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BCCI ने इस खिलाड़ी के लिए तोड़ दिया था नियम, कारण आज सबके सामने है
महेंद्र सिंह धोनी इंडियन क्रिकेट टीम का जाना माना नाम है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्हें लोग माही और धोनी नाम से भी पुकारते है। वैसे तो हम सब जानते है कि धोनी एक अच्छे बल्लेबाज और बेहतरीन विकेटकीपर है। धोनी आज क्रिकेट की दुनिया में चमकता सितारा भले है
नई दिल्ली : महेंद्र सिंह धोनी इंडियन क्रिकेट टीम का जाना माना नाम है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्हें लोग माही और धोनी नाम से भी पुकारते है। वैसे तो हम सब जानते है कि धोनी एक अच्छे बल्लेबाज और बेहतरीन विकेटकीपर है। धोनी आज क्रिकेट की दुनिया में चमकता सितारा भले है, लेकिन उनका बीता हुआ कल कड़ी मेहनत, दुख दर्द के बाद मिली कामयाबी को बयां करता है।
धोनी को कैप्टन कूल भी कहा जाता है। इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान धोनी ने 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप में जीत दिलाई और अपनी कप्तानी से टेस्ट और वनडे मैचों में इंडिया को शिखर पर पहुंचा दिया था। उनके जानने वालों का कहना है कि धोनी बेहतरीन प्लेयर के साथ बेहतर इंसान भी है। वो जीत को खुद की जीत नहीं मानते है, बल्कि पुरी टीम को इसका श्रेय देते है जिसके कारण टीम के सभी खिलाड़ी भी उनका सम्मान करते है।
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23 साल की उम्र में धोनी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टीम इंडिया के लिए चुना गया। और झारखंड के इस सितारें ने अपना हड्रेंड पर्सेंट देने मे उस वक्त कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अपने 5वें वनडे में 148 रन और फिर 5वें टेस्ट में भी 148 रन बना दिए। पाकिस्तान के खिलाफ इन दो शुरुआती धुआंधार शतकों से धोनी उस वक्त क्रिकेट की दुनिया में तहलका मचा दिए थे। जो आगे चलकर टीम इंडिया का 'भविष्य' बन गए।
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आईसीसी की तीनों विश्व प्रतियोगिताएं जीतने वाले इकलौते कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज 7 जुलाई को अपना जन्मदिन मना रहे है। बता दें कि महेंद्र सिंह धोनी बीसीसीआई के प्रतिभा अनुसंधान विकास विभाग (टीआरडीडब्ल्यू) की खोज थे।
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दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट से तुलना
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखते ही धोनी की तुलना ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट से की जाने लगी। साथ ही अंतिम ओवर तक जीत का पीछा करने में माहिर माही में फिनिशर के तौर पर माइकल बेवन की झलक मिली। तीन साल के अंदर धोनी को वनडे और टी-20 का कप्तान नियुक्त कर दिया गया। उनकी कप्तानी में 2007 में भारत ने टी-20 वर्ल्ड कप में जीत का कब्जा जमाया और फिर ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज का फाइनल जीता।
धोनी ने 2008 में टेस्ट कप्तानी संभाली और ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड पर यादगार सीरीज जीत दर्ज की दिसंबर 2009 में भारत टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 बन गया, इसके बाद 2011 में उन्होंने भारत को विश्व कप खिताब दिलाया। उन्होंने 2013 में ऑस्ट्रेलिया को अपने घर में 4-0 से हराया और फिर उसी साल अजेय रहते हुए इंग्लैंड में चैम्पियंस ट्रॉफी जीती और अगले साल वर्ल्ड टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचे।
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धोनी का करियरग्राफ
महेंद्र सिंह धोनी ने 350 वनडे इंटरनेशनल में 50.57 की औसत से 10773 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 183 रन रहा। विकेट के पीछे 444 शिकार किए हैं। धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 38.09 की औसत से 4876 रन बनाए। उन्होंने 6 शतक और 33 अर्धशतक लगाए हैं। उनका उच्चतम स्कोर 224 रन रहा। विकेट के पीछे 294 शिकार किए हैं।
आलोचकों के निशाने पर
महेंद्र सिंह धोनी की धीमी बल्लेबाजी वर्ल्ड कप-2019 में आलोचकों के निशाने पर रही। भारत के सेमीफाइनल में हार के बाद से वह क्रिकेट से दूर हैं। अब उनके संन्यास की चर्चा भी जोरों पर है।दिसंबर 2014 में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बीच में ही अचानक टेस्ट कप्तानी छोड़ी। इतना ही नहीं उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से तत्काल रिटायर होने की भी घोषणा कर दी। 2017 में धोनी ने कप्तानी (सीमित ओवरों के प्रारूप से) छोड़ने का फैसला किया और विराट कोहली को अपना उत्तराधिकारी बनाने का रास्ता बनाया।
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वेंगसरकर ने पहचानी प्रतिभा,ऐसे आए नजर
दिलीप वेंगसरकर को ऐसा जौहरी माना जाता है जो प्रतिभाओं को तलाशने में माहिर है। वेंगसरकर का मानना है कि वह चयन समिति के अध्यक्ष पद से न्याय करने में इसलिए सफल रहे, क्योंकि वह बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के प्रतिभा अनुसंधान विकास विभाग (टीआरडीडब्ल्यू) से जुड़े थे, जिसने धोनी जैसे क्रिकेटर की प्रतिभा को तलाशा था।
महेद्र सिंह धोनी को 21 साल की उम्र में बीसीसीआई के टीआरडीडब्ल्यू योजना में शामिल किया गया था, जबकि इसके लिए 19 साल की उम्र निर्धारित थी। इसके पीछे कहानी है कि बंगाल के पूर्व कप्तान प्रकाश पोद्दार के कहने पर धोनी को टीआरडीडब्ल्यू में शामिल किया गया था। पोद्दार के आग्रह पर वेंगसरकर ने फैसला किया कि प्रतिभाशाली खिलाड़ी के लिए नियम नहीं आड़े आने चाहिए।
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बताते है कि पोद्दार जमशेदपुर में एक अंडर-19 मैच देखने गए थे। उसी समय बगल के कीनन स्टेडियम में बिहार की टीम एकदिवसीय मैच खेल रही थी और गेंद बार-बार स्टेडियम के बाहर आ रही थी। इसके बाद पोद्दार ने उत्सुकता हुई कि इतनी दूर गेंद को कौन मार रहा है। जब उन्होंने पता किया तो धोनी के बारे में पता चला।
वेंगसरकर ने कहा, ‘पोद्दार के कहने पर 21 साल की उम्र में धोनी को टीआरडीडब्ल्यू कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया।’ उन्होंने बताया कि टीआरडीडब्ल्यू को पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने शुरू किया था। डालमिया के चुनाव हारने के बाद हालांकि इसे बंद कर दिया गया।
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साक्षी रावत के साथ लिए 7 फेरे
आज क्रिकेट से धोनी भले दूर है लेकिन उनके योगदान को भूलाया नही जा सकता है। हा ये भी सच है कि कामयाबी के बाद इंसान का नाम किसी ना किसी के साथ आसानी से जुड़ जाता है। वैसे धोनी भी इससे अछूते नहीं रहे। दीपिका पादुकोण, लक्ष्मी रायत जैसी एक्ट्रेस से भी जुड़ा, लेकिन उन्होंने चकाचौंध की दुनिया से हटकर आम लड़की साक्षी रावत से शादी की। आज उनकी एक बेटी जीवा है। कहा जाता है कि धोनी कहते है कि जीवा के बिना उनकी जिंदगी अधूरी है।