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कभी टेंट में सोया तो कभी बेचा गोलगप्पा, भदोही के लाल ने कर दिया कमाल

नाम के अनुरूप ही यशस्वी का यश पूरी दुनिया में फैल रहा है। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन से लेकर आईसीसी के अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल में जोरदार शतक जडऩे तक यशस्वी जायसवाल ने लंबा सफर तय किया है।

Dharmendra kumar
Published on: 5 Feb 2020 8:38 PM IST
कभी टेंट में सोया तो कभी बेचा गोलगप्पा, भदोही के लाल ने कर दिया कमाल
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अंशुमान तिवारी

लखनऊ: नाम के अनुरूप ही यशस्वी का यश पूरी दुनिया में फैल रहा है। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन से लेकर आईसीसी के अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल में जोरदार शतक जडऩे तक यशस्वी जायसवाल ने लंबा सफर तय किया है। पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले पर पूरे देश के क्रिकेट प्रेमियों की नजर गड़ी हुई थी और इस मुकाबले को यशस्वी ने शानदार बैटिंग से एकतरफा बना दिया। छक्के से शतक पूरा करने वाले यशस्वी ने वल्र्ड कप के पांच मैचों में तीन अर्धशतक और एक शतक सहित 312 रन बनाए हैं। अभी तक मुकाबले में अपराजेय रही टीम इंडिया को जिताने में उनका बड़ा योगदान रहा है। वे इस विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाडिय़ों में टॉप पर हैं।

यशस्वी जायसवाल अपने जोरदार खेल से सबके प्रिय तो बन गए हैं मगर उनके संघर्षों के बारे में कम लोगों को ही पता हैं। क्रिकेटर बनने का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने जिंदगी में तमाम मुसीबतें झेली हैं। भदोही के रहने वाले यशस्वी को अपना सपना पूरा करने के लिए तमाम रातें टेंट में गुजारनी पड़ी, पेट भरने के लिए कभी पानी पूरी(गोलगप्पे) बेचने पड़े तो कभी फल बेचने में मदद करनी पड़ी, कभी खाली पेट भी सो जाना पड़ा मगर उन्होंने कभी मुसीबतों से हार नहीं मानी।

तमाम कठिनाइयों से पार पाते हुए आखिरकार वह देश के लिए खेलने का अपना सपना पूरा करने में कामयाब हुए हैं। क्रिकेट के प्रति इसी जुनून से उन्हें बेहतर प्रदर्शन की प्रेरणा मिलती रही है।

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सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी

पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने 113 गेंदों में अपना शतक पूरा किया। यह यशस्वी का ही कमाल था कि भारत ने पाकिस्तान को दस विकेट से रौंद दिया। इस विश्व कप में यशस्वी का यह पहला शतक रहा। शतक लगाने के साथ-साथ यशस्वी जायसवाल इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी भी बन गए हैं। यशस्वी अंडर 19 विश्व कप में ऐसे पहले बल्लेबाज हैं जिसने 300 रनों का आंकड़ा छुआ है। उन्होंने श्रीलंका के रविंदु रशांता को पीछे छोड़ा। सेमीफाइनल में जीत के साथ ही भारत रिकॉर्ड सातवीं बार फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहा।

तीन अर्धशतक और एक शतक

यशस्वी जायसवाल मौजूदा टूर्नामेंट में जबरदस्त फॉर्म में हैं। उन्होंने पांच मैचों में अपने शानदार प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया है। तीन अर्धशतक और पाकिस्तान के खिलाफ शतक से उनकी लय को आसानी से समझा जा सकता है। यशस्वी ने श्रीलंका के खिलाफ 74 गेंद पर 59 रन, जापान के खिलाफ 18 गेंद पर नाबाद 29 रन, न्यूजीलैंड के खिलाफ 77 गेंद पर नाबाद 57 रन और क्वार्टर फाइनल में 82 गेंदों पर 62 रन की पारी खेली। पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में तो उन्होंने नाबाद शतक जडक़र पाकिस्तानी टीम को निरूत्तर कर दिया।

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संघर्षों के बाद पाया मुकाम

यशस्वी जायसवाल का अंडर 19 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन उन लोगों के लिए मिसाल है जो हमेशा गरीबी और कम संसाधनों का रोना रोते रहते हैं। यशस्वी काफी संघर्षों के बाद इस मुकाम पर पहुंचने में कामयाब हुए हैं। क्रिकेट के प्रति जुनून के कारण ही वह टीम इंडिया के लिए खेलने का सपना लेकर मुम्बई पहुंचे। आर्थिक स्थितियां सही न होने के कारण वे मुंबई के मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के गार्ड के साथ तीन साल तक टेंट में रहे मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने 11 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था।

परिवार के सामने आर्थिक दिक्कतें

दो भाइयों में छोटे यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। उनके पिता भदोही में एक छोटी सी दुकान के जरिये परिवार का खर्चा चलाते हैं। यशस्वी के पिता के लिए परिवार को पालना मुश्किल हो रहा था और यही कारण था कि उन्होंने बेटे के मुम्बई जाने का विरोध नहीं किया। मुंबई में यशस्वी के चाचा का घर इतना बड़ा नहीं था कि वो उसे साथ रख सकें। इसलिए चाचा ने मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से अनुरोध किया कि वो यशस्वी को टेंट में रहने की इजाजत दे दें। यशस्वी को इसके लिए इजाजत मिल गई और उन्होंने मुम्बई में तीन साल इसी टेंट में गुजारे।

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टेंट में गुजारे तीन साल

यशस्वी ने एक बार इंटरव्यू में खुलासा किया था कि इससे पहले मैं काल्बादेवी डेयरी में काम करता था। दिन भर क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और सो जाता था। एक दिन डेयरी वालों ने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। यशस्वी के मुताबिक एक दिन उन्होंने मेरा सामना उठाकर बाहर फेंक दिया और कहा कि मैं कुछ नहीं करता हूं। मैं उनकी मदद नहीं करता, केवल सोने के लिए आता हूं। सडक़ पर आ जाने के बाद मेरे सामने कोई विकल्प नहीं बचा था। इसके बाद मैंने आजाद मैदान ग्राउंड पर ग्राउंड्समैन के साथ तीन साल टेंट में बिताए जहां बारिश के समय छत टपकती थी। यशस्वी ने कभी अपनी संघर्ष भरी जिंदगी के बारे में अपने मां-पिता को नहीं बताया क्योंकि अगर उन्हें यह बात पता चल जाती तो वो उसे मुंबई से वापस बुला लेते। यशस्वी मुंबई से खाली हाथ नहीं लौटना चाहता था। अपने सपने को पूरा करने के लिए वह टेंट में रहने के बावजूद मुंबई में डटा रहा।

बेचना पड़ा गोलगप्पा

शस्वी दिन में तो क्रिकेट खेलता था और रात के वक्त गोलगप्पे बेचते थे। इसके बावजूद उन्हें कई रातों में भूखे सोना पड़ता था। यशस्वी ने इंटरव्यू में यह खुलासा भी किया था कि राम लीला के समय मेरी अच्छी कमाई हो जाती थी क्योंकि उन दिनों में ज्यादा भीड़ होती थी। मैं यही दुआ करता था कि मेरी टीम के खिलाड़ी वहां न आएं। लेकिन कई खिलाड़ी वहां आ जाते थे और तब मुझे बहुत शर्म आती थी। मैं हमेशा अपनी उम्र के लडक़ों को देखता था कि वो घर से खाना लाते थे जबकि मुझे तो खुद बनाना था और खुद ही खाना था। टेंट में मैं रोटियां बनाता था। वहां बिजली नहीं थी। इसलिए हर रात कैंडल लाइट डिनर होता था।

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मुसीबतों ने बनाया मजबूत

यशस्वी के मुताबिक मुझे वे दिन याद हैं जब मैं अपने दोस्तों से सीधे बोलता था कि मेरे पास पैसा नहीं है, भूख है। टीम के साथियों के मजाक उड़ाने या छेडऩे पर यशस्वी नाराज नहीं होते। वे कहते हैं कि उन्हें बुरा इसलिए नहीं लगता क्योंकि उनके साथियों को कभी टेंट में सोना नहीं पड़ा, न ही पानी-पूरी बेचना पड़ा। उन्हें खाली पेट सोने का दर्द भी नहीं मालूम। यशस्वी के मुताबिक परिवार की याद आने पर वे खूब रोते थे। यशस्वी का कहना है कि मेरी जिंदगी ने मुझे मानसिक तौर पर काफी मजबूत बनाया है। कभी मेरे लिए जरूरी यह था कि अगले समय का खाना मिलेगा या नहीं।

कोच भी हैं यशस्वी के मुरीद

जिंदगी में इतनी मुसीबतें और संघर्ष के बाद यशस्वी ने पहले मुंबई की टीम में जगह बनाई। बाद में वे भारत की अंडर 19 टीम में शामिल हुए और अब उन्होंने अंडर 19 विश्व कप में शानदार बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया है। मुंबई अंडर-19 कोच सतीश सामंत यशस्वी के खेल से बहुत प्रभावित हैं कि और उन्हें भरोसा है कि एक दिन वह देश के सफल क्रिकेटर जरूर बनेंगे।



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