससे उनके शरीर का निचला हिस्सा काफी ताकतवर था। जब वह 2004-05 सत्र में भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में पहुंचे तो मेरी पहली धारणा क्या थी? मैं कहूंगा कि वह खुद तक सीमित रहने वाले व्यक्ति थे और गलती होने पर माफी मांग लेते थे।
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क्रिकेट से जुड़ी कोई समस्या
नेहरा ने धोनी के स्वभाव के बारे में भी जिक्र किया। उन्होंने लिखा, 'धोनी तक आसानी से पहुंचा जा सकता था, लेकिन वह खुद अपने कमरे में रहना पसंद करते थे, उनका कमरा सभी के लिए खुला रहता था। वह एकमात्र क्रिकेटर रहे हैं, जो कभी किसी के कमरे में नहीं गए, लेकिन हमेशा जूनियर क्रिकेटरों का स्वागत करते थे। नेहरा कहते हैं, 'आप कभी भी माही के कमरे में प्रवेश कर सकते हैं, फोन उठाकर कुछ मांगा सकते हैं, वीडियो गेम खेल सकते हैं, क्रिकेट खेल के बारे में बात कर सकते हैं, और यदि आपके पास क्रिकेट से जुड़ी कोई समस्या है, तो आप उसे बता सकते हैं उनका सबसे बड़ा कौशल अविश्वसनीय रूप से मजबूत उनका दिमाग था जिसकी वजह से आज वह ऐसे बने है।
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