देश में परदेश, देश में भदेश
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना सरकारी काग़ज़ से बाहर नहीं निकल पाया। लेकिन हमारी संस्कृति ने आत्मनिर्भर गाँव की न केवल नींव रखी बल्कि उसे सच कर दिखाया।
दिल्ली अब महफूज़ नहीं रही
यदि भारतीय गणराज्य को सुरक्षित और समृद्ध रखना है तो राष्ट्रीय राजधानी ऐसे स्थल पर हो जो आंचलिक दबाव से दूर रहे। आज केरला, तेलंगाना, कश्मीरी आतंकी, गुरुग्राम और गाजियाबाद द्वारा दिल्ली अस्थिर की जा रही है।
सारे चुनाव एक साथः बहस चले
संविधान-दिवस पर यह मांग फिर उठी है कि देश में सारे चुनाव एक साथ करवाएं जाएं। 1952 से 1967 तक यही होता रहा। विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते रहे। इनमें प्रायः सर्वत्र कांग्रेस ही सरकार बनाती रही लेकिन 1967 से हालात बदलने लगे।