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Aligarh Jama Masjid History: अलीगढ़ की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार है जामा मस्जिद, जानिए इसका इतिहास

Aligarh Jama Masjid History: यह एशिया की सबसे ऊंची सोने की मस्जिद के रूप में वर्णित, इसके गुंबद और मीनारें एशिया की किसी भी अन्य मस्जिद के विपरीत शुद्ध सोने से बनी हुई है

Kajal Sharma
Published on: 5 Jun 2023 4:48 PM IST
Aligarh Jama Masjid History: अलीगढ़ की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार है जामा मस्जिद, जानिए इसका इतिहास
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Aligarh Jama Masjid History (Image Description)

Aligarh Jama Masjid History: जामा मस्जिद अलीगढ़ के ऊपरी किले क्षेत्र में स्थित सबसे पुरानी ऐतिहासिक स्मारक है, जो शहर का सबसे ऊंचा स्थान है। यह एशिया की सबसे ऊंची सोने की मस्जिद के रूप में वर्णित, इसके गुंबद और मीनारें एशिया की किसी भी अन्य मस्जिद के विपरीत शुद्ध सोने से बनी हुई है। यह भारत की पहली मस्जिद है जिसमें शहीदों के मकबरे हैं, जिन्हें गंज-ए-शहीदान यानी शहीदों की कॉलोनी के नाम से भी जाना जाता है।

शुद्ध सोने से बनी है अलीगढ़ की जामा मस्जिद (Aligarh Jama Masjid Made By gold)

क्या है मस्जिद का इतिहास (History Of Jama Masjid Aligarh)

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने 1879 में विश्वविद्यालय के अग्रभूमि में जामा मस्जिद का निर्माण शुरू किया था। जनवरी 1915 में मस्जिद का स्मारक बनाया गया था। तब से यहां रोज सुबह 5:00 बजे नमाज पढ़ी जाती है, मस्जिद में एक समय में 5000 लोगों के आने की क्षमता है। यह अपनी इस्लामिक वास्तुकला के लिए कई पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आकर्षित करता है, जिसके दोनों ओर मीनारों के साथ तीन गुंबद हैं।

रोज सुबह 5 बजे होती है नमाज (Aligarh Jama Masjid History Namaz Timing)

इस जामा मस्जिद में हर दिन सुबह 5:00 बजे आयोजित होने वाली पहली नमाज में ज्यादातर लोग शामिल होते हैं। दिन के समय, दरवाजों पर लगे बहुरंगी शीशे बाहर से सूरज की रोशनी के साथ परस्पर क्रिया करते हैं और अपने पर्यटकों के लिए एक शानदार दृश्य छोड़ते हैं। रात में, मस्जिद का बाहरी हिस्सा उस पर लगाए गए रोशनी से जगमगाता है।

जामा मस्जिद की वास्तुकला (Architecture of Jama Masjid)

  • इस जामा मस्जिद की क्षमता 5000 लोगों की है। इसकी स्थापत्य शैली दिल्ली में शाहजहांबाद की जामा मस्जिद से ली गई थी।
  • बाहरी हिस्से में तीन गुंबद हैं जो दो मीनारों के बीच खूबसूरती से नक्काशीदार पुष्प पैटर्न के साथ लगाए गए हैं।
  • इसके अलावा, इमारत में, दीवारों को अरबी शिलालेखों के साथ अंकित किया गया है।
  • मस्जिद के कई दरवाजों पर रंगीन शीशे लगे हैं, जो दिन के समय सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हुए आध्यात्मिक वातावरण को और अधिक सुशोभित करते हैं।
  • इस मस्जिद की छतें गहरे और हल्के रंग के संयोजन के साथ सजाई गई हैं। जिससे दर्शक विस्मय में पड़ जाते हैं।
  • रात के समय मस्जिद के बाहरी हिस्से में लगी रोशनी और भी शानदार दृश्य दिखाती है।

कैसे पहुंचे अलीगढ़ जामा मस्जिद (How to Reach Jama Masjid Aligarh)

यह जामा मस्जिद शहर से करीब 3.8 किमी की दूरी पर स्थित है, और इसे कवर करने में 16 मिनट लग सकते हैं। आप ऑटो, या टुक-टुक से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।



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Kajal Sharma

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