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युवराज सिंह का डर: टेनिस छोड़ क्रिकेटर बनने का लिया था फैसला, ये है वजह
उन्होंने कहा कि मुझे स्केटिंग और टेनिस काफी पसंद थे। मैं टेनिस में करियर बनाना चाहता था।
भारतीय क्रिकेट टीम के धुरंधर ऑलराउंडर कहे जाने वाले युवराज सिंह ने कुछ समय पहले ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके इस क्रिकेट का संघर्ष कितना चुनौतीपूर्ण था, आज हम आपको बताएंगे कि कैसे उन्होंने टेनिस का रैकेट छोड़ क्रिकेट का बल्ला हाथ में थामा था ।
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टेनिस के प्रति इच्छा जाहिर की
दरअसल एक समारोह में युवराज सिंह ने अपने टेनिस के प्रति इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने उनके पिता ने एक रैकेट लाकर दिया था वह टूट गया था। इसके बाद उन्होंने डर के मारे दूसरा रैकेट नहीं मांगा था।
उन्होंने कहा कि मुझे स्केटिंग और टेनिस काफी पसंद थे। मैं टेनिस में करियर बनाना चाहता था। मुझे याद है कि मैंने अपनी मां से रैकेट मांगा था और उन्होंने मेरे पिता से इसके लिए कहा। पिता थोड़े नाराज हुए लेकिन उन्होंने उस समय करीब 2500 रुपये का रैकेट लाकर दिया। मैं क्वॉर्टर फाइनल या कुछ खेल रहा था और आखिर में हार गया। मैंने रैकेट जोर-जोर से मारा वह टूट गया।'
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क्यों ना कुछ दिन क्रिकेट ही खेल लिया जाए
इसके बाद क्या था रैकेट टूटने के बाद वह भी बाकी बच्चों की तरह अपने पिताजी से दूसरा रैकेट मांगने में डरने लगे। इसी डर की वजह से उन्होंने सोचा कि चलो क्यों ना कुछ दिन क्रिकेट ही खेल लिया जाए। लेकिन क्या पता था कि यही मजा आज उनको इन ऊंचाइयों पर पहुंचा देगा। उन्होंने टेनिस खेलना छोड़ दिया और क्रिकेट को कुछ ऐसे पकड़ा कि क्रिकेट उनकी जिंदगी बन गई।
युवराज ने स्पोर्ट्सकीड़ा के एक प्रोग्राम में कहा था कि अपनी फिटनेस के लिए टेनिस खेलते हैं। वह कहते हैं कि उन्हें टेनिस खेलने में इतना मजा आता है कि वह क्रिकेट को बहुत ज्यादा मिस नहीं करते।
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टेनिस खेलना सिर्फ अपनी फिटनेस के लिए शुरू किया था
उनकी मानें तो उन्होंने टेनिस खेलना सिर्फ अपनी फिटनेस के लिए शुरू किया था। जिससे टेनिस में उनकी दिलचस्पी बढ़ने लगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनको अफसोस इतना क्रिकेट ना खेलने के लिए होता है जितना टेनिस से दूर रहने के लिए इसीलिए वह हर दूसरे दिन टेनिस खेल लिया करते हैं।
इसके बाद उन्होंने अपने रिटायरमेंट की भी बात कही उन्होंने सचिन तेंडुलकर के साथ हुई हालिया बातचीत के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सचिन ने उनसे कहा था कि अगर वह चार-पांच दिन न खेलें तो वह थोड़े परेशान से हो जाते हैं।
कोई भी खेल छोटा या बड़ा नहीं होता
उन्होंने बताया कि सचिन के हिसाब से कोई भी खेल छोटा या बड़ा नहीं होता बल्कि हर खेल खेलना जरूरी होता है।चाहे वह गोल्फ हो या टेबल टेनिस या फिर बैडमिंटन। तो यह हर खिलाड़ी के लिए जरूरी होता है।'
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