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Chess World Cup Finalist: जानिए सबसे कम उम्र में शतरंज का बादशाह बनने की कहानी

R Praggnanandhaa Chess World Cup Finalist: आर प्रग्गनानंद ने महज 18 साल की उम्र में भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर, वर्ल्ड के नंबर एक चेस खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराया।

Yachana Jaiswal
Published on: 24 Aug 2023 4:50 PM IST
Chess World Cup Finalist: जानिए सबसे कम उम्र में शतरंज का बादशाह बनने की कहानी
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Chess Mastermind R Pragganandhaa (Pic Credit-Social Media)

R Praggnanandhaa Chess World Cup Finalist: रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा 21 साल में विश्वनाथन आनंद के बाद शतरंज वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। प्रज्ञानानंदा, जिन्हें प्रैग के नाम से जाना जाता है, जो इस महीने की शुरुआत में 18 साल के हो गए, विश्व कप फाइनल में खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं। प्रैग अजरबैजान के बाकू में FIDE World Cup में विश्व में नंबर 1 खिताब पाने के लिए 5 बार के विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन से मुकाबला कर रहे है। रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा, जिन्हें आर प्रज्ञानानंदा के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं, जो इस समय अगस्त 2023 तक केवल 18 वर्ष के हैं। उस उम्र में जब अधिकांश शतरंज खिलाड़ी अनुभव प्राप्त करने और खेल के बुनियादी सिद्धांतों को सही करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, आर प्रज्ञानानंदा पहले से ही शतरंज के एक ग्रैंडमास्टर हैं।

FIDE World Cup 2023 R Praggnanandhaa

साल 2016 में यह सब तब शुरू हुआ, जब आर प्रज्ञानानंदा केवल 10 साल, दस महीने और 19 दिन की उम्र में शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र के इंटरनेशनल मास्टर बन गए। भारतीय ग्रैंडमास्टर को शतरंज की दुनिया में 'शतरंज के बादशाह' का खिताब पहले ही मिल चुका है।

आर प्रज्ञानानंदा(R Praggnanandha) ने महान भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे और ऊपर तक पहुंचाया है। एक बार फिर, 21 अगस्त 2023 को जब आर प्रज्ञानानंदा ने FIDE World Cup के सेमीफाइनल में फैबियानो कारुआना को हराया। वह विश्वनाथन आनंद के बाद FIDE world cup के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय शतरंज खिलाड़ी बने।

फाइनल में मैच टाई पर हुआ खत्म

FIDE विश्व कप फाइनल में, आर प्रज्ञानानंदा ने 22 अगस्त, 2023 को विश्व चैंपियन, मैग्नस कार्लसन के खिलाफ मुकाबला खेला। हालांकि, 35 चालों के बाद यह बराबरी पर समाप्त हुआ। जिसके बाद, दोनों 24 अगस्त, 2023 को दूसरे फाइनल के लिए फिर से मिले। यह एक ऐतिहासिक मैच है, क्योंकि 32 वर्षीय नॉर्वेजियन का मुकाबला 18 वर्षीय भारतीय शतरंज खिलाड़ी से होगा। यह आर प्रज्ञानानंदा के शतरंज करियर का सबसे बड़ा पल है।

छोटी सी उम्र में कैसे मिला शतरंज के बादशाह का खिताब

भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर, आर प्रज्ञानानंदा का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। उनकी तरह ही उनकी बहन वैशाली भी एक इंटरनेशनल मास्टर और महिला ग्रैंडमास्टर हैं। दोनों बच्चे विश्व मंच पर शतरंज खेलने के तरीके से भारतीयों को गौरवान्वित कर रहे हैं। जबकि उनके पिता टीएससी बैंक में शाखा प्रबंधक के रूप में काम करते हैं, उनकी माँ एक गृहिणी हैं। वे मिडिल क्लास फॅमिली से सम्बन्ध रखते है।

शतरंज के क्षेत्र में आर प्रज्ञानानंदा एक बड़ा नाम है। बहुत ही कम उम्र में प्रगनानंद ने बहुत उपलब्धिया हासिल की ।आपको बता दें, आर वैशाली ने 2018 में वूमेंस ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता था, जब उन्होंने रीगा टेक्निकल यूनिवर्सिटी में आयोजित ओपन शतरंज टूर्नामेंट में अपना अंतिम मैच पूरा किया था। जिसके बाद आर वैशाली ने 2021 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब अपने नाम किया।वैशाली लड़कियों में अंडर-12 और अंडर-14 में वर्ल्ड यूथ चैम्पियनशिप जीत चुकी हैं।

कार्टून न देखें इसलिए खेलाया शतरंज

शतरंज के महारथी(Chess Grand Master) आर प्रज्ञानानंदा के शतरंज की दुनिया में प्रवेश की कहानी काफी दिलचस्प है, क्योंकि इसकी कहानी काफी मजेदार है। जब 18 वर्षीय शतरंज ग्रैंडमास्टर अपने बचपन के दिनों में थे, तो वह टेलीविजन पर बहुत सारे कार्टून शो देखा करते थे।

एक समय ऐसा आया जब उन्होंने टीवी पर कार्टून देखने में बहुत समय बिताना शुरू कर दिया, और यह तब था जब उनकी बड़ी बहन, आर वैशाली ने उन्हें शतरंज से रूबरू कराया ताकि वह अपना सारा समय कार्टून देखने में बर्बाद न करें।

आर वैशाली की तरकीब काम कर गई और जल्द ही आर प्रज्ञानानंदा ने शतरंज खेलने में अधिक समय बिताना शुरू कर दिया और टीवी पर कार्टून देखना पुरानी बात हो गई। हालांकि, न तो उनकी बहन और न ही उनके माता-पिता ने यह सोचा होगा कि आने वाले वर्षों में आर प्रज्ञानानंदा भारत की पहचान वैश्विक मंच पर स्थापित करेंगे।

समय के साथ, आर प्रज्ञानानंदा के खेल ने विश्व भर में शोर मचाना शुरू कर दिया। साल 2013 में आर प्रग्गानंद ने अपना पहला खिताब, विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप अंडर -8 जीते उसके बाद वह शतरंज खेलते रहें।

साल 2022 के फरवरी में जब 16 वर्षीय आर प्रज्ञानानंदा ने एयरथिंग्स मास्टर्स में विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन(World Champion Magnus ) को हराया था, जो एक ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट था। मैग्नस कार्लसन पर आर प्रज्ञानानंदा की जीत ऐतिहासिक थी, क्योंकि अब तक मैग्नस को सबसे महान शतरंज खिलाड़ी माना जाता था। हालांकि, उन्होंने 20 मई, 2022 को चेसेबल मास्टर्स में फिर से अपनी ऐतिहासिक उपलब्धि दोहराई, जो एक बार फिर से एक ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट में मिली जीत थी।

आर प्रज्ञानानंदा(R Praggnanandha) के अचीवमेंट

मात्र सात वर्ष की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप में जीत हासिल की।

केवल आठ वर्ष की उम्र में अंडर-8 का टाइटल अपने नाम किया।

दस वर्ष की उम्र में भी अंडर-10 टाइटल का खिताब अपने नाम किया है।

उसी साल दस वर्ष के सबसे कम उम्र में इंटरनेशनल चेस मास्टर(International Chess Master) बन गए।

आर प्रज्ञानानंदा दुनिया के पांचवे सबसे युवा खिलाड़ियों में गिने जाते है।

बारह वर्ष की उम्र में आर प्रज्ञानानंदा ने ग्रैंडमास्टर का ख़िताब जीता, इस उपाधि के साथ वे दुनिया के सबसे कम उम्र के दूसरे खिलाड़ी बन गए थे।

16 वर्ष की उम्र में आर प्रज्ञानानंदा ने मैगनस कार्लसन को 39 चाल पहले हराने में सफल रहे थे।



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